अगर SBI को ATM इस्तेमाल करते हैं, तो...
देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने अपने ATM ग्राहकों को झटका दिया हा। बैंक ने ATM  से निकालने वाले कैश की रोजाना सीमा 50 प्रतिशत घटा दी है। अब आप SBI के एटीएम से 1 दिन में सिर्फ 20 हजार रुपए ही निकाल सकते हैं। पहले ये लिमिट 40 हजार रुपए थी। नई लिमिट 31 अक्टूबर 2018 से लागू होगी।
बैंक ने अपने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि उसके एनालिसिस में पता चला है कि अधिकतर लोग एटीएम से इतनी ही रकम निकालते हैं। इसलिए अधिकतर ग्राहकों के लिए 20 हजार रुपए की लिमिट ठीक है। बैंक का ये भी कहना है कि वह यह देखना चाह रहा है कि क्या छोटी रकम के जरिए फ्रॉड पर लगाम लगाई जा सकती है।
बैंक ने हालांकि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी ग्राहक को ज्यादा कैश की जरूरत पड़ती है तो वो कार्ड के दूसरे वैरियंट के लिए अप्लाई कर सकता है। इस तरह के कार्ड उन लोगों को जारी किए जाते हैं तो अपने अकाउंट में ज्यादा मिनिमम बैलेंस रखते हैं।

Rajanish Kant मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018
LLP के संबंध में सरकार की नई सुविधा आज से शुरू
‘कारोबार में सुगमता’ की दिशा में एक और मील का पत्‍थर : पूरी तरह से ऑनलाइन प्रणाली के जरिये सीमित दायित्‍व साझेदारी (एलएलपी) का गठन करना अब एक वास्‍तविकता 


आज कोई भी व्‍यक्ति किसी भी सरकारी कार्यालय में जाए बगैर ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिये अपनी कंपनी का गठन कर कारोबार शुरू कर सकता है। यह उपलब्धि जनवरी, 2016 में हासिल हुई थी।
कॉरपोरेटे मामलों के मंत्रालय ने अब पूरी तरह से ऑनलाइन प्रणाली के जरिये सीमित दायित्‍व साझेदारी (एलएलपी) का गठन सुनिश्चित कर संबंधित प्रक्रिया में एक और व्‍यापक बदलाव लाया है। आज से एक वेब सेवा शुरू की गई हैजिसका नाम है ‘रन-एलएलपी (रिजर्व यूनिक नेम-सीमित दायित्‍व साझेदारी)’। ‘फिलिप (सीमित दायित्‍व साझेदारी के गठन के लिए फॉर्म)’ नामक ई-फॉर्म के जरिये एलएलपी को उपयुक्‍त नाम भी आवंटित की जा सकती है।
सीमित दायित्‍व साझेदारी (एलएलपी) से संबंधित नियमों को 18 सितम्‍बर, 2018 को संशोधित किया गया है, जो 02 अक्‍टूबर, 2018 से प्रभावी हो जाएगा। संशोधित नियमों में निम्‍नलिखित बदलाव शामिल हैं –
  1. ‘रन-एलएलपी’ नामक एक वेब सेवा शुरू करना, जो पूर्ववर्ती फॉर्म-1 का स्‍थान लेगी।
  2. फिलिप नामक एक नये एकीकृत फॉर्म को उपयोग में लाना, जो पूर्ववर्ती फॉर्म-2 का स्‍थान लेगा। इसमें निम्‍नलिखित तीन सेवाओं का संयोजन होगा :
· नाम आरक्षण
· नामित साझेदार पहचान संख्‍या (डीपीआईएन/डीआईएन) का आवंटन
· एलएलपी का गठन

