दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत दबाव वाली संपत्तियों के निपटान से बैंक और वित्तीय संस्थान चालू वित्त वर्ष 2019-20 में करीब 80,000 करोड़ रुपये की वसूली कर पाएंगे। रेटिंग एजेंसी इक्रा के एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है। इससे पिछले वित्त वर्ष में वित्तीय संस्थान आईबीसी के जरिये निपटान से करीब 66,000 करोड़ रुपये निकाल पाए थे।
अध्ययन में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में दो बड़े खातों एस्सार स्टील लि.और भूषण स्टील एंड पावर लि. की कॉरपोरेट दिवाला निपटान प्रक्रिया (सीआईआरपी) पूरी होने की वजह से आईबीसी निपटान से अधिक वसूली की उम्मीद है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने जून, 2017 में जिन 12 बड़ी कर्ज चूक वाली कंपनियो की सूची जारी की थी उनमें ये दो खाते भी शामिल हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि इन दो खातों का सीआईआरपी प्रक्रिया पूरी होने से रिजर्व बैंक की सूची से आठ कंपनियां हट जाएंगी और इससे आईबीसी के प्रति भरोसा कायम करने में मदद मिलेगी। हालांकि, अभी तक इस तरह की प्रक्रिया में काफी विलंब हुआ है और ज्यादातर सीआईआरपी प्रक्रियाएं 500 दिन से अधिक चली हैं।
(साभार: पीटीआई भाषा)
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