आरसीईपी: शिखर सम्मेलन से पहले व्यापार मंत्रियों की दो नवंबर को बैंकाक में होगी बैठक


क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते पर बातचीत कर रहे 16 देशों के व्यापार मंत्रियों की शुक्रवार को बैंकांक में बैठक होगी। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

बैंकाक में आरसीईपी नेताओं के चार नवंबर को शिखर सम्मेलन से पहले व्यापार मंत्रियों की दो नवंबर को बैठक हो रही है। शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग लेंगे।

आरसीईपी सदस्य देशों में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम), आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘बैंकाक में आरसीईपी नेताओं के चार नवंबर को शिखर सम्मेलन से पहले व्यापार मंत्रियों की दो नवंबर को बैठक होगी। सदस्य देशों के मंत्री शिखर सम्मेलन में संयुक्त बयान को अंतिम रूप दे सकते हैं।’’

बैठक में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल शामिल होंगे। वह चीन जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। चीन के साथ कई ऐसे मुद्दे हैं जिसका अभी समाधान होना बाकी है।

सदस्य देशों के बीच मतभेदों को दूर करने के लिये आधिकारिक स्तर पर बातचीत जारी है।

आरसीईपी समझौते के लिये बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गयी है। सदस्य देश बातचीत को नवंबर तक निष्कर्ष पर पहुंचना चाहते हैं। सदस्य देशों के लक्ष्य के अनुसार बातचीत के नतीजों की घोषणा शिखर सम्मेलन में की जा सकती है।

तकनीकी रूप से भारत के पास द्विपक्षीय बाजार पहुंच मुद्दों के समाधान के लिये फरवरी 2020 तक का समय है। बातचीत के निष्कर्ष पर पहुंचने की घोषणा के बाद कानूनी रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाएगा। यह काम फरवरी 2020 तक जारी रहेगा।

अगर सबकुछ योजना के अनुसार रहा तो समझौते पर जून 2020 में दस्तखत हो सकते है। उसके बाद आरसीईपी सदस्य देशों के पास समझौते को मंजूरी देने के लिये दो और साल का समय होगा।

धातु, डेयरी, इलेक्ट्रानिक्स और रसायन जैसे उद्योग से जुड़ी कई घरेलू कंपनियों ने समझौते में चीन के शामिल होने को लेकर गंभीर चिंता जतायी है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 50 अरब डॉलर से अधिक है।

सूत्रों के अनुसार मजबूत आरसीईपी केंद्रित रक्षोपाय शुल्क व्यवस्था पर सभी सदस्य देश बातचीत कर रहे हैं।

अगर किसी उत्पाद का आयात उल्लेखनीय रूप से बढ़ता है, सदस्य देश छह साल तक के लिये रक्षोपाय शुल्क लगा सकते हैं।


(साभार-पीटीआई भाषा)


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