रिजर्व बैंक को सरकारी खर्च बढ़ने से दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में सुधार की उम्मीद


रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को भरोसा जताया कि सरकारी व्यय में तेजी आने से दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के आंकड़े बेहतर होंगे।

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिरकर पांच प्रतिशत पर आ गई है। यह पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत से भी कम है।

दास ने कहा इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में कहा कि पहली तिमाही में चुनाव के कारण सरकार का खर्च बहुत कम था। जिसके चलते कुछ हद तक जीडीपी के आंकड़ों में गिरावट आई। सरकारी व्यय का जीडीपी के आंकड़ों में काफी अहम योगदान होता है।

उन्होंने कहा, "सरकार ने दूसरी तिमाही में फिर से खर्च करना शुरू कर दिया है। इससे पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़े बेहतर होंगे।"

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पहली तिमाही के लिए आरबीआई ने वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया था और सभी सर्वेक्षण भी वृद्धि दर के 5.5 से 5.8 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जता रहे थे लेकिन अंतिम में आए जीडीपी आंकड़े इससे काफी कम थे।

उन्होंने कहा, "जब आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत पर आ गई तो यह बहुत हैरान करने वाला था। शायद यह अर्थव्यवस्था में परस्पर विरोधी संकेतों के कारण हो। एक महीने के पीएमआई आंकड़े ऊपर जाते, अगले महीने की पीएमआई आधारित गतिविधियों में गिरावट आ जाती है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर भी उतार-चढ़ाव भरी रही।

दास ने स्पष्ट करते हुए कहा, "इसलिए, कई और आंकड़े हैं जिनके आधार पर आप अनुमान लगाते हैं। यह आंकड़े परस्पर विरोधी दिशाओं में जाते हैं और अलग-अलग संकेत देते हैं। यह काम और ज्यादा जटिल बनाते हैं। उन्होंने कहा कि स्पष्टीकरण कोई बहाना नहीं है।

संकट में फंसे गैर-वित्तीय बैंकिंग कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र पर दास ने कहा कि आरबीआई शीर्ष 50 एनबीएफसी कंपनियों पर करीब से नजर रख रहा है।

वहीं, नीतिगत दर या रेपो में कटौती को लेकर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भविष्य में रेपो दर में कटौती आगामी आंकड़ों पर निर्भर करेगा। हालांकि, उन्होंने चेताया कि हमारी ब्याज दरें विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तरह कम नहीं हो सकती हैं।

उन्होंने कहा, "हम रेपो दर में कटौती को लेकर कितना नीचे जा सकते हैं? हम विकसित अर्थव्यवस्था के स्तर पर नहीं जा सकते हैं। हालांकि, नीतिगत ब्याज दर में कितनी कटौती की जा सकती है यह आगे आने वाले आंकड़ों और अन्य चीजों पर निर्भर करेगा।"


(साभार- पीटीआई भाषा)
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