तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का
बकाया ऋण – जून 2021
भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘तिमाही आधारभूत सांख्यिकी विवरणियाँ (बीएसआर)-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का बकाया ऋण, जून 2021’ शीर्षक से अपना वेब प्रकाशन अपने भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस (डीबीआईई) नामक पोर्टल (वेब-लिंक: https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!12) पर जारी किया। इसमें बैंक ऋण की विभिन्न विशेषताओं जैसे व्यवसाय/गतिविधि और उधारकर्ता के संगठनात्मक क्षेत्र, खाते के प्रकार और ब्याज दरों को शामिल किया जाता है । 88 एससीबी (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़े, बैंक समूहों, जनसंख्या समूहों और राज्य वार प्रस्तुत किए गए हैं1।
मुख्य बातें:
बैंक ऋण की संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) में एक तिमाही पहले के 5.1 से जून 2021 में 5.8 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से कुछ नरमी के बाद व्यक्तिगत ऋण वृद्धि वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 14.8 प्रतिशत तक तेज हो गई; जून 2021 में बैंक ऋण में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 26.6 प्रतिशत हो गई (एक वर्ष पहले 24.5 प्रतिशत और पांच वर्ष पहले 18.9 प्रतिशत)।
औद्योगिक क्षेत्र में बैंक ऋण में गिरावट जारी रही, जिसके परिणामस्वरूप कुल ऋण में इसकी हिस्सेदारी घटकर 28.6 प्रतिशत (एक वर्ष पहले 30.8 प्रतिशत और पांच वर्ष पहले 40.7 प्रतिशत) हो गई।
घरेलू क्षेत्र2 में व्यक्तियों के लिए ऋण में वृद्धि जारी रही और कुल ऋणों में उनका हिस्सा पांच वर्ष पहले के 34.2 प्रतिशत से बढ़कर 43.3 प्रतिशत हो गया; व्यक्तियों को दिए जाने वाले ऋण की राशि में महिला उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी लगभग 22 प्रतिशत थी।
कार्यशील पूंजी ऋण (अर्थात, नकद ऋण, ओवरड्राफ्ट और मांग ऋण) कुल ऋण का एक तिहाई था और उसके बाद वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में मौसमी संकुचन आया; फिर भी, उनकी वार्षिक वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष), हाल के तिमाही में सकारात्मक रही।
शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण केंद्र की बैंक शाखाओं ने जून 2021 में दोहरे अंकों में ऋण संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) बनाए रखा, लेकिन महानगरीय शाखाओं द्वारा दिये गए ऋण, जो कुल ऋण का लगभग 63 प्रतिशत था, ने 2.7 प्रतिशत की न्यून संवृद्धि दर्ज की।
अपनी तेज ऋण वृद्धि के साथ, निजी क्षेत्र के बैंकों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कीमत पर कुल ऋण में अपनी हिस्सेदारी को पाँच वर्ष पहले के 25.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 36.6 प्रतिशत कर दिया है, इसी अवधि में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की हिस्सेदारी 69.0 प्रतिशत से घटकर 58.1 प्रतिशत हो गई है।
जून 2021 में बकाया ऋण पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) 9.25 प्रतिशत रहा, जो हाल की तिमाही के दौरान 7 आधार अंक (बीपीएस) और पिछले एक वर्ष में 72 बीपीएस की कमी को दर्शाता है।
|
(साभार- www.rbi.org.in)
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
कोई टिप्पणी नहीं