भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति एवं प्रगति संबंधी रिपोर्ट 2023-24
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 36 (2) के अनुपालन में आज ‘भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति एवं प्रगति संबंधी रिपोर्ट 2023-24’ जारी की। यह रिपोर्ट वर्ष 2023-24 के दौरान और 2024-25 में अब तक, वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं सहित बैंकिंग क्षेत्र के कार्य-निष्पादन को प्रस्तुत करती है।
प्रमुख बिंदु
वर्ष 2023-24 के दौरान मजबूत ऋण वृद्धि के कारण अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के समेकित तुलन पत्र में विस्तार हुआ।
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) सितंबर 2024 के अंत में 16.8 प्रतिशत था, जिसमें सभी बैंक समूहों ने न्यूनतम विनियामकीय आवश्यकताओं और सामान्य इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) अनुपात आवश्यकताओं को पूरा किया।
आस्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ और सकल अनर्जक आस्ति (जीएनपीए) अनुपात, मार्च 2024 के अंत में 2.7 प्रतिशत और सितंबर 2024 के अंत में 2.5 प्रतिशत पर, 13 वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया।
बैंकों की लाभप्रदता में 2023-24 में लगातार छठे वर्ष वृद्धि हुई जो 2024-25 की पहली छमाही में भी जारी रही। आस्ति पर प्रतिलाभ (आरओए) 1.4 प्रतिशत और इक्विटी पर प्रतिलाभ (आरओई) 14.6 प्रतिशत रहा।
शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के संयुक्त तुलन पत्र में 2023-24 में विस्तार हुआ, जिसमें लगातार तीसरे वर्ष आस्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ और साथ ही पूंजी बफर और लाभप्रदता में सुदृढ़ता आई।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र में दोहरे अंकों में ऋण वृद्धि हुई, वहीं उसके गैर-जमानती ऋण में कमी आई और आस्ति गुणवत्ता में और सुधार हुआ। सितंबर 2024 के अंत में जीएनपीए अनुपात घटकर 3.4 प्रतिशत हुआ। मजबूत पूंजी बफर के कारण सितंबर 2024 के अंत में सीआरएआर निर्धारित मानदंड से काफी ऊपर रहा।
(साभार: www.rbi.org.in)
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