बैंकों के विलय से ऋण उपलब्धता बेहतर होने की उम्मीद पर एनपीए में सुधार के आसार नहीं: मूडीज


सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने के सरकार के निर्णय का ऋण क्षेत्र पर सकारात्मक असर होगा। इसकी वजह बैंकों के पूंजी आधार और परिचालन स्तर का विस्तार होना और दीर्घावधि में उनके कामकाज में सुधार होना है। मूडीज की एक रपट में यह बात कही गयी है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह ओरियंटल बैंक आफ कामर्स तथा यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक और आंध्रा बैंक एवं कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय करने की घोषणा की थी। इसके बाद बाजार में मात्र 12 सरकारी बैंक ही रह जाएंगे।

वैश्विक रेटिंग एजेंसी मुडीज ने बृहस्पतिवार को एक रपट में कहा कि प्रस्तावित विलय से सरकारी बैंकों का ढांचा बदल जाएगा। व्यवस्था के दो तिहाई हिस्से पर फिलहाल इन्हीं का नियंत्रण है।

एजेंसी ने कहा, ‘‘विलय के बाद बनने वाले बैंकों का परिचालन स्तर वृहद होगा। इससे कारपोरेट बैकिंग क्षेत्र और खुदरा ऋण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बेहतर होगी।’’

उनका बड़ा आकार प्रौद्योगिकी पर उनके निवेश को भी बढ़ाएगा।

रेटिंग एजेंसी के अनुसार इनके फायदे हालांकि मध्यम अवधि और तीन साल में दिखेंगे।

हालांकि रपट में सरकारी बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभदायकता के खराब बने रहने की ही बात कही गयी है।


(साभार- पीटीआई भाषा)
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