देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का प्रतिबंध झेल रहे महाराष्ट्र के यवतमाल के बाबाजी दाते महिला सहकारी बैंक के ग्राहकों के लिए बुरी खबर है।RBI ने 9 नवंबर 2022 के एक आदेश बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया। बैंक अबब 11 नवंबर के कारोबार की समाप्ति से बैंकिंग कारोबार नहीं कर पाएंगा।
RBI ने साथ ही महाराष्ट्र के सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से बैंक को बंद करके बैंक के लिए एक परिसमापक (liquidator)नियुक्त करने का आदेश भी जारी करने का अनुरोध किया है
इन 5 कारणों से बैंक का लाइसेंस रद्द किया गया है.....
1-बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावना नहीं है। इस प्रकार, यह बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का पालन नहीं करता है।
2-बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 22 (3) (ए), 22 (3) (बी), 22 (3) (सी), 22 (3) (डी) और 22 (3) (ई) की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है; यानी बैंक मौजूदा कानून के कई प्रावधानों का पालन करने में नाकाम रहा है
3-बैंक को जारी रखना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है;
4-बैंक अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति के कारण अपने मौजूदा जमाकर्ताओं का पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ
होगा; और
5- यदि बैंक को आगे अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो सार्वजनिक
हित पर खराब प्रभाव पड़ेगा।
रिजर्व बैंक ने आगे कहा है कि, बैंक का लाइसेंस रद्द कर देने के बाद बाबाजी दाते महिला सहकारी बैंक को तुरंत प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (बी) में परिभाषित 'बैंकिंग'
कारोबार, जिसमें दूसरे काम के अलावा जमाराशि को स्वीकार करना और जमाराशि की चुकौती शामिल है, पर रोक लगा दी गई है।
> बैंक के ग्राहकों का कितना पैसा वापस मिलेगा-
बैंक तो बंद हो गया। ऐसे में अब सवाल उठता है कि बैंक के खाताधारकों को क्या पूरा पैसा वापस मिल सकेगा या पैसा गंवाना पड़ेगा। तो, इसके जवाब में आरबीआई का कहना है कि लाइसेंस रद्द करने और परिसमापन ( liquidation) कार्यवाही शुरू करने के साथ, डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अनुसार, बाबाजी दाते महिला सहकारी बैंक के जमाकर्ताओं के भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
यानी बैंक के जमाकर्ताओं को अपनी जमा राशि के पूरे पैसे अब बैंक से नहीं, बल्कि निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC)से मिलेंगे।
परिसमापन के बाद, हरेक जमाकर्ता को डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अधीन निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से अपनी जमाराशि का ₹ 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक की जमाराशि, बीमा दावा राशि का अधिकार प्राप्त होगा यानी 5 लाख रुपए तक ही किसी भी ग्राहक को मिलने की उम्मीद है, भले ही बैंक में उनके कितने भी अकाउंट हो और उन अकाउंट में चाहे कितना भी पैसे क्यों ना जमा हो।
कहने का मतलब है कि अगर बैंक में किसी का 10 लाख रुपया जमा है तो उसे केवल 5 लाख ही मिलेंगे, बाकी के
5 लाख रुपए भूलना होगा। अगर किसी व्यक्ति का 6 लाख जमा है तो उसे 1 लाख भूलना होगा, अगर 7 लाख जमा है, तो उसे बाकी के 2 लाख भूलना होगा।
RBI ने आगे कहा है कि डीआईसीजीसी ने बैंक के जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमति के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के तहत 16 अक्टूबर 2022 तक कुल बीमाकृत जमा के 294.64 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है।
RBI का कहना है कि बैंक द्वारा दिए गए डाटा के अनुसार 79% से अधिक जमाकर्ता डीआईसीजीसी से अपनी पूरी जमाराशि प्राप्त करने के हकदार हैं।
बैंक पर सबसे पहले 8 नवंबर 2021 के कारोबार की समाप्ति से छह महीने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे समय समय पर बढ़ाया जाता रहा और अब 9 नवंबर के आदेश से बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया।
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(साभार: www.rbi.org.in)
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