बैंकों के लिए संशोधित त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) फ्रेमवर्क की प्रमुख विशेषताएँ 
क. संशोधित फ्रेमवर्क में पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता निगरानी के प्रमुख क्षेत्र बने रहेंगे। 
ख. पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता के लिए जिन इंडिकटरों को ट्रैक किया जाएगा वे क्रमशः सीआरएआर / कॉमन ईक्विटी टियर I अनुपात1, नेट एनपीए अनुपात2 और परिसंपत्तियों पर प्रतिलाभ (रिटर्न ऑन एसेट्स)3 होंगे। 
ग. पीसीए फ्रेमवर्क के भाग के रूप में अतिरिक्त निगरानी के तौर पर लीवरेज की निगरानी की जाएगी। 
घ. जोखिम संबंधी किसी प्रारम्भिक (threshold) सीमा के उल्लंघन (जैसा कि नीचे उल्लेख है) पर त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई योजना/ फ्रेमवर्क को लागू किया जा सकेगा। 
| पीसीए मैट्रिक्स (PCA matrix) - क्षेत्र, इंडिकेटर और जोखिम संबंधी प्रारम्भिक (threshold) सीमाएं |  
 | इंडिकेटर | जोखिम संबंधी प्रारम्भिक सीमा 1 (Threshold 1) | जोखिम संबंधी प्रारम्भिक सीमा 2 (Threshold 2) | जोखिम संबंधी प्रारम्भिक सीमा 3 (Threshold 3) |  
| क्षेत्र |  |  |  |  |  
पूंजी 
(सीआरएआर अथवा सीईटी 1 अनुपात का भंग होना पीसीए को ट्रिगर कर सकता है) | सीआरएआर - जोखिम परिसंपत्ति अनुपातगत न्यूनतम विनियामी पूंजी निर्धारण + लागू पूंजी कंजर्वेशन बफर (CCB) 
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 10.25% मौजूदा न्यूनतम निर्धारण (31 मार्च 2017 को न्यूनतम कुल पूंजी 9% + CCB का 1.25%*) 
और/अथवा 
CET 1(min) + लागू पूंजी कंजर्वेशन बफर (CCB) के लिए विनियामी पूर्व निर्धारित ट्रिगर 
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मौजूदा 6.75% न्यूनतम निर्धारण (31 मार्च 2017 को 5.5%+ 1.25%* पूंजी कंजर्वेशन बफर) या तो सीआरएआर अथवा सीईटी 1 अनुपात के भंग होने पर पीसीए ट्रिगर हो सकता है। | इंडिकेटर से नीचे 250 bps तक 
 
 
<10.25% किन्तु >=7.75% 
 
 
 
इंडिकेटर से नीचे 162.50 bps तक 
 
 
<6.75% किन्तु >= 5.125% | इंडिकेटर से नीचे 250 bps से अधिक किन्तु 400 bps से तक 
 
 
<7.75% किन्तु >=6.25% 
 
 
इंडिकेटर से नीचे 162.50 bps से अधिक किन्तु 312.50 bps तक 
 
<5.125% किन्तु >=3.625% | - 
 
 
- 
 
 
इंडिकेटर से नीचे 312.50 bps से अधिक 
 
<3.625% |  
| परिसंपत्ति गुणवत्ता | निवल अनर्जक अग्रिम (एनपीए) अनुपात | >=6.0% किन्तु <9.0% | >=9.0% किन्तु < 12.0% | >=12.0% |  
| लाभप्रदता | परिसंपत्तियों पर प्रतिलाभ (ROA) | लगातार दो वर्षों तक परिसंपत्तियों पर नकारात्मक प्रतिलाभ | लगातार तीन वर्षों तक परिसंपत्तियों पर नकारात्मक प्रतिलाभ | लगातार चार वर्षों तक परिसंपत्तियों पर नकारात्मक प्रतिलाभ |  
| लीवरेज | टियर 1 लीवरेज अनुपात4 | <=4.0% किन्तु > = 3.5% 
(टियर 1 पूंजी के 25 गुने से अधिक लीवरेज) | < 3.5% (टियर 1 पूंजी के 28.6 गुने से अधिक लीवरेज) |  |  
| *31 मार्च 2018 और 31 मार्च 2019 को क्रमशः पूंजी कंजर्वेशन बफर 1.875% और 2.5% होगा। |  
 
