मंत्रिमंडल की बैठक में दूरसंचार कंपनियों के एजीआर बकाये के मुद्दे पर चर्चा


केंद्रीय मंत्रिमंडल की शुक्रवार को यहां हुई बैठक में समझा जाता है कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा सांविधिक बकाये के किये गये भुगतान को लेकर विचार विमर्श किया गया और मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर उच्चतम न्यायालय को इसकी जानकारी दी जाएगी।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया लि. और अन्य दूरसंचार कंपनियों से कहा था कि वे समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाये का भुगतान एक माह में करें। शीर्ष अदालत ने अक्ट्रबर, 2019 को यह व्यवस्था दी थी कि स्पेक्ट्रम शुल्क और लाइसेंस शुल्क की गणना में गैर- दूरसंचार राजस्व को भी शामिल किया जाए।

कर्ज के बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र ने सरकार से इस मामले में दखल का आग्रह किया था। दूरसंचार क्षेत्र ने सरकार ने भुगतान आदि की शर्तों में ढील देने की मांग की है।

दूरसंचार विभाग ने इस बारे में विधि अधिकारी से कानूनी राय मांगी थी। शुक्रवार की बैठक में इस पर भी चर्चा हुई।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया को मंत्रिमंडल की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी दी। हालांकि, एजीआर से संबंधित सवालों पर उन्होंने दूरसंचार विभाग के अधिकारियों से जवाब देने को कहा।

दूरसंचार विभाग के अधिकारी इस पर कुछ टिप्पणी करने से बचते रहे। उनका कहना था कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में है।

समझा जाता है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार कंपनियों द्वारा किए गए सांविधिक बकाये पर चर्चा की। उच्चतम न्यायालय को सुनवाई की अगली तारीख पर इससे अवगत कराया जाएगा। एजीआर मामले पर उच्चतम न्यायालय 17 मार्च को सुनवाई करेगा।

भारती एयरटेल ने सरकार के पास दो किस्तों में 13,004 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। इसके अलावा कंपनी ने 5,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि तदर्थ भुगतान के रूप में भी जमा कराई है। दूरसंचार विभाग के साथ राशि के मिलान की प्रक्रिया में किसी तरह के अंतर को इस राशि से पूरा किया जाएगा।

संकट में फंसी वोडाफोन आइडिया का कहना है कि उस पर एजीआर का कुल बकाया 21,533 करोड़ रुपये है। यह दूरसंचार विभाग द्वारा लगाए गए बकाये के अनुमान का आधा से भी कम है। वोडाफोन आइडिया ने अब तक सरकार को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।


(साभार-पीटीआई भाषा)
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