‘अंकुश’ लगाने वाली खुदरा एफडीआई नीति पर पुनर्विचार की जरूरत : रपट

घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने खुदरा क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति पर ‘अनिवार्य’ रूप से पुनर्विचार करने की जरूरत बतायी, क्योंकि देश के खुदरा क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं मौजूद होने के बावजूद अच्छा निवेश नहीं आ रहा है। इक्रा का मानना है कि मौजूदा एफडीआई नीति ‘अंकुश’ लगाने वाली है। 

इसी तरह की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की समान चिंताओं का उदाहरण देते हुए एजेंसी ने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्र का खुदरा कारोबार साथ काम कर सकता है।

एजेंसी ने अपनी रपट में कहा कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र के लिए एफडीआई नीति अभी भी ‘अंकुश’ वाली बनी हुई है। मौजूदा समय में 51 प्रतिशत मालिकाना हक, बुनियादी क्षेत्र पर अनिवार्य निवेश की शर्तें और स्थानीय स्तर पर सामान खरीदने की शर्तें एफडीआई नीति का हिस्सा हैं।

इक्रा के उपाध्यक्ष और कॉरपोरेट क्षेत्र रेटिंग के सह-प्रमुख किंजल शाह ने कहा कि सरकार को अनिवार्य रूप से एफडीआई नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस क्षेत्र में निवेश की जरूरतें काफी व्यापक हैं।

औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 से 2018 के बीच भारतीय खुदरा क्षेत्र में 1.4 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हुआ तो देश को मिले कुल एफडीआई निवेश का मात्र 0.36 प्रतिशत है।

(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant सोमवार, 14 जनवरी 2019
खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर 2.19 प्रतिशत पर, 18 माह का निचला स्तर

खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2018 में घटकर 2.19 प्रतिशत पर आ गई है। यह इसका 18 महीने का निचला स्तर है। फल, सब्जियां और ईंधन कीमतों में गिरावट से मुद्रास्फीति घटी है। 

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 2.33 प्रतिशत तथा दिसंबर, 2017 में 5.21 प्रतिशत पर थी। 

इससे पहले जून, 2017 में मुद्रास्फीति 1.46 प्रतिशत के निचले स्तर पर थी। 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर में नकारात्मक बनी रही। यह शून्य से 2.51 प्रतिशत नीचे रही। नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति नकारात्मक 2.61 प्रतिशत पर थी। 

समीक्षाधीन महीने में सब्जियों, फलों और प्रोटीन वाले सामान मसलन अंडों की मूल्यवृद्धि घटी। हालांकि, मांस, मछली और दालों की मुद्रास्फीति मामूली बढ़ी। 

दिसंबर में ईंधन और लाइट की मुद्रास्फीति 4.54 प्रतिशत रही। यह नवंबर में 7.39 प्रतिशत पर थी। पेट्रोल, डीजल की कीमतों में कमी से इन उत्पादों की मूल्यवृद्धि घटी। 

सोमवार को ही जारी आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर, 2018 में घटकर आठ महीने के निचले स्तर 3.80 प्रतिशत पर आ गई है।


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant
सार्वजनिक बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी को 52% , आगे और नीचे लाना अच्छा होगा: वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक बैंकों (पीएसयू) से सरकार की शेयर हिस्सेदारी को धीरे-धीरे कम करके 52 प्रतिशत तक लाने के लिए कहा है। मंत्रालय का मानना है कि बैंकिंग कंपनियों के अच्छे संचालन के लिए ऐसा करना अच्छा होगा।

मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव राजीव कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा, "सरकार सार्वजनिक बैंकों में निश्चित तौर पर सबसे बड़ी हिस्सेदार है। इसलिए इसमें कंपनी संचालन की सर्वश्रेष्ठ परिपाटी के अनुसार बदलाव करने की जरूरत है। पहले चरण में सरकारी हिस्सेदारी घटाकर कम से कम 52 प्रतिशत पर लाने की आवश्यकता है। इसके बाद बाजार स्थिति के अनुसार बैंक इस दिशा में और आगे कदम बढ़ा सकते हैं। इसकी अनुमति उनके पास होगी।" 

सरकार की हिस्सेदारी कम करने से बैंकों को बाजार नियामक सेबी के नियमों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। सेबी के मुताबिक, सूचीबद्ध कंपनियों को कम से कम 25 प्रतिशत शेयरों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराना होता है। कुछ सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से ज्यादा है। 

हिस्सेदारी घटने से बैंक कर्ज से जुड़े नियमों का पालन करने के लिये प्रोत्साहित होंगे। 

कुमार ने कहा कि सरकार ने ग्रामीण भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिये क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 

वर्तमान में केंद्र की आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि 35 प्रतिशत प्रायोजक बैंकों और 15 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्य सरकारों की हैं। 