Rajanish Kant
अगस्‍त 1018 की तुलना में सितंबर में जीएसटी संग्रह में वृद्धि
सितंबर 2018 में 94 हजार करोड़ रूपए से ज्‍यादा का हुआ जीएसटी संग्रह 
सितंबर 2018 में वस्‍तु एंव सेवा कर के रूप में कुल 9,4442 करोड़ रूपए का राजस्‍व संग्रह हुआ। इसमें सीजीएसटी 15,318 करोड़ रुपए, एसजीएसटी 21,061 करोड़ रुपए, आईजीएसटी 50,070 करोड़ रुपए (आयात से प्राप्‍त 25,308 करोड़ रूपए सहित) और उपकर 7993 करोड़ रुपए (आयात से प्राप्‍त 769 करोड़ रुपए सहित) रहा। अगस्‍त महीने के लिए 30 सितंबर, 2018 तक दाखिल किए गए जीएसटीआर का सकल थ्री बी रिटर्न 67 लाख रूपये रहा।
सितंबर 2018 में हुए सेटलमेंट के बाद केंद्र और राज्‍य सरकारों द्वारा अर्जित कुल सीजीएसटी राजस्‍व 30,574 करोड़ रुपए और एसजीएसटी 35,015 करोड़ रुपए रहा।
सितंबर 2018 में जहां कुल 94,442 करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रह हुआ वहीं अगस्‍त महीने यह 93,690 करोड़ रुपए था। इस लिहाज से सितंबर महीने में जीएसटी संग्रह में वृद्धि देखी गई।
चालू वित्‍त वर्ष में जीएसटी संग्रह के रूझान का चार्ट
http://164.100.117.97/WriteReadData/userfiles/image/image0014RET.png
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant
IL&FS के लिए आवश्‍यक तरलता सुनिश्चित करने हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध - सरकार
‘आईएल एंड एफएस’ के मूल्‍य एवं परिसम्‍पत्तियों को संरक्षित करने के लिए ठोस एवं निर्णायक सरकारी कार्रवाई की गई 

‘सरकार वित्‍तीय प्रणाली से आईएल एंड एफएस के लिए आवश्‍यक तरलता सुनिश्चित करने हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि और ज्‍यादा डिफॉल्‍ट न हों और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं का क्रियान्‍वयन सुचारू ढंग से हो’  

