भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च आर्थिक वृद्धि दर बनाये रखने के रास्ते पर: वित्त मंत्रालय

भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू और आगामी वित्त वर्ष में सबसे तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था बने रहने का अनुमान है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को यह बात कही। मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए हैं। 


विश्वबैंक की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में कारोबारी सुगमता रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है और वह सुधरकर 77वें पायदान पर पहुंच गया। 



वित्त मंत्रालय ने वर्षांत की समीक्षा 2018 में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की 2014-15 से 2017-18 के बीच औसत वद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही। वह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ती हुयी अर्थव्यवस्था बनकर उभरी है।



मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अक्टबूर 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था के 2018-19 और 2019-20 में भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बने रहने का अनुमान है। यह मुकाम 2018-19 की पहली छमाही में जीडीपी की 7.6 प्रतिशत वृद्धि दर के चलते हासिल होगा।



इसमें कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च वृद्धि दर बनाए रखने अपने रास्ते पर बनी हुई है। 



मंत्रालय ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिये उठाये विभिन्न कदमों का भी जिक्र किया। उसने कहा कि विनिर्माण को बढ़ावा देने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में व्यापक सुधार, वस्त्र उद्योग के लिये विशेष पैकेज, किफायती आवास को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देकर बुनियादी क्षेत्र का विकास, तटीय क्षेत्रों को जोड़ने के लिये कदम उठाये गये हैं। 



वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार की नीतियों की सफलता तब और बढ़ जाती है जब विश्वबैंक और आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत को दुनिया में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में मान्यता देते हैं। साथ ही भारत की लचीली और स्थिर वृद्धि की सराहना करते हैं। 



(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant बुधवार, 2 जनवरी 2019
जीडीपी-प्रत्यक्ष कर अनुपात करीब छह प्रतिशत पर दस साल में सबसे बेहतर:वित्त मंत्रालय

वित्त वर्ष 2017-18 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के समक्ष प्रत्यक्ष कर प्राप्ति 5.98 प्रतिशत रही। यह अनुपात पिछले दस साल का सर्वश्रेष्ठ स्तर है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी है। 

जीडीपी- प्रत्यक्ष कर अनुपात 2016-17 में 5.57 प्रतिशत, 2015-16 में 5.47 प्रतिशत रहा। 

मंत्रालय ने कहा कि नोटबंदी का एक बड़ा मकसद भारत को गैर कर अनुपालन वाले समाज से एक अनुपालन वाला समाज बनाना था। इस लिहाज से नोटबंदी का असर व्यक्तिगत आयकर संग्रह में महसूस किया गया है। 

मंत्रालय ने अपनी 2018 की समीक्षा में कहा, ‘‘पिछले तीन साल के दौरान प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात में लगातार वृद्धि हुई है और 2017-18 में यह 5.98 प्रतिशत पर पहुंच गया। जीडीपी के समक्ष प्रत्यक्ष कर का यह अनुपात पिछले दस साल का सबसे ऊंचा स्तर है।’’ 

मंत्रालय ने बताया कि पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2013-14 में कुल 3.79 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए थे। यह आंकड़ा 2017-18 में 6.85 करोड़ पर पहुंच गया। 

इसके अलावा व्यक्तितगत रूप से आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या में भी इस दौरान 65 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2013-14 में रिटर्न दाखिल करने वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं की संख्या 3.31 करोड़ थी। यह आंकड़ा 2017-18 में 5.44 करोड़ पर पहुंच गया। 

मंत्रालय ने बताया कि पिछले तीन आकलन वर्षों में सभी श्रेणियों के करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए रिटर्न में घोषित आमदनी में लगातार वृद्धि हुई है। 

वित्त वर्ष 2013-14 के लिए निर्धारण या आकलन वर्ष 2014-15 में दाखिल किए गए रिटर्न में कुल 26.92 लाख करोड़ रुपये की आमदनी घोषित की गई। यह राशि आकलन वर्ष 2017-18 में 67 प्रतिशत बढ़कर 44.88 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। 

