खाद्य सुरक्षा के लिए परीक्षण और प्रवर्तन गतिविधियों को बढ़ाया जायेगा


लोगों को सुरक्षित भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई अधिक नमूनों का परीक्षण करेगा और प्रवर्तन गतिविधियों को बढ़ायेगा। एफएसएसएआई के सीईओ पवन कुमार अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने हाल ही में दूध पर एक सर्वेक्षण किया है और वह सभी खाद्य पदार्थो की निगरानी करना चाहेगा।

अग्रवाल ने खाद्य व्यवसायों को बढ़े हुए प्रवर्तन से नहीं डरने को कहा क्योंकि इसका मकसद बाजारों में सुरक्षित खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करना है।

एक विश्लेषणात्मक निकाय, एओएसी इंडिया द्वारा आयोजित खाद्य सुरक्षा पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हम एफएसएसएआई में रहते हुए खाद्य परीक्षण और विश्लेषण के महत्व को पहचान चुके हैं। हमारी प्रयोगशालाएं अनिवार्य रूप से हमारे खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख अंग हैं।" उन्होंने कहा कि एक मजबूत खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए गुणवत्ता वाले खाद्य परीक्षण प्रणाली को लागू करना महत्वपूर्ण है।

प्रयोगशाला प्रणाली को मजबूत करना बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए अग्रवाल ने कहा कि एफएसएसएआई अच्छी तरह से काम करने वाली विश्वसनीय खाद्य प्रयोगशालाओं के राष्ट्रीय संजाल की नींव बनाने का प्रयास कर रहा है।

उन्होंने कहा, "मुझे यह स्वीकार करना पड़ेगा कि केवल कुछ प्रारंभिक काम किये गये हैं।" पिछले कुछ वर्षों में, एफएसएसएआई ने वित्तीय सहायता के माध्यम से सरकारी प्रयोगशालाओं को बेहतर बनाने के लिए जोर दिया है और निजी प्रयोगशालाओं को भी अधिसूचित किया है।

हालांकि, इन प्रयोगशालाओं के लिए विश्लेषणात्मक कर्मचारियों के क्षमता निर्माण के क्षेत्र में बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है।

अग्रवाल ने बताया कि देश में प्रवर्तन एजेंसियों और खाद्य व्यापार परिचालकों द्वारा कम नमूनों का परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कॉरपोरेट्स को उनके द्वारा किए गए खाद्य परीक्षण के नमूनों को दोगुना करने के लिए कहा।

एफएसएसएआई के सीईओ ने निगरानी गतिविधियों का विस्तार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि राज्य एजेंसियां ​​निरीक्षण और परीक्षण करने के लिए अपने जांच संख्या को बढ़ा रही हैं।

अग्रवाल ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी कर रहे हैं कि प्रवर्तन गतिविधियां बढ़ें। यह खाद्य व्यवसायों को डराने के लिए नहीं है। यह देखना है कि बाजार में उपलब्ध भोजन सुरक्षित हों।" 


(सौ. पीटीआई भाषा)
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