लॉकडाउन में 80% भारतीय परिवारों की आमदनी घटी, 34% के पास एक हफ्ते के खर्च के बराबर पैसे बचे- स्टडी

सौ-फेसबुक
कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बीच केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे चरण के दौरान हालांकि 20 लाख करोड़ के आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की है। लेकिन,  हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैंं। मजदूरों का उनके अपने घरों की ओर लौटने का सिलसिला जारी है, लोगों की नौकरियां जा रही है, जो काम पर हैं भी उनकी सैलरी में कटौती की जा रही है। 

लॉकडाउन हर जाति, हर धर्म, हर राज्य, हर सेक्टर के लोगों को प्रभावित कर रहा है। एक ताजा अमेरिकी स्टडी के मुताबिक, लॉकडाउन में लोगों के घरों में बंद रहने की वजह से 84 प्रतिशत भारतीय परिवारों की आमदनी घटी है, जबकि बहुत से ऐसे परिवार हैं जिन्हें अगर तुरंत आर्थिक मदद नहीं मिली, तो सात दिनों से ज्यादा बचना मुश्किल है। The Chicago Booth’s Rustandy Center for Social Sector Innovation ने Centre For Monitoring Indian Economy द्वारा अप्रैल में किए गए सर्वे के आधार पर तैयार डेटा के विश्लेषण के बाद इसकी जानकारी दी है। अप्रैल में इस सर्वे के दौरान 27 राज्यों के 5800 घरों से डेटा इकट्ठा किया गया था। डेटा का विश्लेषण करना वालों का मानना है कि लॉकडाउन से गांव के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और उनके पास खराब आर्थिक हालात से बाहर निकलने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं। CMIE ने कुछ दिन पहले भी एक रिपोर्ट जारी किया था जिसमें कहा गया था कि 25 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के बाद से करीब 10 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं। 

लॉकडाउन से हिन्दू-मुसलमान समेत हर धर्म के लोगों की जिंदगी तबाह हो रही है। रोजी-रोटी के स्तर पर  लॉकडाउन से सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में शामिल है- त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और हरियाणा। 
इस रिपोर्ट में जो सबसे बड़ी चिंता जताई गई है वो ये है कि अगर 34 प्रतिशत भारतीयों कों आर्थिक मदद नहीं मिली, तो एक हफ्ते के बाद उनका जिंंदा रहना मुश्किल है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि जिनके पास आमदनी का स्थिर जरिया है, जो घर से काम कर रहे हैं और रोजी-रोटी के लिए लगातार पैसे कमा रहे हैं, उनकी आमदनी लॉकडाउन के बाद सबसे कम घटी है, लेकिन दिहाड़ी मजदूर,  खेती करने वाले, छोटे-मोटे रोजगार-धंधा करने वालों की आमदनी में सबसे ज्यादा कमी आई है। 






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