गैर-प्रमुख संपत्ति बेचने के लिये केंद्रीय लोक उपक्रमों को मिलेगा 12 महीने का समय


सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्री स्तरीय समिति द्वारा चिन्हित अपनी गैर - महत्वपूर्ण संपत्ति को बाजार पर चढ़ाने के लिये 12 महीने का समय होगा। ऐसा नहीं होने पर वित्त मंत्रालय केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) के बजटीय आवंटन को प्रतिबंधित कर सकती है। 

निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने सोमवार को सीपीएसई की गैर - महत्वपूर्ण संपत्ति तथा अचल शत्रु संपत्ति को बाजार पर चढाने या उसे बेचने को लेकर दिशानिर्देश जारी किया। मंत्रिमंडल के फरवरी में किये गये निर्णय के बाद यह कदम उठाया गया। 

दिशानिर्देश के अनुसार, दीपम सचिव की अध्यक्षता वाला एक अंतर - मंत्रालयी समूह (आईएमजी) स्वयं से तथा नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर सीपीएसई की गैर - महत्वपूर्ण संपत्ति को चिन्हित करेगा। हालांकि इस बारे में मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति अंतिम निर्णय करेगी। 

एक बार मंत्री स्तरीय समिति द्वारा बाजार पर चढ़ाने को लेकर संपत्ति की पहचान कर ली जाती है , तो संबंधित कंपनियों को मंजूरी की तारीख से 12 महीने के भीतर इस कार्य को पूरा करना होगा। 

लोक उपक्रम विभाग (डीपीई) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के तहत सीपीएसई को यह लक्ष्य दिया गया है जिसे उन्हें पूरा करना है। 

दिशानिर्देश में सीपीएसई को गैर - महत्वपूर्ण संपत्ति बेचने को लेकर अंतर - मंत्रालयी समूह से 12 महीने की समयसीमा से राहत प्राप्त करने का विकल्य उपलब्ध कराया गया है। 

इसमें कहा गया है कि सीपीएसई के लिये किसी भी प्रकार के बजटीय समर्थन पर विचार व्यय विभाग और आर्थिक मामलों का विभाग (डीईए) तभी करेगा जब संपत्ति को बाजार पर चढ़ाने का लक्ष्य पूरा हो जाता है। 

अचल शत्रु संपत्ति की बिक्री के संबंध में, दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि निपटान के लिए परिसंपत्तियों की पहचान राज्य सरकार समेत संबंधित पक्षों के साथ परामर्श से की जाएगी।


(साभार: पीटीआई भाषा)
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