I) सीईटी 1 के तहत ‘प्रारम्भिक (threshold) जोखिम-3’ के भंग होने पर संबन्धित बैंक समामेलन, पुनर्निर्माण, समापन आदि उपायों के जरिए समाधान का आवेदक हो सकेगा। 
II) अपने जमाकर्ताओं के प्रति प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में किसी बैंक द्वारा चूक होने के मामले में, पीसीए मैट्रिक्स को संदर्भित किए बिना संभावित समाधान की प्रक्रिया का आश्रय लिया सकेगा। 
ड. पहचाने गए इंडिकेटरों के तहत प्रारम्भिक (threshold) जोखिम सीमा के उल्लंघन पर, पीसीए फ्रेमवर्क भारत में परिचालनकर्ता सभी बैंकों पर निरपवाद रूप से लागू होगा जिनमें छोटे बैंक और शाखाओं या सहायक कंपनियों के जरिए परिचालन करने वाले विदेशी बैंक भी शामिल हैं। 
च. लेखा परीक्षित वार्षिक वित्तीय परिणामों/निष्कर्षों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए पर्यवेक्षी मूल्यांकन के आधार पर किसी बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा जा सकेगा। हालांकि, परिस्थितिजन्य मामले में, रिजर्व बैंक एक वर्ष के दौरान भी किसी बैंक पर पीसीए (एक प्रारम्भिक सीमा से दूसरी प्रारम्भिक सीमा में अंतरण सहित) को लागू कर सकता है। 
| अनिवार्य और स्वविवेकाधीन कार्रवाई (MDA) |  
| निर्धारण | अनिवार्य कार्रवाई | स्वविवेकाधीन कार्रवाई |  
| जोखिम Threshold 1 | लाभांश वितरण/लाभ के विप्रेषण पर प्रतिबंध 
विदेशी बैंकों के मामले में प्रवर्तक/ मालिक/मूल कंपनी पूंजी (भारत) लाएं | सामान्य मेन्यू 
विशेष पर्यवेक्षी विचार-विमर्श 
रणनीति से संबंधित 
नियंत्रण से संबंधित 
पूंजी से संबंधित 
ऋण जोखिम से संबंधित 
बाजार जोखिम से संबंधित 
मानव संसाधन से संबंधित 
लाभप्रदता से संबंधित 
परिचालन से संबंधित 
अन्य मामले |  
| जोखिम Threshold 2 | थ्रेसहोल्ड 1 की अनिवार्य कार्रवाई के अलावा, 
घरेलू/विदेश में शाखा विस्तार पर प्रतिबंध 
कवरेज काल (regime) के दौरान उच्चतर प्रावधान |  
| जोखिम Threshold 3 | थ्रेसहोल्ड 1 की अनिवार्य कार्रवाई के अलावा, 
घरेलू/विदेश में शाखा विस्तार पर प्रतिबंध 
यथा लागू प्रबंधन को प्रतिपूर्ति और निदेशकों की फीस पर प्रतिबंध/रोक |  
 
स्वविवेकाधीन सुधारात्मक कार्रवाईयाँ के चयन के लिए सामान्य मेन्यू 
1. विशेष पर्यवेक्षी विचार विमर्श 
त्रैमासिक या अन्य निर्धारित अंतराल पर विशेष पर्यवेक्षी निगरानी बैठकें (एसएसएमएम)। 
 
बैंक का विशेष निरीक्षण / लक्षित (targeted) संवीक्षा। 
 
बैंक की विशेष लेखा परीक्षा। 
 
 
2. रणनीति से संबंधित कार्रवाई 
भारतीय रिज़र्व बैंक के बोर्ड को सूचित कर सकता है कि: 
पर्यवेक्षक द्वारा विधिवत अनुमोदित वसूली योजना को (बैंक) प्रारम्भ करे | 
 
व्यापार (business) मॉडल के स्थायित्व, व्यापारिक स्वरूपों और गतिविधियों की लाभप्रदता, मध्यम और दीर्घकालिक (अर्थ) सक्षमता, बैलेंस शीट अनुमानों, आदि के संदर्भ में व्यापार मॉडल की विस्तृत समीक्षा करे। 
 
तात्कालिक चिंताओं को दूर करने के लिए उन पर ध्यान केंद्रित कर अल्पकालिक रणनीति की समीक्षा करे। 
 
मध्यम अवधि की कारोबारी योजनाओं की समीक्षा करे, साध्य लक्ष्य निर्धारित करे और प्रगति तथा उपलब्धि के लिए ठोस लक्ष्य निर्धारित करे। 
 
कारोबारी वृद्धि / संकुचन की संभावना तलाशने के लिए सभी व्यावसायिक स्वरूपों की समीक्षा करे। 
 
जैसा उपयुक्त हो, व्यवसाय प्रक्रिया की पुनर्रचना (reengineering) करे। 
 
जैसा उपयुक्त हो, परिचालन का पुनर्गठन करे। 
 
 
3. नियंत्रण संबंधी कार्रवाई : 
अपेक्षानुसार भारतीय रिज़र्व बैंक विभिन्न पहलुओं पर बैंक के बोर्ड के साथ सक्रिय रूप में जुड़े। 
 
भारतीय रिज़र्व बैंक मालिकों (सरकार / प्रोमोटरों / विदेशी बैंक शाखा की पैरेंट एंटिटी) को नए प्रबंधन/ बोर्ड को लाने की सिफारिश करे। 
 
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 36 एए के तहत प्रबंधकीय व्यक्ति को हटाना। 
 
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 36 एसीए के तहत बोर्ड का अधिक्रमण करना/ अथवा उपयुक्त समझने पर बोर्ड को निलंबित करने हेतु सिफारिश करना । 
 
