महाराष्ट्र के दो सहकारी बैंकों पर जुर्माना

 देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने निर्देशों का अनुपालन नहीं करने की वजह से महाराष्ट्र के दो सहकारी बैंकों पुणे के उद्यम सहकारी बैंक और सिंधुदुर्ग के सावंतवाड़ी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक जुर्माना लगाया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने उद्यम विकास सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 15 जुलाई 2021 के आदेश द्वारा उद्यम विकास सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे (बैंक) पर एक्सपोजर मानदंड और वैधानिक / अन्य प्रतिबंध -यूसीबी पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघन के लिए 2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर इसके निरीक्षण रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने (i) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक सकल जोखिम सीमा और (ii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक एकल काउंटर पार्टी सीमा का पालन नहीं किया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उक्त निदेश का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 


भारतीय रिज़र्व बैंक ने सावंतवाड़ी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिंधुदुर्ग पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 15 जुलाई 2021 के आदेश द्वारा सावंतवाड़ी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिंधुदुर्ग (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए तथा धारा 36 (1) के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा जारी पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा (एसएएफ़) में निहित निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन के लिए 1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी पूर्वोक्त एसएएफ अनुदेशों/निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर इसके निरीक्षण रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने नए ऋण स्वीकृत करके उपरोक्त एसएएफ अनुदेशों में से एक का उल्लंघन किया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि एसएएफ़ अनुदेशों निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(साभार: www.rbi.org.in)

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