जुलाई-सितम्‍बर जीडीपी विकास दर 7.1 % रही
       
        2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्‍बर) के लिए जीडीपी के अनुमान 

           चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में स्थिर मूल्यों पर जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत आंकी गई 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के केन्‍द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने चालू वित्‍त वर्ष यानी 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्‍बर) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान स्थिर मूल्यों (2011-12) और वर्तमान मूल्यों दोनों पर ही जारी कर दिए हैं। इन अनुमानों से जुड़ी मुख्‍य बातों का उल्‍लेख नीचे किया गया है:

आर्थिक गतिविधि की दृष्टि से जीवीए के अनुमान
स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर अनुमान
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के बढ़कर 33.98 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया हैजबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह 31.72 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। यह स्थिर मूल्‍यों पर जीडीपी में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है। वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी स्थिर मूल्‍यों (2011-12) पर तिमाही जीवीए (सकल मूल्‍य वर्द्धित) के बढ़कर 31.40 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया हैजो वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 29.38 लाख करोड़ रुपये था। यह 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।
जिन क्षेत्रों ने वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में 7.0 फीसदी से ज्‍यादा की वृद्धि दर दर्ज की है उनमें ‘विनिर्माण’, विद्युतगैसजलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाएं’, ‘निर्माण’ एवं ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ शामिल हैं। कृषिवानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’, ‘खनन एवं उत्‍खनन’, ‘व्‍यापार,होटलपरिवहनसंचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाओं’ और वित्‍तीय,अचल संपत्‍ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ की वृद्धि दर क्रमश: 3.8, (-) 2.4, 6.8 और 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

दूसरी तिमाही के अनुमान कृषिसहयोग एवं किसान कल्‍याण विभाग से प्राप्‍त वर्ष 2018-19 के खरीफ सीजन के दौरान हुए कृषि उत्‍पादन, बीएसई/एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के संक्षिप्‍त वित्तीय परिणामों, औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी), महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा लेखा-जोखा रखे जाने वाले केन्‍द्र सरकार के व्‍यय के मासिक खातों के साथ-साथ जुलाई-सितम्‍बर 2018-19 के लिए भारत के महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा लेखा-जोखा रखे जाने वाले राज्‍य सरकारों के व्‍यय के मासिक खातों पर आधारित हैं।

कृषिवानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी मूल्‍यों पर कृषिवानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’ सेक्‍टर की तिमाही जीवीए वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत रही, जबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत थी। कृषि सहयोग एवं किसान कल्‍याण एवं विभाग से प्राप्‍त सूचनाओं के अनुसार कृषि वर्ष 2018-19 के खरीफ सीजन के दौरान खाद्यान्न उत्‍पादन में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2017-18 की समान अवधि में यह दर 1.7 प्रतिशत आंकी गई थी।

खनन एवं उत्‍खनन 
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी मूल्‍यों पर खनन एवं उत्‍खनन’ सेक्‍टर की तिमाही जीवीए वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत घट गई, जबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी। खनन क्षेत्र के महत्‍वपूर्ण संकेतकों यथा कोयला, कच्‍चा तेल एवं प्राकृतिक गैस के उत्‍पादन और आईआईपी से जुड़े खनन की वृद्धि दर वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में क्रमश: 6.2(-) 4.4, (-) 2.0 तथा 1.0 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में ये दरें क्रमश: 8.5, (-) 0.7, 4.7 तथा 7.1 प्रतिशत आंकी गई थीं।

विनिर्माण
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी मूल्‍यों पर विनिर्माण’ सेक्‍टर की तिमाही जीवीए वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत आंकी गई, जबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत थी। आईआईपी से जुड़े विनिर्माण ने वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह दर 2.5 प्रतिशत आंकी गई थी।
  

वर्तमान मूल्‍यों पर अनुमान
सकल घरेलू उत्‍पाद
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में वर्तमान मूल्‍यों पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) के बढ़कर45.54 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच जाने का अनुमान हैजो वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 40.68 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। यह 12.0 फीसदी की वृद्धि दर दर्शाती है। वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी वर्तमान मूल्‍यों पर जीवीए के बढ़कर 41.46 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया हैजो वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 37.03 लाख करोड़ रुपये था। यह 12.0 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है। विभिन्न क्षेत्रों (सेक्टर) में वृद्धि दरें इस तरह रहीं : ‘कृषिवानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन(2.8 प्रतिशत), ‘खनन एवं उत्‍खनन(20.7 प्रतिशत)विनिर्माण (12.2 प्रतिशत), विद्युत,गैसजलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाएं’ (16.3 प्रतिशत), ‘निर्माण’ (13.2 प्रतिशत),व्‍यापारहोटलपरिवहन एवं संचार’ (12.3 प्रतिशत), वित्‍तीयअचल संपत्‍ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ (12.5 प्रतिशत) और ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ (16.1 प्रतिशत)।

