रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान बृहस्पतिवार को घटाकर 2.9- 3 प्रतिशत कर दिया। यह कटौती खाद्य पदार्थों एवं ईंधन के कम दाम तथा मानसून करीब करीब सामान्य रहने के पूर्वानुमान को देखते हुये की गई है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दर को भी 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद कहा कि 2019-20 के दौरान मुद्रास्फीति कई कारकों से प्रभावित होने वाली है। सबसे पहले जनवरी-फरवरी के दौरान नरम खाद्य मुद्रास्फीति का निकट भविष्य के मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर असर पड़ेगा। इसके साथ ही फरवरी की नीतिगत बैठक के समय ईंधन समूह में मुद्रास्फीति गिरने के असर को देखा गया है।
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘इन कारकों को ध्यान में रखते हुए तथा 2019 में मानसून सामान्य रहने के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान घटाकर वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही के लिये 2.40 प्रतिशत, 2019-20 की पहली छमाही के लिये 2.9-3.0 प्रतिशत और 2019-20 की अंतिम छमाही के लिये 3.5-3.8 प्रतिशत कर दिया गया है।’’
इससे पहले फरवरी की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने 2019-20 की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 3.2 से 3.4 प्रतिशत के बीच रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया था।
रिजर्व बैंक ने कहा कि फरवरी में खाद्य एवं ईंधन को छोड़ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति उम्मीद से नीचे थी जिसने मुख्य मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान घटाने का रास्ता सुझाया।
(स्रोत-पीटीआई भाषा)
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