आईटीसी ने परिचालन कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए डिजिटलीकरण को किया तेज: संजीव पुरी

आईटीसी के अध्यक्ष संजीव पुरी ने कहा है कि कंपनी ने प्रतिस्पर्धी बढ़त और परिचालन कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए डिजिटल रूपांतरण तेज किया है।

पुरी ने कहा कि मौजूदा महामारी के चलते डिजिटलीकरण की गति कई गुना बढ़ गई है, और कंपनी बढ़त कायम रखने के लिए नए जमाने की तकनीकों को अपना रही है।

पुरी ने कंपनी की आम सभा में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए इंडस्ट्री 4.0, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा, इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीकों को सभी कारोबार में लागू किए जाने की बात कही।

उन्होंने कहा कि आईटीसी ने एक डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करने के लिए काफी निवेश किया है और डिजिटलीकरण के सकारात्मक नतीजे भी दिखने लगे हैं।

पुरी ने कहा कि महामारी के कारण डिजिटलीकरण तेज हुआ है और ई-कॉमर्स, डिजिटल मनोरंजन, घर से काम, टेलीमेडिसिन, शिक्षा, कौशल विकास, ई-सेवाओं, सोशल मीडिया जैसे क्षेत्रों में जोरदार तेजी आई है।

उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मौजूदगी की वजह से आईटीसी के एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री और मार्केटिंग में तेजी आई है।

(साभार-पीटीआई भाषा)






Rajanish Kant शुक्रवार, 4 सितंबर 2020
हैपिएस्ट माइंड्स (Happiest Minds) का IPO 7 सितंबर को खुलेगा, जानें खास खास बातें


डिजिटल सेवा और आईटी सेवा कंपनी हैपिएस्ट माइंड्स टेक्नोलॉजीज का IPO 7 सितंबर को खुलेगा जबकि 9 सितंबर निवेशक इसमें पैसे लगा सकते हैं। कंपनी इस आईपीओ से 702 करोड़ रुपए जुटाएगी। इसका प्राइस बैंड 165-166 रुपये प्रति शेयर है। 

इश्यू में 110 करोड़ रुपये के फ्रेश शेयर जारी किए जाएंगे. जबकि प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी से 3,56,63,585 शेयर बेचने वाले हैं। कंपनी के प्रमोटर अशोक सूता 84,14,223 शेयर बेचेंगे. जबकि जेपी मॉर्गन एसेट मैनेजमेंट कंपनी की इकाई एमसीडीबी II 2,72,49,362 शेयर बेचेगी। 


फ्रेश शेयरों के इश्यू से होने वाली आय कंपनी की लंबी अवधि की कामकाजी पूंजी और कॉर्पोरेट जरूरतों के लिए इस्तेमाल की जाएगी, वहीं प्रमोटर्स ही हिस्सेदारी से होने वाली आय प्रमोटर्स की हो जाएगी। 


निवेशक कम से कम 90 शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं यानी कम से कम निवेशक को 14850-14940 रुपए निवेश करने होंगे। इसके बाद 90 के गुना में ही लॉट खरीद सकते हैं। 

जहां तक बात कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन की है तो 31 मार्च 2020 को खत्म हुए वित्त वर्ष में कंपनी ने 71,70 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था, जो एक साल पहले 17.36 करोड़ रुपये था यानी करीब करीब 4 गुना मुनाफा। 

इस इश्यू के प्रबंधन का जिम्‍मा आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और नोमुरा फाइनेंशियल एडवाइजरी एंड सर्विसेज (इंडिया) पर है. जबकि केफिन टेक्नोलॉजीज इश्यू की रजिस्ट्रार है।






Rajanish Kant
कोविड-19 के चलते 2021 तक 4.7 करोड़ और महिलाएं, लड़कियां अधिक गरीबी की कगार पर पहुंच जाएंगी : संरा

 कोविड-19 वैश्विक महामारी महिलाओं को बहुत ज्यादा प्रभावित करेगी और 2021 तक 4.7 करोड़ और महिलाओं एवं लड़कियों को अत्यधिक गरीबी की तरफ धकेल देगी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नये डेटा में यह कहा गया है जिसके मुताबिक इस जनसांख्यिकी को गरीबी रेखा से ऊपर लाने के लिए दशकों में हुई प्रगति फिर पीछे की ओर चली जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र महिला एवं संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के इस नये आकलन में कहा गया कि कोविड-19 संकट महिलाओं के लिए गरीबी दर को बढ़ा देगा और गरीबी में रहने वाली महिलाओं एवं पुरुषों के बीच का अंतर बढ़ जाएगा।

