कोविड-19: सिलिकॉन वैली में छंटनी, वेतन में कटौती और भर्तियों पर रोक की तैयारी


भारतीय उद्यमियों और आईटी पेशेवरों के केंद्र सिलिकॉन वैली खुद को कोरोना वायरस महामारी के बाद की स्थितियों के लिए तैयार कर रहा है, जिसमें छंटनी, वेतन में कटौती और नई भर्तियों पर रोक शामिल है।

शीर्ष वेंचर निवेशक एम रंगास्वामी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी आईटी कंपनियों का दृष्टिकोण अलग हो सकता है, लेकिन कई स्टार्टअप या तो छंटनी करने की या वेतन में कटौती की तैयारी कर रहे हैं।

रंगास्वामी ने सिलिकॉन वैली में स्टार्टअप के रुख के बारे में कहा, ‘‘वे सभी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके पास कंपनी में 18 से 24 महीनों के लिए पर्याप्त नकदी हो। यह पैसा जुटाने के लिए एक बुरा समय है, क्योंकि अगर वे इस समय धनराशि जुटाने की कोशिश करेंगे, तो उन्हें बहुत खराब मूल्यांकन मिलेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में मुझे लगता है कि अगले महीने आप बे एरिया में बड़ी संख्या में बेरोजगारी के बारे में सुनेंगे, जैसा 2007, 2008 के बाद से नहीं हुआ है। यहां तक कि उस समय भी ऐसा नहीं हुआ था। लेकिन आप पहली बार 2000 के बाद इसे इतने लंबे समय तक देखेंगे। ये उसी तरह की स्थिति होगी।’’

उन्होंने कहा कि सिलिकॉन वैली खुद स्टार्टअप को छंटनी के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि आधे सिलिकॉन वैली को बंद कर दिया जाएगा। इससे पांच प्रतिशत कर्मचारियों की संख्या प्रभावित हो सकती है या 10 प्रतिशत कार्यबल की छंटनी हो सकती है। और लोगों के वेतन में 10 प्रतिशत की कटौती हो सकती है।’’

रंगास्वामी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि आकाश गिर रहा है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि जो होने जा रहा है, वह काफी समय से नहीं हुआ है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों के लिए ऐसी बात नहीं कह सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हो सकता है कि वे कुछ भी न करें, लेकिन ये स्टार्टअप समुदाय के बारे में है, जहां निश्चित रूप से छंटनी और वेतन में कमी होगी।

रंगास्वामी ने कहा कि एच-1बी वीजा पर भारतीय आईटी पेशेवरों के बारे में कहा कि उनकी ज्यादा छंटनी नहीं हो सकता क्योंकि वे पहले ही अपने व्यवसाय के लिए बहुत धनराशि बचा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वे पहले ही ऐसी नौकरियों में हैं, जहां वे ग्राहकों के पैसे बचा रहे हैं। इसलिए जब तक उनके व्यवसाय में बहुत अधिक गिरावट नहीं आएगी, इन लोगों की आवश्यकता बनी रहेगी।



(साभार-पीटीआई भाषा)
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