भारत का रूस के सुदूर पूर्वी तेल क्षेत्र में हिस्सेदारी पर जोर, रूस से तेल आयात बढ़ाने पर है नजर


भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये आयात के विविध स्रोत बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसी के मद्देनजर उसने मंगलवार को रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में तेल एवं गैस क्षेत्र के साथ ही एलएनजी टर्मिनल में हिस्सेदारी को लेकर रुचि दिखाई है। इसके पीछे भारत की रूस से अपना तेल आयात बढ़ाने की सोच भी काम कर रही है।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस संबंध में यहां रूस की प्रमुख तेल कंपनी रोसनेफ्ट के मुख्य कार्यकारी इगोर सेचिन के साथ मुलाकात के दौरान निवेश संभावनाओं पर विचार विमर्श किया।

प्रधान ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने रूस से तेल आयात बढ़ाने के बारे में विस्तार से चर्चा की।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि हम कोई समझौते पर पहुंच जायेंगे।’’ भारत पहले ही रूस से थोड़ी मात्रा में तेल का आयात करता है। अब वह इसे बढ़ाना चाहता है। यह आयात कारोबार रूस के ब्लादिवोस्ताक और चेन्नई के बीच नये समुद्री मार्ग से होगा।

रोसनेफ्ट के मुख्य कार्यकारी के साथ बैठक के दौरान प्रधान ने रूस के वेंकोर क्लस्टर तेल क्षेत्र में ओएनजीसी विदेश के नेतृत्व में भारतीय कंपनियों के समूह द्वारा 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने पर जोर दिया।

अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की रूस यात्रा के दौरान भारत ने रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में तेल एवं गैस खोज में काफी रुचि दिखाई। अब सेचिन की भारत यात्रा इसी सिलसिले को आगे बढ़ाने की दिशा में है। रोसनेफ्ट को भारत में रूस के मुकेश अंबानी के तौर पर जाना जाता है।

(साभार- पीटीआई भाषा)
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