अपस्फीतिकारक (डिफ्लैटर) के रूप में उपयोग किए गए मूल्‍य सूचकांक
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही के दौरान विभिन्‍न समूहों जैसे कि खनिज, विनिर्मित उत्पादों, बिजली और सभी जिसों से संबंधित थोक मूल्‍य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही की तुलना में क्रमश: 8.2, 4.4, 6.4 तथा 5.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही के दौरान उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही के दौरान इसमें 3.0 प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई थी।

जीडीपी पर व्‍यय के अनुमान
जीडीपी पर व्‍यय के घटकों यथा उपभोग व्‍यय और पूंजी निर्माण का आकलन आम तौर पर बाजार मूल्‍यों पर किया जाता है।
निजी अंतिम उपभोग व्‍यय
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में वर्तमान मूल्‍यों पर निजी अंतिम उपभोग व्‍यय 26.31 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह 23.58 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर निजी अंतिम उपभोग व्‍यय 18.52 लाख करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 17.30 लाख करोड़ रुपये रहा था।
सरकारी अंतिम उपभोग व्‍यय
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में वर्तमान मूल्‍यों पर सरकारी अंतिम उपभोग व्‍यय 5.99 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 5.10 लाख करोड़ रुपये रहा था। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर सरकारी अंतिम उपभोग व्‍यय 4.22 लाख करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 3.74 लाख करोड़ रुपये रहा था।

सकल स्‍थायी (फिक्‍स्‍ड) पूंजी निर्माण
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में वर्तमान मूल्‍यों पर सकल स्‍थायी (फिक्‍स्‍ड) पूंजी निर्माण 13.28 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह 11.37 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर सकल स्‍थायी (फिक्‍स्‍ड) पूंजी निर्माण 10.99 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 9.77 लाख करोड़ रुपये था।


(स्रोत- पीआईबी)
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Rajanish Kant शनिवार, 1 दिसंबर 2018
अक्‍टूबर, 2018 में आठ कोर उद्योगों की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रही
आठ कोर उद्योगों का संयुक्‍त सूचकांक अक्‍टूबर, 2018 में 134.8 अंक रहाजो अक्‍टूबर, 2017 में दर्ज किए गए सूचकांक के मुकाबले 4.8 प्रतिशत ज्यादा है। दूसरे शब्‍दों मेंअक्‍टूबर 2018 में आठ कोर उद्योगों की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत आंकी गई है। वहींवर्ष 2018-19 की अप्रैल-अक्‍टूबर अवधि के दौरान आठ कोर उद्योगों की संचयी उत्‍पादन वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के भारांक (वेटेज) का 40.27 प्रतिशत हिस्सा आठ कोर उद्योगों में शामिल होता है। आठ कोर उद्योगों के सूचकांक (आधार वर्ष: 2011-12) का सार अनुलग्‍नक में दिया गया है।

कोयला
अक्‍टूबर, 2018 में कोयला उत्‍पादन (भारांक: 10.33%) अक्‍टूबर, 2017 के मुकाबले 10.6 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल- अक्‍टूबर, 2018-19 में कोयला उत्‍पादन की वृद्धि दर पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 9.8 प्रतिशत अधिक रही।

कच्‍चा तेल
अक्‍टूबर, 2018 के दौरान कच्‍चे तेल का उत्‍पादन (भारांक: 8.98%) अक्‍टूबर, 2017 की तुलना में 5.0 प्रतिशत गिर गया। अप्रैल- अक्‍टूबर, 2018-19 में कच्‍चे तेल का उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.6 प्रतिशत कम रहा।

प्राकृतिक गैस
अक्‍टूबर, 2018 में प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन (भारांक: 6.88%) अक्‍टूबर, 2017 के मुकाबले 0.9 प्रतिशत गिर गया। अप्रैल-अक्‍टूबर, 2018-19 में प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.8 प्रतिशत गिर गया।