महिलाओं के लिए गरीबी दर 2019 से 2021 के बीच 2.7 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद थी लेकिन वैश्विक महामारी और उसके दुष्परिणामों के कारण अब इसके 9.1 प्रतिशत तक बढ़ने की आशंका है।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा, “वैश्विक महामारी 2021 तक 9.6 करोड़ लोगों को अत्यंत गरीबी की ओर धकेल देगी जिनमें से 4.7 करोड़ महिलाएं एवं लड़कियां होंगी। यह संकट बेहद गरीबी में रहने वाली कुल महिलाओं की संख्या को बढ़ाकर 43.5 करोड़ कर देगा जहां अनुमान दिखाते हैं कि 2030 तक यह संख्या वैश्विक महामारी से पहले के स्तर तक नहीं लौट पाएगी।”

अनुमान दिखाते हैं कि वैश्विक महामारी सामान्य तौर पर समूची वैश्विक गरीबी को प्रभावित करेगी लेकिन महिलाएं अत्यधिक प्रभावित होंगी और इनमें खासकर प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएं और भी प्रभावित होंगी। 2021 तक बेहद गरीबी में रह रहे 25 से 34 साल के 100 पुरुषों पर 118 महिलाएं होंगी। यह अंतर 2030 तक प्रति 100 पुरुष पर 121 महिलाएं हो जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र महिला (यूएन वीमन) संस्था की कार्यकारी निदेशक फुमजाइल म्लाम्बो नगकुका ने कहा, “महिलाओं की अत्यंत गरीबी में यह बढ़ोतरी, हमारे समाजों एवं अर्थव्यवस्थाओं को हमने जिन तरीकों से बनाया है उनमें गहरी खामियों को दिखाता है।”

(साभार-पीटीआई भाषा)






 

Rajanish Kant
अमेरिका ने कहा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्यान दे भारत

अमेरिका ने भारत से ऐसा माहौल बनाने का आग्रह किया है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उसकी स्थिति को मजबूत करे और साथ ही कहा कि भारत कारोबारी सुगमता के बावजूद बाजार पहुंच के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहा है।

अमेरिकी के अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए उप वाणिज्य मंत्री जोसेफ सेमसर ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते संघर्षशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ेगी और कहा कि भारत ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के साथ एक कार्यक्रम शुरु किया है, जो आत्मनिर्भरता की धारणा पर सवालिया निशान लगाता है।

उन्होंने अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा, ‘‘हमारा मानना है कि एकाकी नीतियों के कारण व्यवसायों और अर्थव्यवस्थाओं के बीच आदान-प्रदान में कमी हो सकती है।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसलिए भारत सरकार से हमारी अपील है कि ऐसा माहौल बनाने में ध्यान केंद्रित करें, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की मजबूत करे।’’ उन्होंने महिंद्रा समूह के उप प्रबंध निदेशक और समूह सीएफओ अनीश शाह के एक सवाल के जवाब में यह बात कही।

सेमसर ने कहा कि भारत ने कारोबारी सुगमता सूचकांक में सुधार किया है, लेकिन बाजार पहुंच के मोर्चे पर चुनौतियां बरकरार हैं।

उन्होंने कहा कि डेटा स्थानीयकरण, बौद्धिक संपदा अधिकार, उच्च शुल्क, नकल सुरक्षा, मूल्य नियंत्रण और बीमा जैसे क्षेत्रों में एफटीआई प्रतिबंध जैसे कई मुद्दे हैं, जिन पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ये ऐसी चुनौतियां हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए भारत और अमेरिका को मिलकर काम करना होगा।

(साभार-पीटीआई भाषा)






 

Rajanish Kant
बैंक ऋण पुनर्गठन के लिए स्वतंत्र, लेकिन किश्त स्थगन के लिए कर्जदारों को दंडित नहीं कर सकते: न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि बैंक ऋण पुनर्गठन के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे कोविड-19 महामारी के दौरान किश्तों को स्थगित करने (मोरेटोरियम) की योजना के तहत ईएमई भुगतान टालने के लिए ब्याज पर ब्याज लेकर ईमानदार कर्जदारों को दंडित नहीं कर सकते।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थगन अवधि के दौरान स्थगित किस्तों पर ब्याज लेने के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कहा कि ब्याज पर ब्याज लेना, कर्जदारों के लिए एक ‘‘दोहरी मार’’ है।