उल्लेखनीय है कि भारतीय स्टेट बैंक ने पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री की प्रक्रिया शुरू की है। क्यूआईपी के बाद सरकार की हिस्सेदारी कम हो जायेगी। मौजूदा समय में सरकार की स्टेट बैंक में 58.53 प्रतिशत हिस्सेदारी है। 



(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant
जीएसटी में पंजीकृत छोटे कारोबारियों के लिए बीमा योजना लाने पर विचार

आम चुनावों से पहले सरकार जीएसटी में पंजीकृत लाखों छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए एक बीमा योजना लाने पर विचार कर रही है। इस योजना के जरिये सरकार छोटे कारोबारियों की विभिन्न चिंताओं का समाधान करना चाहती है। 

सूत्रों के मुताबिक इस योजना के तहत कारोबारियों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) की तर्ज पर कम प्रीमियम पर दुर्घटना बीमा कवर उपलब्ध कराया जा सकता है। 

यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कारोबारियों के लिए चलायी जा रही योजना की तर्ज पर हो सकती है। 

सूत्रों ने बताया कि छोटे कारोबारियों को उनके कारोबार के आधार पर दस लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा दिया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि सरकार की मंजूरी मिलने पर इस महीने के आखिर में बजट सत्र शुरू होने से पहले योजना की घोषणा की जा सकती है।

इसके अलावा सरकार अपने कारोबार को कंप्यूटरीकृत करने की इच्छा रखने वालों और व्यापार बढ़ाने वालों को कम ब्याज दर पर ऋण देने की योजना पर भी विचार कर रही है।

सूत्रों ने बताया कि महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए भी एक विशेष नीति लायी जा सकती है।

सरकार ने इससे पहले 59- मिनट में कर्ज देने की भी घोषणा की है। श्रम कानूनों में राहत दी है और पर्यावरण नियमों के पालन को भी आसान बनाया गया है। छोटे उद्योगों के लिये कंपनी कानून में भी कुछ बदलाव किये गये हैं। 

अगले एक- दो माह में ही आम चुनावों की घोषणा होने वाली है। 


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Rajanish Kant शुक्रवार, 11 जनवरी 2019
विदेशीमुद्रा भंडार 2.68 अरब डॉलर बढ़कर 396 अरब डॉलर पर पहुंचा, स्वर्ण भंडार भी बढ़ा

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गत चार जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान 2.68 अरब डॉलर की जोरदार बढ़त दर्ज की गई। इस दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार मुद्रा परिसंपत्तियों और स्वर्ण जमा वृद्धि से 396.084 अरब डालर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

विदेशी मुद्रा भंडार में हाल के सप्ताह में यह बड़ी वृद्धि हुई है।

इससे पिछले सप्ताह विदेशीमुद्रा भंडार 11.64 करोड़ डॉलर बढ़कर 393.404 अरब डॉलर पर पहुंचा था।

समीक्षाधीन सप्ताह में, समग्र भंडार का एक प्रमुख घटक, विदेशी मुद्रा आस्तियां 2.215 अरब डालर बढ़कर 370.292 अरब डॉलर हो गई।

विदेशी मुद्रा भंडार इससे पहले 13 अप्रैल, 2018 को 426.028 अरब डॉलर की ऊंचाई को छू गया था। इसके बाद से इसमें कमोबेश गिरावट बनी रही।

केंद्रीय बैंक ने पिछले कुछ महीनों के दौरान बाजार में रुपये की गिरावट को रोकने के लिये भारी मात्रा में डॉलर की बिक्री की। केंद्रीय बैंक अब तक 34 अरब डॉलर से भी अधिक की बिक्री कर चुका है। रुपया पिछले कुछ महीनों के दौरान 74 रुपये प्रति डॉलर तक गिर गया था।

समीक्षाधीन सप्ताह में देश का स्वर्ण आरक्षित भंडार 46.55 करोड़ डॉलर बढ़कर 21.689 अरब डॉलर हो गया। यहां यह गौर करने की बात है कि रिजर्व बैंक ने लगभग एक दशक के बाद सोने की खरीद की है। केन्द्रीय बैंक के जून 2018 में समाप्त वित्त वर्ष में 8.46 टन सोना खरीदा। केंद्रीय बैंक का स्वर्ण भंडार 566.23 टन पर पहुंच गया।

रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विविधता लाने के लिए यह खरीदारी की गई।

हालांकि, सप्ताह के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास सुरक्षित विशेष निकासी अधिकार एक लाख डॉलर की मामूली गिरावट के साथ 1.462.6 अरब डॉलर रह गया।

केन्द्रीय बैंक ने कहा कि आईएमएफ के पास देश का मुद्राभंडार भी एक लाख डॉलर की मामूली गिरावट के साथ 2.639 अरब डॉलर रह गया।


(सौ. पीटीआई भाषा)
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