रिफाइनरी उत्‍पाद
पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों का उत्‍पादन (भारांक: 28.04%) अक्‍टूबर, 2018 में 1.3 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल-अक्‍टूबर, 2018-19 में पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों का उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 5.8 प्रतिशत अधिक रहा।

उर्वरक
अक्‍टूबर, 2018 के दौरान उर्वरक उत्‍पादन (भारांक: 2.63%) 11.5 प्रतिशत गिर गया। अप्रैल-अक्‍टूबर, 2018-19 में उर्वरक उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम रहा।

इस्‍पात
अक्‍टूबर, 2018 में इस्‍पात उत्‍पादन (भारांक: 17.92%) 2.2 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल- अक्‍टूबर, 2018-19 में इस्‍पात उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 3.3 प्रतिशत ज्‍यादा रहा।

सीमेंट
अक्‍टूबर, 2018  के दौरान सीमेंट उत्‍पादन (भारांक: 5.37%)  अक्‍टूबर, 2017 के मुकाबले 18.4  प्रतिशत ज्यादा रहा। अप्रैल-अक्‍टूबर, 2018-19 के दौरान सीमेंट उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 15.0 प्रतिशत अधिक रहा।

बिजली
अक्‍टूबर, 2018 के दौरान बिजली उत्‍पादन (भारांक: 19.85%) में अक्‍टूबर, 2017 के मुकाबले 11.4  प्रतिशत का इजाफा हुआ। अप्रैल- अक्‍टूबर, 2018-19 में बिजली उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 6.9 प्रतिशत अधिक रहा।

नोट 1: अगस्‍त, 2018, सितम्‍बर, 2018 और अक्‍टूबर, 2018 के आंकड़े अनंतिम हैं।

नोट 2: अप्रैल, 2014 से ही बिजली उत्पादन के आंकड़ों में नवीकरणीय अथवा अक्षय स्रोतों से प्राप्त बिजली को भी शामिल किया जा रहा है।

नोट 3: नवम्‍बर, 2018 के लिए सूचकांक सोमवार, 31 दिसम्‍बर, 2018 को जारी किया जाएगा।











(स्रोत- पीआईबी)
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बैक सीरीज की जेडीपी विकास दर के संशोधित आंकड़े, जिस पर मचा है बवाल...
राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी: 2004-05 से 2011-12 
ढांचागत बदलावों को लेकर लेखा में राष्ट्रीय लेखा के आधार वर्ष को सावधिक रूप से संशोधित किया जाता है। बताए गए समय में अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलाव को इसमें शामिल किया जाता है। यह सकल घरेलू उत्पादराष्ट्रीय आयउपभोग व्यव और अन्य संबंधित संकेतकों जैसे वृहद आर्थिक संकेतकों के माध्यम से अर्थव्यवस्था का बेहतर चित्रण प्रस्तुत करता है। इससे उपभोक्ता वास्तविक अर्थव्यवस्था के निष्पादन का मूल्यांकन कर पाते हैं। इसके लिए वे आधार वर्ष के रूप में चयनित वर्ष की कीमतों पर वृहद आर्थिक संकेतकों का अनुमान लगाते हैं। मौजूदा वर्ष के वर्तमान मूल्यों पर लगाए गए अनुमानों को वर्तमान मूल्य’ माना जाता हैजबकि आधार वर्ष की कीमतों पर तैयार अनुमानों को नियत मूल्य’ कहा जाता है। नियत मूल्यों यानि वास्तविक मूल्य की कई वर्षों की स्थितियों से तुलना के आधार पर वास्तविक वृद्धि का मापन होता है। राष्ट्रीय लेखा (आधार 2011-12) की नई श्रेणी शुरू होने के बादराष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी के पिछले अनुमानों को तैयार किया जाता है और नए आधार वर्ष से पिछले वर्षों के लिए जारी किया जाता है। इसकी पूर्णता और तुलनात्मकता के लिए पुराने आधार आंकड़े से मिलाकर मूल्यांकन किया जाता है। वर्तमान रिलीज से वर्ष 2004-05 तक आधार वर्ष 2011-12 के साथ राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी की नई श्रेणियों के अनुसार घरेलू उत्पादपूंजी निर्माण और अन्य वृहद आर्थिक संकेतकों की झलक मिलती है।


(स्रोत- पीआईबी)
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