वर्ष 1987 में गठित ‘आईएल एंड एफएस’ एक बड़ी प्रणालीबद्ध महत्‍वपूर्ण गैर-जमा स्‍वीकार्य कोर निवेश कंपनी (सीआईसी-एनडी-एसआई) है। इस कंपनी के पास असंख्‍य परिसम्‍पत्तियां है और इसने देश में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास और वित्‍त पोषण में अहम भूमिका निभाई है। वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार इस समूह में 169 कंपनियां हैं, जिनमें सहायक कंपनियां, संयुक्‍त उद्यम कंपनियां और सहयोगी निकाय शामिल हैं। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की कंपनियों द्वारा अगस्‍त और सितम्‍बर, 2018 के दौरान सावधि जमाओं, अल्‍पकालिक जमाओं, अंतर-कंपनी जमाओं, वाणिज्यिक प्रपत्र एवं गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों की अदायगी में  अनेक बार चूक (डिफॉल्‍ट) की। यही नहीं, समूह की कुछ कंपनियों की रेटिंग घटाई गई और कुछ कंपनियां अन्‍य वित्‍तीय प्रपत्रों की भी अदायगी में विफल रहीं। इसका वित्‍तीय बाजारों पर व्‍यापक प्रतिकूल असर पड़ा, जिसके चलते इस तरह के वित्‍तीय प्रपत्रों को हासिल करने वाले म्‍यूचुअल फंडों पर विमोचन का दबाव बढ़ गया। इसका अत्‍यंत प्रतिकूल असर शेयर बाजारों, मुद्रा बाजारों और डेट बाजारों पर भी पड़ा। म्‍यूचुअल फंडों पर विमोचन के दबाव से व्‍यापक प्रणालीगत जोखिम उत्‍पन्‍न हो गया है। इससे गुणवत्‍तापूर्ण प्रपत्रों (पेपर) को भारी डिस्‍काउंट पर बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है, ताकि विमोचन की मांग को पूरा किया जा सके।  डेट बाजार को लगे जबरदस्‍त झटके से शेयर बाजार भी प्रभावित हुये बिना नहीं रहा। इससे विशेषकर गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और एनबीएफसी के वित्‍त पोषण से जुड़े क्षेत्रों की कंपनियों के शेयरों की बिकवाली तेज हो गई।
‘आईएल एंड एफएस’ समूह की नवीनतम बैलेंस शीट के अनुसार इस समूह के पास 1,15,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की ढांचागत एवं वित्‍तीय परिसम्‍पत्तियां हैं और इसे वर्तमान में भारी ऋण दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह को लगभग 91,000 करोड़ रुपये के ऋणों की अदायगी के लिए जूझना पड़ रहा है, जो विगत में इसकी कुप्रबन्धित उधारियों का नतीजा है। सरकार वित्तीय प्रणाली से आईएल एंड एफएस के लिए आवश्यक तरलता सुनिश्चित करने हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि और ज्यादा डिफॉल्ट न हों और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुचारू ढंग से हो।
पूंजी एवं वित्‍तीय बाजारों में वित्‍तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की विश्‍वसनीयता एवं वित्‍तीय सुदृढ़ता में मुद्रा, डेट एवं पूंजी बाजारों, बैंकों और वित्‍तीय संस्‍थानों के विश्‍वास की बहाली अत्‍यंत आवश्‍यक है। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि वित्‍तीय अदायगी में चूक (डिफॉल्‍ट) का सिलसिला तत्‍काल बंद हो। इसके लिए परिसम्‍पत्तियों की बिक्री, कुछ देनदारियों के पुनर्गठन और निवेशकों एवं ऋणदाताओं द्वारा वित्‍तीय प्रणाली में नई पूंजी डालने जैसे कई उपाय करने होंगे। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह के प्रबंधन और कंपनी की विश्‍वसनीयता में वित्‍तीय बाजार के विश्‍वास को बहाल करने की जरूरत है।
सरकार ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की उभरती स्थिति का विश्‍लेषण करने के बाद इस निष्‍कर्ष पर पहुंची है कि इस समूह को वित्‍तीय दृष्टि से धराशायी होने से बचाने के लिए ‘आईएल एंड एफएस’ समूह के गवर्नेंस एवं प्रबंधन में बदलाव लाना आवश्‍यक है, जिसके लिए वर्तमान बोर्ड एवं प्रबंधन को तत्‍काल हटाने और नये प्रबंधन की नियुक्ति करने की जरूरत है।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant
अगस्‍त, 2018 में आठ कोर उद्योगों की वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रही
आठ कोर उद्योगों का संयुक्‍त सूचकांक अगस्‍त, 2018 में 128.1 अंक रहा, जो अगस्‍त, 2017 में दर्ज किए गए सूचकांक के मुकाबले 4.2 प्रतिशत ज्यादा है। दूसरे शब्‍दों में, अगस्‍त 2018 में आठ कोर उद्योगों की वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत आंकी गई है। वहीं, वर्ष 2018-19 की अप्रैल-अगस्‍त अवधि के दौरान आठ कोर उद्योगों की संचयी उत्‍पादन वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रही। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के भारांक (वेटेज) का 40.27 प्रतिशत हिस्सा आठ कोर उद्योगों में शामिल होता है। आठ कोर उद्योगों के सूचकांक (आधार वर्ष: 2011-12) का सार अनुलग्‍नक में दिया गया है।

कोयला
अगस्‍त, 2018 में कोयला उत्‍पादन (भारांक: 10.33%) अगस्‍त, 2017 के मुकाबले 2.4 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल-अगस्‍त, 2018-19 में कोयला उत्‍पादन की वृद्धि दर पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 10.3 प्रतिशत अधिक रही।

