RBI ने लक्ष्मीबाई महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने लक्ष्मीबाई महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, ग्वालियर, मध्य प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 13 फरवरी 2025 के आदेश द्वारा लक्ष्मीबाई महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, ग्वालियर, मध्य प्रदेश (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों, उनके रिश्तेदारों और फर्मों/संस्थाओं, जिनमें उनका हित हो, को ऋण और अग्रिम, और 'प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) - लक्ष्य और वर्गीकरण' संबंधी कतिपय निदेशों और पीएसएल की लक्ष्य प्राप्ति में कमी के कारण सूक्ष्म और लघु उद्यम (एमएसई) पुनर्वित्त निधि में योगदान करने पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विशिष्ट निदेशों के अननुपालन के लिए 4.20 लाख (चार लाख बीस हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2023 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया था। इसके अलावा, आरबीआई द्वारा बैंक को विशिष्ट निदेशों के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पीएसएल लक्ष्य की प्राप्ति में कमी के एवज में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रशासित एमएसई पुनर्वित्त कोष में एक नियत राशि जमा करने का निदेश दिया गया था। निर्दिष्ट राशि जमा करने में विफल रहने पर, आरबीआई द्वारा एक सजग करने वाला पत्र जारी किया गया, जिसमें बैंक को नियत राशि जमा करने हेतु सूचित किया गया था, लेकिन बैंक इसे जमा करने में विफल रहा।

सांविधिक निरीक्षण के दौरान पाए गए भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों, विशिष्ट निदेशों के अननुपालन तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक ने:

  1. निदेशक संबंधी ऋण स्वीकृत किए; और

  2. चेतावनी पत्र जारी होने के बाद भी, निर्धारित समय के भीतर, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पीएसएल लक्ष्य की प्राप्ति में कमी के एवज में सिडबी द्वारा प्रशासित एमएसई पुनर्वित्त निधि में निर्दिष्ट राशि जमा करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार: www.rbi.org.in)

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