बैंकों के ऋण में वृद्धि की दर पिछले वित्त वर्ष के 13.3 प्रतिशत से कम होकर चालू वित्त वर्ष में 8-8.5 प्रतिशत पर आ सकती है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में यह कहा।
इक्रा ने कहा कि बैंकों के ऋण की वृद्धि दर में कमी आने का मुख्य कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में ऋण कारोबार ज्यादा नहीं बढ़ा है। एजेंसी ने कहा, ‘‘ संकट को देखते हए कोई बांड बाजार में दाव लगाने को तैयार नहीं है, इससे बकाया बांडों में वृद्धि की सालाना दर इस दौरान करीब चार प्रतिशत पर आ सकती है जो पिछले साल 12 प्रतिशत थी ।’’
म्यूचुअल फंड के नियमन में हुए हालिया बदलाव के कारण मार्च 2020 तक कामर्शियल पेपर से जुटाए जाने वाले कर्ज में भी गिरावट रह सकती है।
इक्रा का अनुमान है कि कुल ऋण की वृद्धि दर इस दौरान 13.5 प्रतिशत से कम होकर 6.2-6.8 प्रतिशत पर आ सकती है।
उसने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान एनबीएफसी और एचएफसी जैसे बड़े कर्जधारकों के वित्तपोषण के लिये बैंकों पर निर्भर हो जाने से ऋण वृद्धि की दर में तेजी आयी थी। हालांकि सुस्त आर्थिक वृद्धि दर, कर्जधारकों द्वारा परिचालन पूंजी की कम जरूरत आदि के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में रिण कोरोबार में वृद्धि में कमी आयी।
(साभार-पीटीआई भाषा)
कोई टिप्पणी नहीं