मंत्रिस्तरीय बैठक का मकसद बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में नई जान डालना: भारत


भारत ने मंगलवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 23 सदस्यों की मंत्रिस्तरीय बैठक का मकसद बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में नई जान डालना है। साथ ही यह भरोसा जताया कि विकासशील देशों का सामूहिक दृष्टकोण वैश्विक व्यापार निकाय में सुधार में मदद करेगा। 

दो दिवसीय मंत्रिस्तरीय बैठक में उन मुद्दों पर घोषणापत्र जारी किया जाना है जिसका सामना विकासशील देश कर रहे हैं। इन मुद्दों में डब्ल्यूटीओ का विशेष व्यवहार (एस एंड डीटी) नियम शामिल है।

डब्ल्यूटीओ में एस एंड डीटी नियम विकासशील सदस्य देशों को लचीलापन और कुछ छूट उपलब्ध कराता है। इसके तहत सदस्य देशों को कृषि क्षेत्र के लिये उच्च घरेलू समर्थन तथा समझौतों एवं बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं को लागू करने के लिये लंबा समय जैसे लाभ मिलते हैं।

विश्व व्यापार संगठन में सुधारों के तहत अमेरिका यह दलील दे रहा है कि जो देश आर्थिक वृद्धि और समृद्धि के संदर्भ में अच्छा कर रहे हैं, उन्हें एस एंड डीटी लाभ की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘भारत का मंत्रिस्तरीय बैठक में रुख बहुपक्षवाद व्यवस्था में नई जान डालना और मजबूत बनाना तथा अधिक समावेशी निर्णय प्रक्रिया स्थापित करना है। इसके लिये यह जरूरी है कि डब्ल्यूटीओं सुधारों को लेकर विकासशील देशों का सामूहिक दृष्टिकोण यथासंभव औपचारिक रूप से व्यक्त हो।’’ 

बैठक के अंतिम दिन सदस्यों को संबोधित करते हुए वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने उम्मीद जतायी कि यह कदम डब्ल्यूटीओ वार्ताओं में विकास की अहमियत पर फिर से मुहर लगाएगा और सुधारों के लिये सुझाव उपलब्ध कराएगा।

उन्होंने कहा कि भेदभाव रहित, पारदर्शिता के सिद्धांतों और आम सहमति से निर्णय लेने की परंपरा इतना महत्वपूर्ण है कि हम इसे गंवा नहीं सकते।

मंत्री ने कहा कि विकासशील देशों में 7.3 अरब लोग रहते हैं और उन्हें वृद्धि के लाभ वंचित नहीं किया जा सकता और न ही किया जाना चाहिए। डब्ल्यूटीओ व्यापार के जरिये न कि सहायता के माध्यम से देशों के विकास और वृद्धि की चिंताओं को दूर करने वाले एक संस्थान है। 

प्रभु ने कहा, ‘‘नयी दिल्ली मंत्रिस्तरीय बैठक में किये जा रहे प्रयास डब्ल्यूटीओ को और बेहतर बनाएगा...।’’ 

डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक रोबर्टो एजेवेदो ने कल रात अपने संबोधन में कहा था कि विवाद निपटान संकट ‘गहरा संकट’ है और सभी देशों को इसके समाधान पर गौर करना है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली के अपीलीय निकाय में सदस्यों की नियुक्ति को अवरूद्ध किया है। नियुक्ति में देरी से प्रणाली के सुचारू रूप से काम करने में समस्या होगी जबकि निष्पक्ष विश्व व्यापार के लिये यह जरूरी है। 

उन्होंने यह भी कहा कि डब्ल्यूटीओ के कुछ सदस्य देशों के बीच समझौते को विकसित एवं विकासशील देशों के बीच विभाजन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि इसमें दोनों पक्षों के सदस्य देश हैं।

एस एंड डीटी के मुद्दे पर उन्होंने विशेष व्यवहार प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जिससे गतिरोध दूर हो।



(साभार: पीटीआई भाषा)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'


Plz Follow Me on: 


कोई टिप्पणी नहीं