भारतीय रिज़र्व बैंक विनियामी दिशानिर्देशों के तहत राशि वापस लाने (claw back) तथा गलत शर्तों (malus clause) को हटाने या बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत अन्य प्रतिबंध अथवा शर्तों को लागू करने की अपेक्षा कर सकता है। 
 
निदेशकों या प्रबंधन को मुआवजे पर, यथा लागू हो सकने योग्य, प्रतिबंध लागू कर सकता है। 
 
 
4. पूंजी संबंधी कार्रवाई 
पूंजी जुटाने की आयोजना की बोर्ड स्तर पर विस्तृत समीक्षा करना। 
 
अतिरिक्त पूंजी जुटाने के लिए योजनाएं और प्रस्ताव प्रस्तुत करना। 
 
बैंक से अपेक्षा करना कि वह मुनाफे को जमा करने के जरिए आरक्षित (reserve) राशि को मजबूत करे। 
 
सहायक / सहयोगी कंपनियों (associates) में निवेश पर प्रतिबंध। 
 
पूंजी के संरक्षण के लिए उच्च जोखिम-भारित परिसंपत्तियों के विस्तार पर प्रतिबंध। 
 
पूंजी के संरक्षण करने के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्र (में निवेश/ऋण देने) से परहेज। 
 
सहायक कंपनियों और समूह की अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाने पर प्रतिबंध। 
 
 
5. क्रेडिट जोखिम से संबंधित कार्रवाई 
एनपीए के स्टॉक में कमी के लिए समयबद्ध योजना और प्रतिबद्धताएं तैयार करना। 
 
नये एनपीए बनने को रोकने के लिए योजना तैयार करना और प्रतिबद्धता बढ़ाना । 
 
ऋण समीक्षा तंत्र को मजबूत बनाना। 
 
कतिपय रेटिंग ग्रेड से नीचे ग्रेड वाले उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट देने पर प्रतिबंध / में कमी करना। 
 
जोखिम परिसंपत्तियों में कमी। 
 
बिना रेंटिंग वाले उधारकर्ताओं को क्रेडिट देने पर प्रतिबंध / में कमी करना। 
 
बेजमानती जोखिमों में कटौती करना। 
 
चिन्हित क्षेत्रों, उद्योगों या उधारकर्ताओं में ऋण संकेद्रण में कमी करना । 
 
परिसंपत्ति की बिक्री । 
 
क्षेत्रों की पहचान (भौगोलिक क्षेत्रवार, उद्योग खंडवार, उधारकर्ता वार, आदि) के जरिए परिसंपत्ति की वसूली के लिए कार्रवाई कार्य योजना तैयार करना और समर्पित वसूली टास्क फोर्स, अदालत आदि के जरिए वसूली सुनिश्चित करना । 
 
 
6. मार्केट जोखिम से संबंधित कार्रवाई 
अंतर-बैंक बाजार से उधार लेने पर प्रतिबंध/ में कमी। 
 
थोक जमा राशियों / महंगी जमा / जमा प्रमाणपत्र तक पहुँच/के नवीकरण पर प्रतिबंध लगाना। 
 
डेरिवेटिव गतिविधियों, डेरिवेटिव जो संपार्श्विक प्रतिभूतियों से प्रतिस्थापन की अनुमति देते हैं, पर प्रतिबंध लगाना। 
 
धारित संपार्श्विक प्रतिभूतियों के अतिरिक्त रखरखाव पर प्रतिबंध जो कि प्रतिपक्ष द्वारा किसी भी समय संविदा के आधार पर वापस ली जा सकती हैं । 
 
 
7. मानव संसाधन से संबंधित कार्रवाई 
8. लाभप्रदता से संबंधित कार्रवाई 
- बोर्ड द्वारा अनुमोदित सीमाओं के भीतर तकनीकी उन्नयन के अलावा पूंजीगत व्यय पर प्रतिबंध।
 
 
9. परिचालन से संबंधित कार्रवाई 
घरेलू या विदेशी शाखा विस्तार योजना पर प्रतिबंध। 
 
विदेशी शाखाओं / सहायक कंपनियों / अन्य संस्थाओं में कारोबारी कमी। 
 
व्यापार के नये क्षेत्रों /प्रकारों में प्रवेश पर प्रतिबंध। 
 
गैर-निधि आधारित व्यवसाय में कटौती के जरिये लीवरेज में कटौती। 
 
जोखिमग्रस्त हो सकने वाली परिसंपत्तियों में कमी। 
 
गैर-ऋण परिसंपत्ति निर्माण पर प्रतिबंध। 
 
यथा विनिर्दिष्ट व्यवसाय करने पर प्रतिबंध। 
 
 
कोई भी अन्य विशेष कार्रवाई, जो बैंक की विशेष परिस्थितियों के मद्देनजर भारतीय रिज़र्व बैंक करना उपयुक्त समझता हो। 
 
 
 
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