हमारी कर की दरें लगभग अमेरिका के बराबर; अर्थव्यवस्था को तेजी मिलने की उम्मीद: गोयल


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को उम्मीद जताई है कि सरकार की ओर से कॉरपोरेट कर में दी गई " राहत " से अर्थव्यवस्था को आवश्यक तेजी मिलेगी।

गोयल ने कहा कि इन उपायों से हमारी कर की दरों की तुलना अमेरिका और दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की दरों से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ये उपाय निवेश को बढ़ाने में मदद करेंगे।

सरकार ने नरम पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने तथा निवेश एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिये शुक्रवार को कई उपायों की घोषणा की। इनमें कॉरपोरेट कर की दरें करीब 10 प्रतिशत कम करके 25.17 प्रतिशत करना , एफपीआई के पूंजीगत लाभ पर अधिभार के रूप में लगने वाला धनाढ्य - कर वापस लेना , सीएसआर का दायरा बढ़ाना आदि शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में गिरकर छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई है। यह पाकिस्तान की 5.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर से भी कम है।

इन घोषणाओं से सरकारी खजाने पर इस साल 1,45,000 करोड़ रुपये का बोझ आएगा।

गोयल ने इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा , " अभी - अभी कुछ बेहतरीन घोषणाएं की गई हैं , अर्थव्यवस्था को आवश्यक तेजी देने के लिए जिसका हम सब लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। "

उन्होंने कहा , यदि छूट को शामिल कर लिया जाए तो हमारी कर की दरें प्रतिस्पर्धी हैं और अमेरिका तथा दक्षिण एशियाई देशों से इनकी तुलना की जा सकती है। गोयल ने कहा कि अमेरिका में कॉरपोरेट कर की दरें 21-22 प्रतिशत है।

गोयल ने कहा कि यदि छूट का शामिल किया जाए तो हमारी कर दरें 15 प्रतिशत पर आ गई हैं। उन्होंने कहा कि इन उपायों से निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

गोयल ने कहा कि राजस्व पर पड़ने वाले 1.45 लाख करोड़ रुपये के इस बोझ से कंपनियों और लोगों को लाभ होगा और इसका इस्तेमाल निवेश के लिए किया जा सकता है , जो कि सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को गति देने में मदद करेगा।

वर्तमान में निजी पूंजीगत निवेश सबसे कम है और सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में नया निवेश आकर्षित करने के लिये नया प्रावधान किया है। इससे एक अक्टूबर 2019 या इसके बाद गठित किसी भी कंपनी को विनिर्माण में निवेश करने पर 15 प्रतिशत की दर से आयकर भरने का विकल्प मिलेगा।

घोषणा के बाद , कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर अधिभार समेत 25.17 प्रतिशत होगी जबकि न्यूनतम वैकल्पिक कर की दर 3.5 प्रतिशत घटाकर 15 प्रतिशत हो गयी है।

उन्होंने कहा कि कर को लेकर की गयी घोषणा से कोल इंडिया , इंफोसिस और विप्रो जैसे बड़े करदाताओं को फायदा होगा।

मुकेश अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट की तरह कई उद्योगपति शिक्षा क्षेत्र में कदम रखने पर विचार कर रहे हैं। इसे लेकर गोयल ने कहा कि सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित विश्वविद्यालयों के लिए सहायता को मान्यता देने का उपाय शिक्षा क्षेत्र में कंपनियों को आकर्षित करेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार नवाचार में सार्वजनिक निजी भागीदारी चाहती है। अनुसंधान और विकास पर खर्च को सीएसआर खर्च मानने से यह अब संभव हो सकेगा।



(साभार- पीटीआई भाषा)
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