दिवाला प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने कॉरपोरेट दिवाला कार्यवाही के विनियमन में संशोधन किया है, जिसके तहत समाधान पेशेवर को कॉरपोरेट देनदार से संबंधित परिहार लेनदेन के बारे में अपनी राय देनी होगी।
आईबीबीआई ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) विनियमन में संशोधन किया है।
बुधवार को जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि विनियमन में संशोधन का उद्देश्य ‘‘कॉरपोरेट दिवाला कार्यवाही में अनुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही’’ को बढ़ाना है।
बयान के अनुसार एक समाधान पेशेवर यह पता लगाने के लिए कर्तव्यबद्ध है कि क्या एक कॉरपोरेट देनदार (सीडी) परिहार लेनदेन के अधीन है, यानी क्या वह कम मूल्य वाले लेनदेन, जबरन ऋण लेनदेन, धोखाधड़ी और गलत व्यापार में शामिल है।
इससे न सिर्फ ऐसे लेनदेन में खोए मूल्य की वापसी होती है, बल्कि समाधान योजना के माध्यम से कॉरपोरेट देनदार के पुनर्गठन की संभावना भी बढ़ जाती है और यह ऐसे लेनदेन को हतोत्साहित भी करता है।
(साभार- पीटीआई भाषा)
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