RBI ने महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज पर भारी भरकम जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 अप्रैल 2023 के आदेश द्वारा, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड, मुंबई (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016' के अननुपालन के लिए ₹6.77 (छः करोड़ सतहत्तर लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई, विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 और 31 मार्च 2020 तक की कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया। जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, ऋण स्वीकृत करते समय उधारकर्ताओं को ऋण पर लगाए जाने वाले ब्याज की वार्षिक दर के प्रकटीकरण से संबंधित उचित प्रणालियों पर भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशों के कंपनी द्वारा अननुपालन और वित्तीय वर्ष 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान ऋण की स्वीकृति के समय उधारकर्ताओं को सूचित किए गए ब्याज दर से अधिक ब्याज दर प्रभारित करते समय अपने उधारकर्ताओं को ऋण की नियमों एवं शर्तों में बदलाव की सूचना देने में विफलता का पता चला। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और उसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपरोक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(साभार: www.rbi.org.in)

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