अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने एक नयी रिपोर्ट में कहा है कि कार्बन गैस का उत्सर्जन कम करने के लिये प्रति टन कार्बन डाई ऑक्साइड गैस पर 70 डॉलर की दर से कार्बन कर लगाना सबसे प्रभावी तरीका है।
यह रिपोर्ट शुक्रवार को प्रकाशित हुई।
हालांकि कार्बन कर आम तौर पर अलोकप्रिय बना हुआ है। फ्रांस में कार्बन कर को अभी के 44.60 यूरो से बढ़ाकर 55 यूरो यानी 61.60 डॉलर करने की योजना के बाद देशभर में येलो वेस्ट आंदोलन शुरू हो गया। इसके कारण फ्रांस सरकार को यह योजना वापस लेनी पड़ी।
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लगार्ड और आईएमएफ के वित्तीय मामलों के प्रमुख विटोर गैस्पर ने एक संयुक्त ब्लॉग पोस्ट में कहा, ‘‘वैश्विक तापमान दो डिग्री सेल्सियस कम करने का लक्ष्य (2सी लक्ष्य) पाने के लिये 2030 तक उत्सर्जन में एक तिहाई कटौती करने तथा 70 डॉलर प्रति टन की दर से कार्बन कर लगाने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में राय तैयार हो रही है कि कार्बन कर उत्सर्जन कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है।’’
आईएमएफ ने कहा कि इससे ऊर्जा उपभोग में कमी आती है, स्वच्छ ऊर्जा को समर्थन मिलता तथा निजी वित्त की व्यवस्था होती है। आईएमएफ ने कहा कि कार्बन कर से प्राप्त राजस्व का इस्तेमाल देश अधिक टिकाउ एवं समावेशी वृद्धि के लिये कर सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व के सबसे अधिक कार्बन का उत्सर्जन करने वाले देश चीन तथा भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे कोयला पर निर्भर देशों में महज 35 डॉलर प्रति टन की दर से कार्बन कर लगाने से उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कमी आएगी।
हालांकि आइवरी कोस्ट, कोस्टारिका और फ्रांस जैसे कोयला के कम इस्तेमाल वाले नौ देशों में इससे उत्सर्जन में महज 10 प्रतिशत की कटौती होगी।
(साभार: पीटीआई भाषा)
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