कच्‍चा तेल
अगस्‍त, 2018 के दौरान कच्‍चे तेल का उत्‍पादन (भारांक: 8.98%) अगस्‍त, 2017 की तुलना में 3.7 प्रतिशत गिर गया। अप्रैल-अगस्‍त, 2018-19 में कच्‍चे तेल का उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.3 प्रतिशत कम रहा।

प्राकृतिक गैस
अगस्‍त, 2018 में प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन (भारांक: 6.88%) अगस्‍त, 2017 के मुकाबले 1.1 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल-अगस्‍त, 2018-19 में प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.6 प्रतिशत गिर गया।

रिफाइनरी उत्‍पाद
पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों का उत्‍पादन (भारांक: 28.04%) अगस्‍त, 2018 में 5.1 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल-अगस्‍त, 2018-19 में पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों का उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 7.4 प्रतिशत अधिक रहा।

उर्वरक
अगस्‍त, 2018 के दौरान उर्वरक उत्‍पादन (भारांक: 2.63%) 5.3 प्रतिशत गिर गया। अप्रैल-अगस्‍त, 2018-19 में उर्वरक उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.7 प्रतिशत अधिक रहा।

इस्‍पात
अगस्‍त, 2018 में इस्‍पात उत्‍पादन (भारांक: 17.92%) 3.9 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल-अगस्‍त, 2018-19 में इस्‍पात उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 3.4 प्रतिशत ज्‍यादा रहा।

सीमेंट
अगस्‍त, 2018  के दौरान सीमेंट उत्‍पादन (भारांक: 5.37%)  अगस्‍त, 2017 के मुकाबले 14.3  प्रतिशत ज्यादा रहा। अप्रैल-अगस्‍त, 2018-19 के दौरान सीमेंट उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14.7 प्रतिशत अधिक रहा।

बिजली
अगस्‍त, 2018 के दौरान बिजली उत्‍पादन (भारांक: 19.85%) में अगस्‍त, 2017 के मुकाबले 5.4  प्रतिशत का इजाफा हुआ। अप्रैल-अगस्‍त, 2018-19 में बिजली उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 5.3 प्रतिशत अधिक रहा।

नोट 1: जून, 2018, जुलाई, 2018 और अगस्‍त, 2018 के आंकड़े अनंतिम हैं।

नोट 2: अप्रैल, 2014 से ही बिजली उत्पादन के आंकड़ों में नवीकरणीय अथवा अक्षय स्रोतों से प्राप्त बिजली को भी शामिल किया जा रहा है।

नोट 3: सितम्‍बर, 2018 के लिए सूचकांक बुधवार, 31 अक्टूबर, 2018 को जारी किया जाएगा।


(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant
FD:सबसे फायदेमंद कौन-बैंक FD, पोस्ट ऑफिस FD या कॉर्पोरेट FD

FD:सबसे फायदेमंद कौन-बैंक FD, पोस्ट ऑफिस FD या कॉर्पोरेट FD

Rajanish Kant सोमवार, 1 अक्टूबर 2018
Aadhaar पर अपडेट: अब इन कामों के लिए नहीं देना होगा आधार

Aadhaar पर अपडेट: अब इन कामों के लिए नहीं देना होगा आधार

Rajanish Kant गुरुवार, 27 सितंबर 2018
अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर 0.25% बढ़ाई, दिसंबर में भी बढ़ाने की संभावना, अगले साल 3 बढ़ोतरी मुमकिन
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 25, 26 सितंबर की दो दिवसीय बैठक के बाद ब्याज दर में 0.25% का इजाफा करते हुए 2.00-2.25 % कर दिया है। यह ब्याज दर पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा है और माना जा रहा है कि इस बढ़ोतरी से जो लोग कर्ज लिये हुए हैं या फिर जो कर्ज लेना चाहते हैं, उनपर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। इस बैठक में अधिकारियों ने दिसंबर की बैठक में और अगले साल तीन और बढ़ोतरी के संकेत दिये हैं।

