RBI ने एक्सपीरियन क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी ऑफ इंडिया पर जुर्माना लगाया, जानिये क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक्सपीरियन क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 3 मार्च 2025 के आदेश द्वारा एक्सपीरियन क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (कंपनी) पर प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 [सीआईसी (आर) अधिनियम] और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी नियमावली, 2006 [सीआईसी नियमावली] के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 2,00,000/- (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) के खंड (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2023 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सीआईसी (आर) अधिनियम और सीआईसी नियमावली के प्रावधानों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधानों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

  1. कंपनी ने ऋण सूचना से संबंधित विसंगति के बारे में साख संस्थाओं को अनुरोध प्राप्त होने की तारीख से सातवें दिन तक सूचना नहीं भेजी; और

  2. कंपनी ने न तो साख सूचना को अद्यतन/संशोधित किया और न ही अद्यतन/संशोधन हेतु अनुरोध प्राप्त होने के 30 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर उधारकर्ताओं को ऐसा करने में अपनी असमर्थता के बारे में सूचित किया।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(Source: www.rbi.org.in)

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