Paisa सब कुछ नहीं, लेकिन बहुत कुछ के लिए पैसा जरूरी

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Rajanish Kant शुक्रवार, 30 नवंबर 2018
FD: इनकम टैक्स बचाने वाली FD पर सबसे ज्यादा ब्याज कौन बैंक देगा ?

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Rajanish Kant
म्युचुअल फंड के दीवाने होते खुदरा निवेशक, खुले 77 लाख नए अकाउंट (फोलियो)
देश में म्युचुअल फंड अकाउंट, जिसे फोलियो कहते हैं, उसकी संख्या अब तक की अधिकतम स्तर 8 करोड़ पहुंच गई है। और ऐसा मुमकिन हुआ है इस साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक जुड़े नए 77 लाख फोलियो की वजह से। पिछले कुछ साल से रिटेल निवेशक म्युचुअल फंड खासकर इक्विटी स्कीम में बढ़-चढ़कर निवेश कर रहे हैं। एक व्यक्ति के कई फोलियो हो सकते हैं। 

वित्त वर्ष 2017-18 में 1.6 करोड़, 2016-17 में 67 लाख जबकि 2015-16 में 59 लाख नए फोलियो जुड़े थे। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एएमएफआई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अक्टूबर के अंत तक कुल 41 सक्रिय म्युचुअल फंड्स कंपनियों के साथ रिकॉर्ड 7,90,31,596 फोलियो जुड़े जबकि इस साल मार्च के अंत तक इसकी संख्या 7,13,47,301 थी यानी इस दौरान करीब 76.80 लाख की बढ़ोत्तरी हुई। 
इस दौरान इक्विटी और ईएलएसएस स्कीम से जुड़े फोलियो की संख्या 66 लाख बढ़कर 6 करोड़ पर, वहीं बैलेंस्ड स्कीम से जुड़े फोलियो की संख्या 44 लाख बढ़कर 63 लाख पर पहुंच गई। इस दौरान इनकम फंडस् स्कीम से जुड़े फोलियो की बात करें तो ये 5,60,000 बढ़कर 1.13 करोड़ पर पहुंच गई। 
इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान म्युचुअल फंड्स में निवेश की बात करें तो, 810 अरब रुपए का निवेश हुआ है, जिसमें से अकेले इक्विटी स्कीम में 750 अरब रुपए आया। 
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Rajanish Kant रविवार, 25 नवंबर 2018
वैश्विक रुख, रुपये-कच्चे तेल की चाल से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

घरेलू शेयर बाजार में इस सप्ताह उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। बाजार की दिशा वैश्विक रुख, रुपये और कच्चे तेल की कीमतों से तय होगी। विशेषज्ञों ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि निवेशकों की नजर शुक्रवार को जारी होने वाले सितंबर तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर भी रहेगी। 

एपिक रिसर्च के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मुस्तफा नदीम ने कहा, "भारतीय शेयर बाजार के लिये जीडीपी के आंकड़े सबसे अहम होंगे। इन आंकडों से मोटे तौर पर कुछ समय के लिये यह संकेत मिलेंगे कि आने वाले महीनों में आर्थिक परिदृश्य कैसा रहेगा।" 

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और काफी कुछ इनके नतीजों पर भी निर्भर करेगा। इसके अलावा रुपये की चाल और कच्चे तेल के दाम भी कारोबारी धारणा को प्रभावित करेंगे।

सैमको सिक्योरिटीज और स्टॉकनोट के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जिमीत मोदी ने बताया, "इस सप्ताह बाजार के तय दायरे में रहने की उम्मीद है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव के परिणामों से बाजार को दिशा मिल सकती है। लेकिन तब बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है।" 

वैश्विक बाजार की फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के विवरण (मिनट) पर नजर रहेगी। 

बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स पिछले सप्ताह 476.14 अंक गिरकर 34,981.02 अंक पर बंद हुआ था। शुक्रवार को 'गुरुनानक जयंती' के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहे।


(सौ. भाषा)
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Rajanish Kant
विदेशी निवेशकों ने नवंबर में भारतीय पूंजी बाजारों में किया 6,310 करोड़ रुपये का निवेश

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्तूबर में भारी निकासी के बाद नवंबर में अब तक भारतीय पूंजी बाजारों में 6,310 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसकी वजह से रुपये में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी है। 

डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने सबसे ज्यादा पूंजी ऋण बाजार में लगायी है। 

इससे पहले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्तूबर महीने में पूंजी बाजार से 38,900 करोड़ रुपये की निकासी की थी। यह दो साल की सबसे बड़ी निकासी रही।

