देश में हर साल रोजगार के लाखों नये अवसर पैदा करने की जरूरत, सरकारों के लिये चुनौती: पुस्तक


देश में कार्य करने लायक उम्र के लोगों की संख्या हर महीने 13 लाख बढ़ रही है। इस कारण देश में प्रति वर्ष रोजगार के लाखों नये अवसर सृजित करने की जरूरत है। एक नयी पुस्तक में ये बातें कही गयी हैं।

गौतम दास की हेशेट द्वारा प्रकाशित इस नयी पुस्तक ‘जॉबोनॉमिक्स: इंडिया'ज एम्पलायमेंट क्राइसिस एंड व्हाट दी फ्यूचर होल्ड्स’ के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिये रोजगार सृजन सबसे बड़ी चुनौती है। दास ने कहा, ‘‘यह 2019 और उसके बाद की किसी भी सरकार के लिये सबसे बड़ी चुनौती होने वाली है।’’ 

दास ने कहा कि रोजगार या रोजगार सृजन के बारे में भरोसेमंद डेटा लाना मुश्किल काम है। उन्होंने पुस्तक में कहा है, ‘‘अधिकांश सरकारी सर्वेक्षण के मामले में या तो डिजायन में खामी है या ये सर्वेक्षण कई साल में एक बार जारी किये जाते हैं। सीएमआईई द्वारा 2016 में शुरू किया गया प्रयास सरकार में कई लोगों को रास नहीं आया है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘आंकड़े उत्साहजनक नहीं हैं। सीएमआईई के अनुसार रोजगार सृजन का कांटा पिछले साल से कहीं हिला नहीं है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 40.62 करोड़ लोग रोजगार में थे जो एक साल पहले की तुलना में 0.10 प्रतिशत कम है। रोजगार की दर यानी कार्य करने योग्य लोगों की कुल आबादी में रोजगार पाये लोगों का प्रतिशत 2017-18 के दौरान 42.59 प्रतिशत से घटकर 41.45 प्रतिशत पर आ गया।’’ 

दास ने कहा कि अभी के समय में पांच प्रतिशत से या इससे कुछ कम की बेरोजगारी दर नियंत्रण करने लायक लगती है। 

पुस्तक में कहा गया, ‘‘इससे रोजगार संकट के संकेत नहीं मिलते हैं। लेकिन इस पर गौर किया जाना चाहिये कि भारत में हर महीने लाखों लोग कार्य करने योग्य उम्र की श्रेणी में शामिल हो रहे हैं। विश्वबैंक की दक्षिण एशिया आर्थिक केंद्रबिंदू (ग्रीष्म) 2018 रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से 2025 के बीच भारत में कार्य करने योग्य उम्र यानी 15 साल से अधिक की आयु वाले लोगों की संख्या हर महीने 13 लाख बढ़ेगी।’’ 

दास ने कहा कि इस कारण भारत में हर साल रोजगार के लाखों नये अवसर सृजित किये जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र पहले से अधिक प्रौद्योगिकी केंद्रित होता जा रहा है। ये दोनों क्षेत्र कृषि से पलायन कर रहे लोगों को खपा पाने में सक्षम नहीं हैं। इसके अलावा रोबोट और बॉट भी अधिक वेतन वाले रोजगार के अवसरों को कम कर रहे हैं। आने वाले समय में रोजगार के लिये अधिक कौशल वाले लोगों की जरूरत होगी।

(साभार: पीटीआई भाषा)
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