थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 3.07 प्रतिशत पर


खाद्य पदार्थों के महंगे होने के बावजूद विनिर्माण वस्तुओं और ईंधन की कीमतों मे नरमी से अप्रैल महीने में थोक मुद्रास्फीति गिरकर 3.07 प्रतिशत पर आ गई। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। 

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च, 2019 में 3.18 प्रतिशत थी जबकि अप्रैल, 2018 में यह 3.62 प्रतिशत पर थी। 

सब्जियों के दाम बढ़ने से अप्रैल में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति अधिक रही। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार , अप्रैल में सब्जियों की मद्रास्फीति 40.65 प्रतिशत पर पहुंच गई। मार्च में यह 28.13 प्रतिशत थी। 

खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति मार्च में 5.68 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2019 में 7.37 प्रतिशत हो गई। 

वहीं , दूसरी ओर ' ईंधन एवं बिजली ' श्रेणी की मुद्रास्फीति अप्रैल में गिरकर 3.84 प्रतिशत रह गई। मार्च में मुद्रास्फीति 5.41 प्रतिशत थी। इसी प्रकार , विनिर्माण वस्तुओं की मुद्रास्फीति मार्च में 2.16 प्रतिशत से नीचे आकर अप्रैल में 1.72 प्रतिशत पर रही। 

उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए मुख्यत : खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने नीतिगत दर (रेपो) में 0.25 अंक की कटौती की थी। 

सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक , सब्जी, मांस, मछली और अंडे जैसे खाने का सामान महंगा होने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर छह महीने के उच्चतम स्तर 2.92 प्रतिशत पर पहुंच गई। 

रिजर्व बैंक ने अप्रैल - सितंबर अवधि में खुदरा मुद्रस्फीति के 2.9 से 3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसकी वजह खाने - पीने का सामान और ईंधन की कीमतों में नरमी है। 

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में जून महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक होनी है। यह इस वित्त वर्ष की दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा होगी। 


(साभार: पीटीआई भाषा)
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