कोरोना वायरस इस तरह से दुनिया भर की इकोनॉमी की बैंड बजा रहा है?

चीन के वुहान शहर से निकलने वाला कोरोना वायरस पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। ये वायरस इंसानों की जिंदगियां लील रहा है, भारत-अमेरिका-चीन-ईरान-इटली-फ्रांस-जर्मनी-ब्रिटेन समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्था के लिए कब्रगाह साबित हो रहा है। अर्थव्यवस्था का हर सेक्टर चाहे एविएशन हो या हॉस्पिटलिटी, मैन्यूफैक्चरिंग हो या सर्विस, कोरोना वायरस के कहर से खुद को बचाने के लिए सरकार से आर्थिक मदद की गुहार कर रहे हैं।  

दुनियाभर की सरकारें और केंद्रीय बैंक कोरोना वायरस के आतंक से इकोनॉमी को बचाने के लिए तमाम तरह के उपाय कर रहे हैं। सवाल है कि कोरोना वायरस किस तरह से दुनिया भर की इकोनॉमी को तबाह कर रही है। 
इन 6 तथ्यों से समझें कोरोना वायरस इकोनॉमी के लिए कैसे घातक है।


1) वैश्विक विकास दर के अनुमान में कमी:  कोरोना वायरस की वजह से बैंक और वित्तीय संस्थान 2020 की ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा रहे हैं। हाल ही में OECD यानी Organisation of Economic Co-operation and Development ने ग्रोथ का नया अनुमान दिया है जो कि पहले के अनुमान से कम है।

साभार- www.cnbc.com

OECD ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी और एशिया का ताकतवर देश चीन इस साल 4.9% सालाना की दर से विकास करेगी, जबिक पहले के अनुमान में  5.7%  की दर से विकास करने की बात कही गई थी।

उसी तरह OECD ने इस साल ग्लोबल इकोनॉमी की विकास दर 2.4% रहने की बात कही है जबकि इससे पहले का अनुमान 2.9% था।

2) मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में धीमापन:
कोरोना वायरस ने चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जबर्दस्त तरीके से नुकसान पहुंचाया है। ताजा सर्वे के मुताबिक, फरवरी में चीन की प्राइवेट कंपनियों की गतिविधियों में कमी दर्ज की गई है।
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चीन की प्राइवेट फैक्टरियों के सर्वे, जो कि Caixin/Markit Manufacturing Purchasing Managers’ Index के नाम से जाना जाता है, फरवरी में रिकॉर्ड गिरावट 40.3 दर्ज की गई है। इंडेक्स के 50 से नीचे रहने पर माना जाता है कि फैक्ट्रियों की आर्थिक गतिविधियों में कमी आई है। चीन की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में कमी का असर उसके पड़ोसी देशों जैसे वियतनाम, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया की आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ रहा है। कई जानकारों का मानना है कि चीन से बाहर कोरोना वायरस के फैलने से दुनिया भर की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में सुस्ती का अनुमान है।

3) सर्विस सेक्टर पर मार -
कोरोना वायरस ने इकोनॉमी के एक और मजबूत स्तंभ सर्विस सेक्टर पर भी असर डाला है। इस सेक्टर में दुनिया भर में सुस्ती के संकेत देखने को मिल रहे हैं।

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कोरोना वायरस की वजह से लोग खर्च कम कर रहे हैं, यात्रा और रोस्टोरेंट में खाना-पीना कम कर दिया है, जिसका असर सर्विस सेक्टर पर देखा जा रहा है। कई देशों ने विदेशी के साथ साथ देश में ही यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है।

चीन का  Caixin/Markit Services PMI सर्वे फरवरी में 26.5 रहा जो कि सर्विस सेक्टर में सुस्ती की तरफ इशारा करता है। 15 साल पहले ये सर्वे शुरू हुआ था और इतने सालों में पहली बार ये इंडेक्स 50 के नीचे गया है। इस सर्वे को 50 के नीचे का मतलब होता है सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में कमी आना। चीन ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार अमेरिका के सर्विस सेक्टर में भी सुस्ती देखी गई है।


4) कच्चे तेल में बड़ी गिरावट-
कोरोना वायरस से कच्चे तेल की वैश्विक कीमत में भारी गिरावट आई है जो कि मंदी की तरफ इशारा कर रहा है। US क्रूड जो कि WTI के नाम से जाना जाता है, 18 मार्च के कारोबार के दौरान 17 साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज करते हुए 25.83 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। ये मई 2003 के बाद का सबसे निचला स्तर है। वहीं 18 मार्च को ब्रेंट क्रूड 28.05 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा। अमेरिका समेत दुनिया भर में एविएशन कंपनियों को अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ रही है।
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कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां कम हुई है। इस कारण कच्चे तेल की मांग भी जोरदार तरीके से घटी है। ओपेक और इसके सदस्य देशों के बीच कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती पर सहमति नहीं बनने से भी तेल की कीमत कम हुई है। कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक चीन ही कोरोना वायरस का मुख्य केंद्र है।

5) दुनिया भर के शेयर बाजारों में हाहाकार-
अमेरिका, यूरोप, चीन, भारत समेत दुनिया भर के शेयर बाजारों में बिकवाली जोरों पर है। उच्चतम स्तरों से बाजार में करीब 30 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है।

अमेरिकी इंडेक्स डाओ जोंस 16 मार्च को 2997 अंक लुढ़का, जो कि 1987 के 'ब्लैक मंडे' के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है जब ये एक दिन में 22% तक फिसला था। डाओ जोंस ने इतिहास की एक दिन की तीसरी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की।  
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 >सेंसेक्स का प्रदर्शन (6 मार्च -18 मार्च):

6 मार्च-894 अंक गिरकर बंद
9 मार्च- 1942 अंक गिरकर बंद
12 मार्च-2919 अंक गिरकर बंद
16 मार्च-2713 अंक गिरकर बंद
17 मार्च-881 अंक गिरकर बंद
18 मार्च-1710 गिरकर बंद 

इस दौरान करीब 10 हजार अंक से ज्यादा फिसला और निवेशकों के करीब 40 लाख करोड़ डूब गए।

अमेरिकी शेयर बाजार हो या फिर यूरोपीय शेयर बाजार हो या फिर एशिया के शेयर बाजार, हर तरफ हाहाकार है। 

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6) सरकारी बॉन्ड यील्ड में गिरावट-
कोरोना वायरस की वजह से निवेशक सरकारी  बॉन्ड से दूरी बना रहे हैं। सरकारी बॉन्ड को निवेश के लिए सुरक्षित माना जाता है। 
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