कोयला क्षेत्र के श्रम संघों ने मंगलावार को दावा किया कि उनकी एक दिन की हड़ताल से कोल इंडिया लिमिटेड और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड की खदानों में काम पूरी तरह से ठप हो गया है।
उनका कहना है कि इन खदानों में कोयले का उत्पादन और लदान बिल्कुल बंद है।
श्रम संगठन कोयला निकासी क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को अपने पूर्ण स्वामित्व में कारोबार की अनुमति देने की नीति का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार यह फैसला वापस ले।
हड़ताल का आयोजन सरकारी क्षेत्र की इन दोनों कोयला कंपनियों में सक्रिय श्रम संघों के पांच महासंघों ने किया है। कुल पांच लाख से अधिक कोयला श्रमिक इनके सदस्य हैं।
अखिल भारतीय कोयला श्रमिक महासंघ (एआईसीडब्ल्यूएफ) के महासचिव डी.डी. रामनंदन ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ हड़ताल से सभी कोयला खानों में उत्पादन पूरी तरह बंद है और वहां से कोयले की लदाई और निकासी भी बंद है।’
देश के कोयला उत्पादन में कोल इंडिया का 80 प्रतिशत योगदान है। हड़ताल के कारण इस कंपनी को एक दिन में 15 लाख टन कोयला उत्पादन का नुकसान होने का अुनमान है। कंपनी के अधिकारी हड़ताल के बारे में कोई टिप्पणी करने को उपलब्ध नहीं थे।
इस हड़ताल का आह्वान इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन (इंटक), हिंद खदान मजदूर फेडरेशन (एमएमएस), इंडियन माइनवर्कर्स फेडरेशन (एटक), आल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन (सीटू) और आल इंडिया सेंट्रल कौंसिल आफ ट्रेड यूनियन्स (एआईसीसीटीयू) ने मिल कर किया है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बद्ध श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएसएस) उपरोक्स संगठनों की हड़तला से अलग है और वह इसी मुद्दे पर सोमवार से 27 सितंबर तक पांच दिन तक कोयला क्षेत्र काम बंद हड़ताल पर है।
(साभार- पीटीआई भाषा)
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