गुजरात के दो सहकारी बैंकों पर जुर्माना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि महिला विकास को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद, गुजरात
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 11 अगस्त 2021 के आदेश द्वारा, दि महिला विकास को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) (बैंक) पर रिज़र्व बैंक द्वारा ‘निदेशकों आदि को ऋण एवं अग्रिम - प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण’ और ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशियों का निवेश’ के साथ पठित ‘निदेशक, रिश्तेदार तथा फर्म / प्रतिष्ठानों जिसमें उनका हित निहित है, को ऋण एवं अग्रिम’ पर जारी निदेशों का अनुपालन न करने के लिए 2.00 लाख (रुपये दो लाख केवल) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) तथा धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया और उस पर आधारित निरीक्षण रिपोर्ट से, और सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया था कि वे कारण बताएं कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण और बैंक के अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 


भारतीय रिज़र्व बैंक ने अहमदनगर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदनगर, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने, दिनांक 11 अगस्त 2021 के आदेश द्वारा अहमदनगर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदनगर, महाराष्ट्र (बैंक) पर आरबीआई द्वारा शहरी सहकारी बैंकों को जारी धोखाधड़ी- वर्गीकरण और रिपोर्टिंग संबंधी निदेशो के उल्लंघन/अननुपालन के लिए 13.00 लाख (तेरह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर इसके निरीक्षण रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि आरबीआई द्वारा जारी धोखाधड़ी- वर्गीकरण और रिपोर्टिंग संबंधी निदेशो का उल्लंघन/अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उक्त निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान बैंक द्वारा किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(साभार: www.rbi.org.in)

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