वाणिज्य मंत्रालय के एक रणनीतिक दस्तावेज में चीन के साथ व्यापारिक असंतुलन को दूर करने के लिए निर्यात बढ़ाने और आयात निर्भरता में कमी लाने जैसे कदम सुझाए गए हैं। इसके अलावा चीन से अपने विनिर्माण केंद्र हटाने की इच्छुक कंपनियों को आकर्षित करने की बात भी कही गयी है।
मंत्रालय द्वारा तैयार रणनीतिक पत्र को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को सौंपा गया था।
प्रभु द्वारा उठाये गए कदमों से पहले ही चीन के साथ व्यापार घाटा (निर्यात और आयात में अंतर) वित्त वर्ष 2018-19 में कम होकर 53.56 अरब डॉलर रह गया। वित्त वर्ष 2017-18 में व्यापार घाटा 63 अरब डॉलर था।
चीन में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पत्र में उचित निर्यात पहल का सुझाव दिया गया है।
पत्र में कहा गया है, 'क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के जरिए शुल्क में कमी के माध्यम से निर्यातकों को समर्थन देकर और भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) की जगह पर उचित निर्यात प्रोत्साहन के जरिए इस दिशा में कोशिश की जा सकती है।'
उसमें कहा गया है कि कृषि, डेयरी उत्पादों और दवा क्षेत्र तक बाजार की पहुंच को बढ़ाने के लिए मंत्रालय को कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है।
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
कोई टिप्पणी नहीं