फेड ने अमेरिकी इकोनॉमी पर भरोसा जताते हुए कहा है कि इकोनॉमी लगातार मजबूत है और किसी राहत पैकेज की जरूरत नहीं है, जैसा कि मंदी के दौरान थी। फेड को इस साल 3.1% विकास दर रहने का अनुमान है।

इससे पहले अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 12.13 अगस्त की बैठक में  प्रमुख दर को 0.25% बढ़ाकर 1.75-2.00% कर दिया था। मार्च की बैठक में उसने ब्याज दर चौथाई प्रतिशत बढ़ाकर 1.25-1.50 प्रतिशत कर दिया था। हालांकि जनवरी और मई की बैठक में ब्याज दर स्थिर रखा था। 2018 में चार बढ़ोतरी तय की गई थी जिसमें से दो बढ़ोतरी हो चुकी है जबकि दो और बढ़ोतरी का इंतजार है।   

आपको बता दें कि पिछले एक दशक में अमेरिका में फेडरल फंड्स रेट, आमतौर पर जिसे हम सिर्फ ब्याज दर कह देते हैं में जून 2018 में 7वीं, मार्च 2018 में 6ठी और दिसंबर 2017 में 5वीं बढ़ोतरी थी। इससे पहले  दिसंबर 2016 में फेड ने 2006 के बाद पहली बार ब्याज दर को करीब 0-0.25 % से बढ़ाकर  0.25-0.50% और मार्च 2017 में इसमें चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी करके इसे 0.75-1 प्रतिशत, जून 2017 की बैठक में इसमें 0.25 प्रतिशत और फिर दिसंबर 2017 में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी  करते हुए 1.25-1.5 प्रतिशत कर दिया था। 2007-2009 के आर्थिक संकट की वजह से करीब 10 साल तक ब्याज दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की  गई थी।  

अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने 1,2 मई की बैठक में  प्रमुख दर को 1.5-1.75% पर स्थिर रखा, जून बैठक में बढ़ सकता है ब्याज
((फाइनेंस का फंडा:  फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) को जानें 

(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
म्युचुअल फंड के बदल गए नियम, बदलाव से निवेशकों को फायदा या नुकसान, जानें विस्तार से  
((फाइनेंशियल प्लानिंग (वित्तीय योजना) क्या है और क्यों जरूरी है?
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
(बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी किताब- बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा)
((मेरा कविता संग्रह "जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक"खरीदने के लिए क्लिक करें 

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Rajanish Kant
खरीफ फसलों के उत्पादन के अग्रिम अनुमान जारी,दाल का उत्पादन घटेगा-सरकार
कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग ने 2018-19 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों के उत्पादन के प्रथम अग्रिम अनुदान जारी की है। 

कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग ने आज 2018-19 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों के उत्पादन के प्रथम अग्रिम अनुदान जारी की है। विभिन्न फसलों के उत्पादन का यह आकलन राज्यों से प्राप्त जानकरियों पर आधरित है और अन्य स्रोंतों से उपलब्ध सूचनाओं से इसका सत्यापन हो गया है। वर्ष 2018-19 के लिए प्रथम अग्रिम अनुमानों के मुताबिक विभिन्न फसलों का अनुमानित उत्पादन और वर्ष 2003-04 के बाद के वर्षों के लिए तुलनात्मक अनुदान यहां संलग्न किए गए हैं।
प्रथम अग्रिम अनुमानों के मुताबिक खरीफ 2018-19 के दौरान प्रमुख फसलों के अनुमानित उत्पादन का विवरण नीचे दिया गया हैं।
·         खाद्यन्न – 141.59 मिलियन टन
·         चावल – 99.24 मिलियन टन
·         पौष्टिक /मोटे आनाज– 33.13 मिलियन टन
·         मक्का – 21.47 मिलियन टन
·         दलहन – 9.22 मिलियन टन
·         अरहर – 4.08 मिलियन टन
·         उड़द – 2.65 मिलियन टन
·         तिलहन – 22.19 मिलियन टन
·         सोयाबीन – 13.46 मिलियन टन
·         मूंगफली – 6.33 मिलियन टन
·         अरंडी– 1.52 मिलियन टन
·         कपास – 32.48 मिलियन गांठे (प्रत्येक 170 किलोग्राम)
·         जूट एवं मेस्ता -10.17 मिलियन गांठे (प्रत्येक 180 किलोग्राम)
·         गन्ना – 383.89 मिलियन टन
मानसून सीजन यानी 30 जून से लेकर 12 सितंबर, 2018 तक की अवधि के दौरान देश में कुल बारिश लम्बी अवधि के औसत (एलपीए) की तुलना में 8 प्रतिशत कम रही है। इस अवधि के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप में कुल वर्षा सामान्य रही है। तदनानुसार, ज्यादातर प्रमुख फसल उत्पादक राज्यों में सामान्य वर्षा हुई है। हालांकि, यह प्रारंभिक अनुमान है और राज्यों से इस बारे में आवश्यक जानकारी मिलने पर इनमें संशोधन किए जाएंगे।
प्रथम अग्रिम अनुमानों के मुताबिक 2018-19 के दौरान खरीफ खाद्यान्न का कुल उत्पादन 141.59 मिलियन टन होने का अऩुमान लगाया गया है। यह पिछले साल हुए 140.73 मिलियन टन के खरीफ खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 0.86 मिलियन टन अधिक है। इसके अलावा इस दौरान खरीफ खादयान्न उत्पादन पिछले पांच वर्षों (2012-13 से लेकर 2016-17 तक) के दौरान 129.65 मिलियन टन के औसत उत्पादन से 11.94 मिलियन टन अधिक है।
खरीफ चावल का कुल उत्पादन 99.24 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है। यह पिछले साल की 97.50 मिलियन टन की पैदावार से 1.74 मिलियन टन अधिक है, यहीं नहीं इस दौरान खरीफ चावल का उत्पादन पिछेल पांच वर्षों में हुए औसत उत्पादन से 6.64 मिलियन टन अधिक है।
देश में पौष्टिक/मोटे अनाजों का कुल उत्पादन वर्ष 2017-18 के 33.89 मिलियन टन की तुलना में घटकर 33.13 मिलियन टन के स्तर पर आ गया है। मक्का उत्पादन 21.47 मिलियन टन रहने की आशा है जो पिछले साल के 20.24 मिलियन टन के उत्पादन से 1.23 मिलियन टन अधिक है। इतना ही नहीं, यह पिछले पांच वर्षों में हुए औसत मक्का उत्पादन से 4.40 मिलियन टन अधिक है।
खरीफ दालों का कुल उत्पादन 9.22 मिलियन टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष में हुए 9.34 मिलियन टन की तुलना में 0.12 मिलियन टन कम है। हालांकि, खरीफ फसलों का अनुमानित उत्पादन पिछेल पांच वर्षों के औसत उथ्पादन से 2.67 मिलियन टन अधिक है.
देश में खरीफ तिलहन का कुल उत्पादन 22.19 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है जो वर्ष 2017-18 में हुए 21.00 मिलियन टन के उत्पादन के तुलना में 1.19 मिलियन टटन अधिक है। यहीं नहीं यह पिछले पांच वर्षों में हुए औसत उत्पादन की तुलना में 2.02 मिलियन टन अधिक है।
गन्ना उत्पादन 383.9 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है जो पिछले साल में हुए 376.90 मिलियन टन की तुलना में 6.99 मिलियन टन अधिक है। इसके अलावा, यह पिछले पांच वर्षों में हुए औसत उत्पादन की तुलना में 41.85 मिलियन टन अधिक है।
कपास का उत्पादन 32.48 मिलियन गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) और जूट एवं मेस्ता का उत्पादन 10.17 मिलियन गांठ (प्रत्येक 180 किलोग्राम) होने का अनुमान लगाया गया है।