मंत्रालय ने कहा कि सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार के विधायी और प्रशासनिक उपायों के चलते यह संभव हो पाया। सरकार ने नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने और कर चोरी रोकने के लिये ठोस उपाय भी किये। 



अप्रैल-नवंबर, 2018 की अवधि के दौरान 1.23 लाख करोड़ रुपये का रिफंड किया गया, जो इससे पिछले साल की इसी अवधि में जारी रिफंड से 20.8 प्रतिशत अधिक है।

मंत्रालय के अनुसार कंपनियों के मामले में आयकर वृद्धि 17.7 प्रतिशत और व्यक्तिगत आयकर की वृद्धि 18.3 प्रतिशत रही है।


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant
देश के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि में दिसंबर में हल्की पड़ी

भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां दिसंबर में एक माह पहले की तुलना में थोड़ा धीमी रहीं लेकिन इस क्षेत्र के लिए 2018 की समाप्ति कुल मिला कर तेजी के साथ हुई।

वर्ष के दौरान इकाइयों को लगातार कारोबार के नये ऑर्डर मिलते रहे और उन्होंने उत्पादन और नयी भर्तियों का विस्तार किया। एक प्रतिष्ठित मासिक सर्वेक्षण में बुधवार को यह जानकारी मिली। 

विनिर्माण कंपनियों के परचेज मैनेजरों (क्रय-प्रबंधकों) के बीच किए जाने वाले मासिक सर्वेक्षण में भारत के विनिर्माण क्षेत्र का गतिविध सूचकांक- 'निक्केई इंडिया परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स' दिसंबर में 53.2 पर रहा। यह नवंबर के 54 अंक से कम है।

पीएमआई के नवंबर की तुलना में कम रहने बावजूद 2018 में दिसंबर महीना विनिर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक तेजी दर्ज करने वाले महीनों में रहा। 

यह लगातार 17वां महीना है जब विनिर्माण पीएमआई 50 से ऊपर रहा। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना कारोबारी गतिविधियों में विस्तार दर्शाता है जबकि 50 से नीचे का सूचकांक संकुचन का संकेत देता है। 

सर्वेक्षण रिपोर्ट की लेखिका और आईएचएस मार्किट में प्रधान अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा, "विनिर्माण पीएमआई दर्शाता है कि विनिर्माण क्षेत्र 2018 की समाप्ति पर ऊंचे स्तर पर रहा। भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग बढ़ रही है, जिससे भारतीय कंपनियों को लाभ हो रहा है। लगातार 14वें महीने निर्यात आर्डरों में वृद्धि हुयी है।" 

दिसंबर पीएमआई के आंकड़े 2018 में दूसरे बार सबसे ऊपर है। इसने वित्त वर्ष 2011-12 की तीसरी तिमाही के बाद से तिमाही औसत में सबसे अधिक योगदान दिया है।

लीमा ने कहा, "तिमाही औसत पीएमआई 2011-12 की तीसरी तिमाही के बाद सबसे ऊपर है। यह संकेत देता है कि विनिर्माण क्षेत्र ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अहम योगदान दिया है।" 

कीमतों के मोर्चे पर, लागत मूल्य मुद्रास्फीति में अहम कमी देखी गयी है और यह 34 महीने के निम्नतम स्तर पर आ गयी है। 

लीमा ने कहा, "मुद्रास्फीति दबाव में कमी आने के संकेत इस ओर इशारा करते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति के मामले में उदार रुख अपना सकता है।" 

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5 से 7 फरवरी को होनी है। 

रोजगार के मोर्चे पर लीमा ने कहा कि दिसंबर में रोजगार सृजन में कमी आई है क्योंकि कंपनियां आम चुनाव से पहले नई भर्तियां करने को लेकर सतर्क रुख अपना रही हैं। 

कंपनियों का मानना है कि विपणन पहलों, क्षमता विस्तार और मांग में सुधार के अनुमानों से उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। 