एफपीआई ने इससे पिछले माह सितंबर, 2018 में पूंजी बाजार (शेयर और ऋण) से 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। जबकि जुलाई-अगस्त में उन्होंने कुल 7,500 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने 1 से 22 नवंबर के दौरान शेयर बाजार में 923 करोड़ रुपये और ऋण बाजार में 5,387 करोड़ रुपये डाले हैं। इस प्रकार पूंजी बाजार में उनका कुल निवेश 6,310 करोड़ रुपये (86.2 करोड़ डॉलर) हुआ है। 

विशेषज्ञों के मुताबिक, रुपये में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भारत का वृहत आर्थिक परिदृश्य मजबूत किया है और उभरते बाजारों को लेकर एफपीआई के रुख को बदला है।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया में वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक (शोध) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, "रुपये में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का हालिया निवेश में मुख्य योगदान रहा और इससे नकदी स्थिति में सुधार हुआ।

वैश्विक मोर्चे पर, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध के चलते उभरते बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है। इसके साथ वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में वृद्धि से दुनिया भर में निवेशकों के लिये जोखिम खड़ा हो गया है, जिसे चलते वे सुरक्षित विकल्प तलाश रहे हैं।

उन्होंने कहा, "मुझे इस वर्ष के शेष बचे समय में विदेशी निवेशकों से ज्यादा निवेश की उम्मीद नहीं है। विदेशी निवेशक रुपये और कच्चे तेल की चाल, घरेलू स्तर पर नकदी की स्थिति, आगामी विधानसभा चुनाव और उसके बाद आम चुनाव पर नजर रखेंगे।" 

विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक पूंजी बाजार से 94,000 करोड़ रुपये निकाले। जिसमें शेयर बाजार से 41,000 करोड़ से अधिक और ऋण बाजार से करीब 53,000 करोड़ रुपये की निकासी शामिल है।


(सौ. भाषा)
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वित्त मंत्रालय को 3-4 सरकारी बैंकों के आरबीआई की पीसीए सूची से बाहर होने की उम्मीद

वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में तीन से चार बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) निगरानी सूची से बाहर हो जायेंगे। मंत्रालय का मानना है कि दिशानिर्देशों में अपेक्षित संशोधन और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुनाफे में सुधार के बाद ऐसा संभंव है। सूत्रों ने यह बात कही। 

भारतीय रिजर्व बैंक ने 21 सरकारी बैंकों में से 11 बैंकों को पीसीए के ढांचे में रखा है। ये कमजोर बैंकों पर कर्ज और अन्य अंकुश लगाता है। इनमें इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं। 

पिछले सप्ताह आरबीआई ने अपनी केंद्रीय बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया कि पीसीए के तहत बैंकों के मुद्दे की जांच केंद्रीय बैंक का वित्तीय निगरानी बोर्ड (बीएफएस) करेगा। 

पीसीए के तहत बैंकों को तब रखा जाता है जब कि तीन प्रमुख नियामकीय बिंदुओं का उल्लंघन करते हैं। ये बिंदु हैं जोखिम परिसंपत्तियों के एवज में रखी जानी वाली पूंजी, गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और परिसंपत्ति पर रिटर्न (आरओए)। 

वैश्विक स्तर पर बैंकों को पीसीए के तहत केवल एक ही पैमाने पूंजी पर्याप्तता अनुपात के आधार पर रखा जाता है। सरकार और एस गुरुमूर्ति जैसे आरबीआई के कुछ स्वतंत्र निदेशक घरेलू बैंकिंग के लिये यही पैमाना अपनाने के पक्ष में हैं। 

हालांकि, आरबीआई अतीत में भी पीसीए रूपरेखा की मजूबती से वकालत कर चुका है।

सूत्रों ने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के क्रियान्वयन समेत सरकार की ओर से उठाये गये विभिन्न कदमों से फंसे कर्ज पर लगाम लगाने में मदद मिली है और वसूली में सुधार आया है। 

उन्होंने कहा कि इसलिये आईबीसी के चलते बैंकों के प्रदर्शन और वसूली में सुधार को देखते हुये उम्मीद है कि आरबीआई के बीएफएस की समीक्षा में 3 से 4 बैंक मार्च, 2019 के अंत तक त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की रूपरेखा से बाहर आ जायेंगे।

बैंकों ने पहली तिमाही के दौरान 36,551 करोड़ रुपये की वसूली की ,जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही से 49 प्रतिशत अधिक है। 

उन्होंने कहा कि इस अवधि में बैंकों का परिचालन लाभ 11.5 प्रतिशत बढ़ा है जबकि तिमाही आधार पर घाटा 73.5 प्रतिशत कम हुआ है। 


(सौ. भाषा)
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