संयुक्तराष्ट्र (यूएन) के प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने बृहस्पतिवार को कहा कि व्यापार मोर्चे पर तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। यह तनाव वास्तव में एक राजनीतिक समस्या है।
गुटेरस ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना आम बैठक में विशेष संबोधन में कहा कि दुनिया आज चुनौतियों का सामना कर रही है। यह चुनौतियां काफी हद तक एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और एक जैसी ही हैं लेकिन इनके लिए जो उपाय किए जा रहे हैं वो अलग-अलग तरह से किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "अगर इस स्थिति को ठीक नहीं किया गया तो यह आपदा का कारण बन सकता है।"
संयुक्तराष्ट्र प्रमुख ने कहा कि यदि वैश्विक राजनीति और भू-राजनीतिक तनाव के साथ विश्व अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, डिजिटलीकरण को देखा जाए तो हकीकत यह है कि सभी चुनौतियां काफी हद तक एक-दूसरे से जुड़ी हैं और ये समस्याएं वैश्विक हैं लेकिन इनके लिए जो उपाय किए जा रहे हैं वो सभी देश अपने-अपने स्तर पर कर रहे हैं।
गुटेरस ने कहा कि संभवत: पहला जोखिम व्यापार मोर्चे पर तनाव है और व्यापार तनाव आज एक राजनीतिक समस्या है।
उन्होंने कहा कि दूसरा जोखिम कर्ज से जुड़ा है। यह आर्थिक संकट की आशंका से निपटने की क्षमता को सीमित करता है और देशों को परियोजना के क्रियान्वयन से भी रोकता है जो कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी है।
(सौ. पीटीआई भाषा)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
गुटेरस ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना आम बैठक में विशेष संबोधन में कहा कि दुनिया आज चुनौतियों का सामना कर रही है। यह चुनौतियां काफी हद तक एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और एक जैसी ही हैं लेकिन इनके लिए जो उपाय किए जा रहे हैं वो अलग-अलग तरह से किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "अगर इस स्थिति को ठीक नहीं किया गया तो यह आपदा का कारण बन सकता है।"
संयुक्तराष्ट्र प्रमुख ने कहा कि यदि वैश्विक राजनीति और भू-राजनीतिक तनाव के साथ विश्व अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, डिजिटलीकरण को देखा जाए तो हकीकत यह है कि सभी चुनौतियां काफी हद तक एक-दूसरे से जुड़ी हैं और ये समस्याएं वैश्विक हैं लेकिन इनके लिए जो उपाय किए जा रहे हैं वो सभी देश अपने-अपने स्तर पर कर रहे हैं।
गुटेरस ने कहा कि संभवत: पहला जोखिम व्यापार मोर्चे पर तनाव है और व्यापार तनाव आज एक राजनीतिक समस्या है।
उन्होंने कहा कि दूसरा जोखिम कर्ज से जुड़ा है। यह आर्थिक संकट की आशंका से निपटने की क्षमता को सीमित करता है और देशों को परियोजना के क्रियान्वयन से भी रोकता है जो कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी है।
(सौ. पीटीआई भाषा)
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