भारतीय रिज़र्व बैंक ने फेयरएसेट्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (‘फेयरसेंट’) पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 11 फरवरी 2025 के आदेश द्वारा फेयरएसेट्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (कंपनी) (जिसे “फेयरसेंट” भी कहा जाता है) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2017’ के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹40 लाख (चालीस लाख रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
सितंबर 2023 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी की जांच की गई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
कंपनी ने:
व्यक्तिगत उधारदाताओं के विशिष्ट अनुमोदन के बिना ऋण संवितरित किए;
उधारकर्ताओं का ऋण मूल्यांकन और जोखिम प्रोफ़ाइल संभावित ऋणदाताओं के समक्ष प्रकट नहीं किया;
प्रबंधन शुल्क को आंशिक/पूर्ण रूप से त्यागकर आंशिक ऋण जोखिम उठाया, जो एनबीएफसी-पी2पी कंपनियों के लिए ‘गतिविधियों के दायरे’ के अंतर्गत प्रदान नहीं किया गया था; और
भारतीय रिज़र्व बैंक के 'निधि अंतरण प्रणाली' संबंधी निदेशों का अनुपालन नहीं किया गया, जब उसने किसी विशिष्ट उधारकर्ता से किसी विशिष्ट ऋणदाता को चुकौती के बजाय नए/ मौजूदा ऋणदाताओं द्वारा उपलब्ध कराई गई नई निधियों से या उधारकर्ताओं से एकत्रित चुकौतियों के माध्यम से ऋणदाताओं को चुकौती की अनुमति दी।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(Source: www.rbi.org.in)
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