Rajanish Kant बुधवार, 26 सितंबर 2018
शुगर इंडस्ट्री को मोदी सरकार का तोहफा
मंत्रिमंडल ने देश में आवश्‍यकता से अधिक चीनी उत्‍पादन से निपटने के लिए विस्‍तृत नीति को मंजूरी दी 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडलीय आर्थिक समिति ने आगामी चीनी सीजन 2018-19 में अधिक चीनी उत्‍पादन की संभावना को देखते हुए लागत संतुलन बनाकर चीनी क्षेत्र को समर्थन देने के लिए 5500 करोड़ रूपये की कुल सहायता की स्‍वीकृति दी है।
इस स्‍वीकृति से देश से चीनी के निर्यात को प्रोत्‍साहन मिलेगा और चीनी उद्योग को किसानों की बकाया गन्‍ना राशि का भुगतान करने में मदद मिलेगी।
बकाया स्‍टॉक अधिक होने के कारण तथा चीनी सीजन 2018-19 में अधिक उत्‍पादन की संभावना को देखते हुए इस सीजन में भी चीनी मिलों के लिए तरलता की समस्‍या बनी रहेगी। इसके परिणामस्‍वरूप किसानों के बकाया गन्‍ना मूल्‍यों मे अप्रत्‍याशित रूप से उच्‍च वृद्धि होगी।        
 सहायता विवरण:-
  •  चीनी सत्र 2018-19 में निर्यात बढ़ाने के लिए आंतरिक परिवहन, ढुलाई, हैंडलिंग तथा अन्‍य शुल्‍कों पर आय का खर्च वहन करके चीनी मिलों को सहायता प्रदान की जाएगी। इसके तहत बंदरगाह से 100 किलोमीटर के अंदर स्‍थापित मिलों के लिए 1000/एमटी रूपये, तटीय राज्‍यों में बंदरगाह से 100 किलोमीटर आगे स्‍थापित मिलों के लिए 2500/एमटी रूपये तथा तटवर्तीय राज्‍यों के अलावा दूसरी जगहों की मिलों के लिए 3000/एमटी की दर या वास्‍तविक खर्च आधार पर खर्च वहन किया जाएगा। इस पर लगभग कुल 1375 करोड़ रूपये का खर्च आएगा और इसका वहन सरकार करेगी।
  •  किसानों की बकाया गन्‍ना राशि चुकाने में चीनी मिलों की सहायता के लिए सरकार ने चीनी मिलों को चीनी सत्र 2018-19 में 13.88 रूपये प्रति क्विंटल पेरे हुए गन्‍ने की दर से वित्‍तीय सहायता दी का निर्णय लिया है, ताकि गन्‍ने की लागत का समायोजन हो सके। यह सहायता केवल उन मिलों की दी जाएगी जो खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा निर्धारित शर्तें पूरी करती हैं। इस पर कुल 4163 करोड़ रूपये का खर्च आएगा और सरकार इसका वहन करेगी।
  • किसानों के गन्‍ने की बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए दोनों प्रकार की सहायता राशि चीनी मिलों की ओर से सीधे किसानों के खातों में भेज दी जाएगी। एफआरपी के लिए चीनी मिलें किसानों के खेतों में यह राशि देय बकाया राशि के रूप में देंगी।
  •  इसमें पहले के वर्षों की बकाया राशि और बाद की शेष राशि, यदि कोई हो तो, मिलों के खातों में भेजी जाएगी। यह सहायता उन्‍हीं मिलों को दी जाएगी जो सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता शर्ते पूरी करेंगे।
पृष्‍ठभूमि:   
