भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए ईमानदारी से धन सृजन महत्वपूर्णः आर्थिक समीक्षा 2019-20

आर्थिक समीक्षा 2019-20 का विषय

बाजार को सक्षम बनाना, व्यवसाय अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहन देना तथा अर्थव्यवस्था में विश्वास को मजबूत बनाना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर सबका साथ सबका विकास विजन के साथ किए गए संबोधन में इस बात को प्रमुखता दी गई थी कि धन सृजन से ही धन का वितरण होगा। केन्द्रीय वित्त तथा कारपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2019-20 में ऐसी नीतियों की रूपरेखा बनाने का प्रयास किया गया है, जो भारत में धन सृजन को तेजी देगी और परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था विकास की ऊंचाई पर चलेगी।
आर्थिक समीक्षा के विषय बाजार को सक्षम बनाने, व्यवसाय अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहित करने और अर्थव्यवस्था में विश्वास मजबूत करने के ईर्दगिर्द हैं। आर्थिक समीक्षा में संतुलित आशावादी दृष्टिकोण रखा गया है और आर्थिक सोच तथा नीति निर्माण की दृष्टि से बाजार अर्थव्यस्था से होने वाले लाभों के बारे में संदेह को विराम देने का प्रयास किया गया है।

धन सृजन की भारत की समृद्ध परम्परा
आर्थिक समीक्षा में ईमानदारी से धन सृजन को आर्थिक गतिविधि का मूल मानते हुए और भारत के 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था बनने के संकल्प के महत्व पर बल देते हुए कौटिल्य के अर्थशास्त्र, थीरूवलुवर के थिरूकूरल तथा ऐडम स्मिथ के ऐन इंक्वायरी इंटू द नेचर एंड कोजेज ऑफ वेल्थ ऑफ नेशंस जैसे शास्त्रीय पुस्तकों का उद्धहरण दिया गया है।
इन शास्त्रीय पुस्तकों के माध्यम से आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि धन सृजन का विचार भारत की पुरानी और समृद्ध परम्परा में समाहित है। तीन चौथाई से अधिक ज्ञात आर्थिक इतिहास से वैश्विक रूप से भारत मजबूत आर्थिक शक्ति है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह प्रभुत्व केवल एकाएक होने वाला उदाहरण नहीं है।

बाजार के अदृश्य हाथ
वैश्विक अर्थव्यस्था में भारत के ऐतिहासिक प्रभुत्व की चर्चा करते हुए समीक्षा में बाजार में खुलापन लाने के महत्व पर बल दिया गया है ताकि धन सृजन हो और बढ़े हुए निवेश के माध्यम से आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहन मिले। समीक्षा के अनुसार बाजार के अदृश्य हाथ और अदृश्य विश्वास के कारण अतीत में भारत का दबदबा रहा है। समीक्षा में इन दोनों बातों का समकालीन साक्ष्य पेश किए गए हैं। इन तथ्यों ने उदारीकरण के बाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को ऊंचाई की ओर लौटने में मदद की।
समीक्षा में धन सृजन की परिकल्पना प्राचीन भारतीय परम्परा तथा समकालीन साक्ष्य के मिश्रण के रूप में प्रस्तुत की गई है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दक्षता बढ़ाने के लिए फिनटेक के उपयोग का सुझाव दिया गया है। समीक्षा में अर्थव्यवस्था संचालन में पुराने तथा नये तरीकों का मिश्रण ठीक उसी तरह है जिस तरह आज देश में सौ रुपये का नए और पुराने दोनों नोट चल रहे हैं।
 धन सृजन को बढ़ाने के उपाय
आर्थिक समीक्षा में धन सृजन को बढ़ाने के अनेक उपायों को चिन्हित किया गया है। ये उपाय हैं:
  • जमीनी स्तर पर उद्यमिता जैसी कि भारत के जिलों में नई फर्म बनाने में उद्यमिता दिखी है।
  • व्यवसाय अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहित करना ताकि मुट्ठी भर लोगों को लाभ देने वाली नीतियों की जगह धन सृजन के लिए स्पर्धी बाजार की शक्ति उभरे और निजी निवेश को समर्थन मिले।
  • सरकारी हस्तक्षेप के माध्यम से बाजार की अनदेखी करने वाली नीतियों की समाप्ति, जहां ऐसी नीतियां आवश्यक नहीं है।
  • श्रम प्रोत्साहन निर्यात पर फोकस करने के लिए और व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन के लिए एसेम्बल इन इंडिया तथा मेक इन इंडिया को एकीकृत करना।
  • बैंकिंग क्षेत्र का आकार भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में बढ़ाना और बैंकिंग क्षेत्र की मंद सेहत का पता लगाना।
  • दक्षता बढ़ाने के लिए निजीकरण का उपयोग। आर्थिक समीक्षा में सावधानीपूर्वक यह साक्ष्य प्रदान किया गया है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि के अनुमान पर भरोसा किया जा सकता है।

(साभार- पीआईबी )
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