गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) की ओर से रीयल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों को दिये जाने वाला कर्ज पिछले वित्त वर्ष में करीब 48 प्रतिशत तक घटकर 27,000 करोड़ रुपये रह गया।
पिछले साल सितंबर में नकदी की कमी के कारण आईएलएंडएफएस के ऋण भुगतान में चूक के बाद कर्ज देने में कमी आयी है।
परिसंपत्ति के बारे में परामर्श देने वाली कंपनी जेएलएल की एक रपट के मुताबिक बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और एचएफसी रीयल एस्टेट डेवलपरों को नया कर्ज देने से बच रही हैं। ऐसे में छोटी कंपनियों ने पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बिल्डरों को 4,000 करोड़ रुपये का कर्ज देकर थोड़ी राहत दी।
जेएलएल इंडिया के क्षेत्रीय प्रमुख एवं सीईओ रमेश नायर ने कहा, 'प्रमुख एनबीएफसी आईएलएंडएफएस की ऋण भुगतान में चूक के चलते सितंबर, 2018 के बाद रीयल एस्टेट क्षेत्र नकदी की कमी से जूझ रहा है।'
उल्लेखनीय है कि अप्रैल-सितंबर, 2018 तक एनबीएफसी एवं एचएफसी की ओर से सामान्य तौर पर कर्ज दिया जा रहा था लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में इसमें उल्लेखनीय कमी दर्ज की गयी। हालांकि, आम तौर पर इस अवधि में कर्ज देने से जुड़ी गतिविधियां अपने चरम पर होती हैं।
नायर ने कहा, 'वित्त वर्ष 2018-19 में रीयल एस्टेट डेवलपरों को एनबीएफसी/एचएफसी की ओर से दिये जाने वाला कर्ज करीब आधा घटकर 27,000 करोड़ रुपया रह गया, जो कि 2017-18 में 52,000 करोड़ रुपये था।'
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
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