विवाद में उलझने के बजाय उपभोक्ताओं की समस्याओं को दूर करें सेवा प्रदाता कंपनियां: उपभोक्ता अदालत


सेवा प्रदाता कंपनियों को उपभोक्ताओं की समस्याओं का निवारण करने के ईमानदारी के साथ प्रयास करने चाहिये। इन कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे चीजों को समझने की कोशिश करेंगे और कानूनी लड़ाई में उलझने के बजाय उपभोक्ताओं के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाएंगे। एक शीर्ष उपभोक्ता न्यायालय ने यह टिप्पणी की है।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने हुंदै मोटर इंडिया लिमिटेड की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। एक उपभोक्ता अदालत ने कंपनी को आदेश दिया था कि वह एक मामले में उपभोक्ता को खराब कार के बदले नयी कार दे या पूरी रकम वापस करे। कंपनी ने इस आदेश पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

आयोग ने कहा कि जब कोई कंपनी जिला उपभोक्ता अदालत के फैसले के खिलाफ एक महीने से अधिक की देरी के बाद अपील करती है तो यह कोताही, अहंकार और अशिष्टता है।

आयोग ने कहा, सेवा प्रदाताओं से केवल यह उम्मीद की जा सकती है कि कंपनियां उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देने में सुधार लाने पर ही अपनी सारी ऊर्जा खर्च करेगी।

संबंधित मामले में रायुपर निवासी सुरेश कुमार शर्मा ने 15,84,104 रुपये में हुंदै की एलांट्रा कार ली थी। शर्मा के अनुसार कार के स्टियरिंग में खराबी थी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें 17 बार कार को सर्विसिंग के लिये ले जाना पड़ा लेकिन इसके बाद भी दिक्कत दूर नहीं हुई। हालांकि, कंपनी ने इससे असहमति जताते हुये कहा कि इनमें से कई मौकों पर कार को सामान्य प्रकृति के कार्यों के लिये ही लाया गया।

अदालत ने आदेश में कहा कि कार के स्टियरिंग में खराबी परेशान करने वाला और खतरनाक है। इसे सामान्य नहीं कहा जा सकता है।

पीठ के अध्यक्ष अनुप कुमार ठाकुर ने कहा, ‘‘जब एक आदमी 15 लाख रुपये से अधिक खर्च कर एक कार खरीदता है, वह भी हुंदै जैसी नामी कंपनी से, तब वह कई साल तक बिना दिक्कत के सुविधा की उम्मीद करता है। वह कतई एक ही मामले को लेकर बार-बार सर्विस सेंटर नहीं जाना चाहता है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसमें यही कहना चाहूंगा कि कंपनी को अपनी पूरी ऊर्जा अपने ग्राहकों की संतुष्टि के लिये लगानी चाहिये।’’ 



(साभार: पीटीआई भाषा)
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