देश में कमजोर रिण मांग को देखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 हजार अरब डालर की बनाने के लक्ष्य को लेकर बैंकों को संदेह है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत का वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5000 अरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। बैंकों का कहना है कि इसके लिए रिण मांग में वृद्धि सालाना 20 प्रतिशत से भी ऊंची दर से होनी चाहिए।
फिक्की यहां बैंक सम्मेलन में पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक एवं बैंकों के संगठन इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के प्रमुख सुनील मेहता ने कहा इस समय अर्थव्यवस्था में नरमी का रुझान गहरा रहा है। इस पर ही ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पांच साल में पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें वृद्धि के काफी इंतजाम करने पड़ेंगे क्यों कि हमें कई क्षेत्रों में नरमी दिख रही है। इस लक्ष्य के लिए रिण में वृद्धि की दर को 20 प्रतिशत से भी ऊंचा ले जाना होगा। इसका अर्थ हैं पांच साल बाद रिण आपूर्ति को 188 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना होगा जो अभी 98 लाख करोड़ रुपये के बराबर है।
बहरहाल, बैंकों की खस्ताहाल स्थिति को देखते हुये इसमें बड़ी आशंका है कि क्या बैंक रिण मांग में इतनी तेज वृद्धि को, यदि यह होता है तो, को पूरा कर सकेंगे। इसके साथ ही बैंकिंग तंत्र में फंसे कर्ज की राशि अभी भी दहाई अंक में बनी हुई है। उसे नीचे लाना भी दूर की कौड़ी लगती है क्योंकि समाधान प्रक्रिया की स्थिति काफी सुस्त लगती है।
इसमें कहा गया है कि 1,900 कंपनिया दिवाला समाधान प्रक्रिया में दर्ज की गई। इनमें से करीब 50 का ही सफलतापूर्वक समाधान हो पाया। वह भी बैंकों के बकाये कर्ज में बड़ी कटौती के साथ पूरा हुआ।
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