(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant
PPF, किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्धि खाते की नई ब्याज दर जान लें

PPF, किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्धि खाते की नई ब्याज दर जान लें

Rajanish Kant
PPF, सुकन्या समृद्धि योजना में पैसे लगाने जा रहे हैं तो ताजा खबर जान लें (जनवरी-मार्च 2019 की ब्याज दर)
भारत सरकार के निर्णय को ध्‍यान में रखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री की मंजूरी मिलने पर अल्‍प बचत योजनाओं की ब्याज दरों को हर तिमाही में अधिसूचित किया जाना है। तदनुसार, चालू वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही (1 जनवरी, 2019 से शुरू और 31 मार्च, 2019 को समाप्ति‍) के लिए विभिन्न अल्‍प बचत योजनाओं पर ब्याज दरों की घोषणा की गई है। इन योजनाओं में अंतर्निहित ब्याज चक्रवृद्धि/भुगतान के आधार पर ब्याज दरें निम्नानुसार होंगी:  

बचत योजना01.10.2018  से 31.12.2018 तक के लिए ब्‍याज दर 01.01.2019 से  31.03.2019 तक के लिए ब्‍याज दरआकलन की आवृत्ति *
बचत जमा4.04.0वार्षिक
1 वर्षीय सावधि जमा 6.97.0तिमाही
2 वर्षीय सावधि जमा7.07.0तिमाही
3 वर्षीय सावधि जमा7.27.0तिमाही
5 वर्षीय सावधि जमा7.87.8तिमाही
5 वर्षीय आवर्ती जमा7.37.3तिमाही
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (5 वर्ष)8.78.7तिमाही और देय
5 वर्षीय मासिक आय खाता7.77.7मासिक और देय
5 वर्षीय राष्ट्रीय बचत पत्र8.08.0वार्षिक
सार्वजनिक भविष्य निधि योजना8.08.0वार्षिक
किसान विकास पत्र7.7 (परिपक्‍वता 112 माह में)7.7 (परिपक्‍वता 112 माह में)वार्षिक
सुकन्या समृद्धि योजना8.58.5वार्षिक


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Rajanish Kant
दिसम्‍बर महीने में 94,726 करोड़ रूपये का कुल सकल जीएसटी राजस्‍व संग्रह हुआ
दिसम्‍बर 2018 के महीने में कुल सकल जीएसटी राजस्‍व संग्रह 94,726 करोड़ रूपये है। इसमें सीजीएसटी 16,442 करोड़ रूपये, एसजीएसटी 22,459 करोड़ रूपये, आईजीएसटी 47,936 करोड़ रूपये (आयात पर संग्रह किये गये 23,635 करोड़ रूपये सहित) तथा चुंगी 7,888 करोड़ रूपये (आयात पर एकत्रित 838 करोड़ रूपये सहित) है। 31 दिसम्‍बर, 2018 तक नवम्‍बर महीने के लिए दाखिल जीएसटीआर 3बी रिटर्न की कुल संख्‍या 72.44 लाख है।

      सरकार ने नियमित अदायगी के रूप में आईजीएसटी से सीजीएसटी को 18,409 करोड़ रूपये तथा एसजीएसटी को 14,793 करोड़ रूपये अदा किये हैं। अस्‍थायी आधार पर केन्‍द्र के पास राज्‍य और केन्‍द्र के बीच 50:50 में उपलब्‍ध शेष आईजीएसटी से 18,000 करोड़ रूपये की अदायगी की गई है। दिसम्‍बर 2018 महीने में नियमित अदायगी के बाद केन्‍द्र सरकार और राज्‍य सरकारों द्वारा अर्जित कुल राजस्‍व सीजीएसटी के लिए 43,851 करोड़ रूपये तथा एसजीएसटी के लिए 46,252 करोड़ रूपये है।

(सौ. पीआईबी) 
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Rajanish Kant मंगलवार, 1 जनवरी 2019