याचिकाकर्ता गजेंद्र शर्मा की वकील राजीव दत्ता ने कहा कि किश्त स्थगन की अवधि के दौरान भी ब्याज लेने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई यह योजना लाया और हमने सोचा कि हम किश्त स्थगन अवधि के बाद ईएमआई भुगतान करेंगे, बाद में हमें बताया गया कि चक्रवृद्धि ब्याज लिया जाएगा। यह हमारे लिए और भी मुश्किल होगा, क्योंकि हमें ब्याज पर ब्याज देना पड़ेगा।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘उन्होंने (आरबीआई) बैंकों को बहुत अधिक राहत दी हैं और हमें सच में कोई राहत नहीं दी गई।’’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘मेरी (याचिकाकर्ता) तरफ से कोई चूक नहीं हुई है और एक योजना का हिस्सा बनने के लिए ब्याज पर ब्याज लेकर हमें दंडित नहीं किया जा सकता।’’

दत्ता ने दावा किया कि भारतीय रिजर्व बैंक एक नियामक है और ‘‘बैंकों का एजेंट नहीं है’’ तथा कर्जदारों को कोविड-19 के दौरान दंडित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब सरकार कह रही है कि ऋणों का पुनर्गठन किया जाएगा। आप पुनर्गठन कीजिए, लेकिन ईमानदार कर्जदारों को दंडित न कीजिए।’’

कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी ए सुंदरम ने पीठ से कहा कि किश्त स्थगन को कम से कम छह महीने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।


(साभार-पीटीआई भाषा)






 

Rajanish Kant बुधवार, 2 सितंबर 2020
ऋण भुगतान छूट का लाभ लेने वाली ज्यादातर कंपनियां काोविड-19 से पहले ही संकट में थीं : क्रिसिल
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि ऋण की किस्त के भुगतान पर रोक की सुविधा का लाभ लेने वाली ज्यादातर कंपनियां कोविड-19 महामारी से पहले से संकट में थीं। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इन कंपनियों की रेटिंग निवेश ग्रेड से नीचे की है।

ऋण भुगतान छूट की अवधि सोमवार यानी आज समाप्त हो रही है। इसी दिन एजेंसी की से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने कर्ज भुगतान में छूट का लाभ लेने वाली गैर-वित्तीय क्षेत्र की 2,300 कंपनियों का विश्लेषण किया है। विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है कि इनमें से 75 प्रतिशत कंपनियों की रेटिंग निवेश ग्रेड से नीचे है।

कोविड-19 महामारी से प्रभावित कंपनियों और व्यक्तिगत लोगों को राहत के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च में कर्ज की किस्त के भुगतान की छूट दी थी। हालांकि, ऐसे खातों पर ब्याज बढ़ता रहेगा, लेकिन इसे कर्ज भुगतान में चूक या डिफॉल्ट की श्रेणी में नहीं डाला जाएगा। यहां उल्लेखनीय है कि पिछली कई तिमाहियों से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)त् की वृद्धि दर लगातार नीचे आ रही है। जनवरी-मार्च की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही थी।

क्रिसिल के नोट में कहा गया है कि चार में तीन कंपनियों की रेटिंग निवेश ग्रेड से नीचे की है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां महामारी से पहले से अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से संकट में थीं।

नोट में कहा गया है कि ऋण भुगतान पर रोक से मध्यम आकार की निवेश ग्रेड से कम यानी बीबी प्लस या उससे नीचे की रेटिंग वाली कंपनियों को बेहद जरूरी नकदी समर्थन मिला। चार में से सिर्फ एक कंपनी ऐसी थी जिसकी रेटिंग निवेश ग्रेड की थी।

क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक सुबोध राय ने कहा, ‘‘महामारी से हालांकि सभी क्षेत्र प्रभावित हुए लेकिन कम बचाव क्षमता वाली कंपनियों ने इस छूट का लाभ अधिक लिया है।’’

नोट में कहा गया है कि बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों मसलन रत्न एवं आभूषण, होटल, वाहन कलपुर्जा, वाहन डीलर, बिजली, पैकेजिंग, पूंजीगत सामान और कलपुर्जा क्षेत्र की करीब 20 प्रतिशत कंपनियों ने ऋण भुगतान में छूट की सुविधा का लाभ उठाय। वहीं कम प्रभावित क्षेत्रों...फार्मास्युटिकल्स, रसायन, एफएमसीजी, द्वितीयक इस्पात और कृषि से जुड़ी सिर्फ 10 प्रतिशत कंपनियों ने ऋण भुगतान में छूट का लाभ लिया।

एजेंसी ने कहा कि ऋण भुगतान में छूट का लाभ लेने में कारोबार के आकार की भी भूमिका रही। छोटी कंपनियों ने छूट का लाभ अधिक लिया। 300 करोड़ से 1,500 करोड़ रुपये के कारोबार वाली मध्यम आकार की ऋण छूट का लाभ लेने वाली कंपनियों की संख्या 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों का तीन गुना रही।

(साभार-पीटीआई भाषा)






 

Rajanish Kant