नेपाल, चीन ने पारगमन समझौते को अमल में लाने के लिये संधि पत्र पर किये हस्ताक्षर


चीन और नेपाल ने 2016 में किये गये पारगमन और परिवहन समझौते (टीटीए) को अमल में लाने के लिये संधि पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। इस समझौते से हिमालयी देश को अपने विदेशी व्यापार के लिये चीनी समुद्री तथा भूमि बंदरगाहों का रास्ता लेने की सुविधा होगी।

इससे नेपाल की वस्तुओं और व्यापार के लिये भारत पर निर्भरता कम होगी।

नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ सोमवार को बैठक के दौरान संधि पत्र तथा छह अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये।

भंडारी चीन की नौ दिन की यात्रा पर हैं। इससे पहले, वह दूसरी क्षेत्र सड़क मंच बैठक में शामिल हुई। यह बैठक 25-27 अप्रैल को हुई। चीन के अरबों डालर के एक क्षेत्र-एक सड़क पहल पर हस्ताक्षर करने वालों में नेपाल शामिल है। 

यहा आधिकारिक मीडिया ने कहा कि दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए। वहीं नेपाली मीडिया ने कहा कि जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये, उसमें संधि पत्र पर हस्ताक्षर शामिल हैं।

टीटीए पर नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने 2016 में चीन यात्रा के दौरान दस्तखत किया था। उस समय मधेशी आंदोलन चरम पर था जिससे भारतीय बंदरगाहों तक नेपाल की पहुंच प्रभावित हुई थी। इससे नेपाल में वस्तुओं और ईंधन की भारी कमी हो गयी थी।

काठमांडो पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार इस संधि से तीसरे देश से आयात के लिये नेपाल की पहुंच चीन के बंदरगाहों...तिआनजीन, शेनझोन, लिआनयूनगांग और झानजिआंग...तथा तीन भूमि बंदरगाह...लैनझाऊ, ल्हासा और शीगात्से तक पहुंच होगी। साथ ही नेपाल को दोनों देशों के बीच छह पारगमन क्षेत्रों से निर्यात की भी अनुमति होगी। 

इस बीच, नेपाल के अधिकारी रबी शंकर संजू के हवाले से अखबार ने लिखा है कि चीनी बंदरगाह भारतीय बंदरगाह का स्थान नहीं लेंगे बल्कि यह अतिरिक्त बंदरगाह होंगे जिसका हम उपयोग कर सकते हैं।

(साभार: पीटीआई भाषा)
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