पन्ना के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित पर RBI ने जुर्माना लगाया

 भारतीय रिज़र्व बैंक ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, पन्ना (म.प्र.) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने दिनांक 24 फरवरी 2022 के एक आदेश द्वारा, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, पन्ना (म.प्र.) (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) के प्रावधानों, जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष योजना, 2014 (योजना) और भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) पर जारी निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन के लिए 1.00 लाख (केवल एक लाख रुपये) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट और अन्य बातों के साथ-साथ पता चला कि बैंक ने (i) दस वर्ष से अधिक की अवधि के लिए निष्क्रिय खातों में पड़ी पात्र राशि को जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में स्थानांतरित नहीं किया गया, (ii) अधिनियम की धारा 26-ए के प्रावधानों, योजना और अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) संबंधी निदेशों का उल्लंघन / अननुपालन करते हुए अलर्ट उत्पन्न करने और संदिग्ध लेनदेन की निगरानी करने के लिए कोई प्रणाली नहीं है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया था कि वे कारण बताएं कि निदेशों के अननुपालन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण और बैंक द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अधिनियम के प्रावधानों और आरबीआई निदेशों के अननुपालन के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(साभार-www.rbi.org.in) 

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