बाजार की मंदी और चीनी मूलयों मे गिरावट के कारण चीनी सत्र 2017-18 में चीनी मिलों की तरलता की स्थिति प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई। इससे गन्‍ना किसानों की बकाया राशि बढ़ती गई और मई 2018 के अंतिम सप्‍ताह  में बकाया राशि 23,232 करोड़ रूपये के चिंताजनक स्‍तर पर पहुंच गई।
चीनी की कीमतों को उचित स्‍तर पर लाने तथा मिलों की तरलता स्थिति सुधारने के लिए चालू चीनी सत्र 2017-18 के बकाया गन्‍ना मूल्‍यों का भुगतान किसानों को करने में चीनी मिलों की सहायता के लिए केंद्र सरकार ने पिछले छह महीनों में निम्‍नलिखित कदम उठाएं:
  1. देश में किसी तरह के आयात को नियंत्रित करने के लिए चीनी के आयात पर सीमा शुल्‍क 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया।
  2. चीनी उद्योग को चीनी निर्यात की संभावना तलाशने में प्रोत्‍साहन के लिए चीनी निर्यात पर सीमा शुल्‍क वापस लिया गया।
  3. चीनी सत्र 2017-18 के दौरान निर्यात के लिए मिल के अनुसार 20 एलएमटी का न्‍यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्‍यू) आवंटित किया गया।
  4. चीनी मिलों द्वारा आवश्‍यकता से अधिक चीनी के निर्यात में सहायता और प्रोत्‍साहन देने के लिए चीनी के संबंध में शुल्‍क मुक्‍त आयात प्राधिकार (डीएफआईए) योजना फिर से लागू की गई।
  5. गन्‍ने के मूल्‍य के समायोजन के लिए चीनी मिलों को, चीनी सत्र 2017-18 के दौरान 5.50 क्विंटल पिराई किए गए गन्‍ने की दर से वित्‍तीय सहायता प्रदान की गई।
  6. अधिसूचित चीनी मूल्‍य (नियंत्रण) आदेश, 2018 में निर्देश दिया गया है कि कोई चीनी उत्‍पादक फैक्‍ट्री गेट पर 29 रूपये प्रति किलोग्राम से कम दर पर श्‍वेत/शोधित चीनी न‍हीं बेचेगा। इसके साथ-साथ मिलों पर स्‍टॉक रखने की सीमा भी लगाई जाएगी।
  7. 30 एलएमटी चीनी के सुरक्षित स्‍टॉक की देखभाल एक वर्ष के लिए चीनी मिलें करेंगी। इसके लिए सरकार लगभग 1175 करोड़ रूपये की ढुलाई लागत वहन करेगी।
  8. एथनॉल उत्‍पादन क्षमता मजबूत बनाने और एथनॉल उत्‍पादन में चीनी के उपयोग को प्रोत्‍साहित करने के लिए नई डिस्टिलरी स्‍थापित करने वाली मिलें/वर्तमान डिस्टिलरी का विस्‍तार/राख बनाने वाले बॉयलरों की स्‍थापना तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्‍वीकृत किसी और प्रणाली की स्‍थापना के लिए 4440 करोड़ रूपये के सुलभ ऋण की मंजूरी पहले ही दी गई है। सरकार 1332 करोड़ रूपये की ब्‍याज सहायता राशि वहन करेगी।
उपरोक्‍त कदमों के परिणामस्‍वरूप चीनी का अखिल भारतीय औसत मिल मूल्‍य 24-7 रूपये किलोग्राम से बढ़कर 30-33 रूपये किलोग्राम की बीच हो गया तथा किसानों का बकाया अखिल भारतीय गन्‍ना मूल्‍य घटकर 12988 करोड़ रूपये हो गया। यह बकाया राशि चीनी सत्र 2017-18 के लिए राज्‍य परामर्श मूल्‍य (एसएपी) पर लगभग 23232 करोड़ रूपये थी। एफआरपी आधार पर किसानों का बकाया अखिल भारतीय गन्‍ना राशि 14538 करोड़ रूपये के शिखर से गिरकर 5312 करोड़ रूपये हो गई।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant