(सौ. भाषा)
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के संकेत दिख रहे हैं लेकिन बुनियादी आधार अभी भी कमजोर बना हुआ है और इसे ‘स्वस्थ स्तर’ पर आने में लंबा वक्त लगेगा। डीबीएस ने शुक्रवार को अपनी एक रपट में यह बात कही।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी डीबीएस के अनुसार हालिया दो तिमाही में भारतीय बैंकों की आय में सुधार के संकेत दिखे हैं। उनकी परिसंपत्तियों की गुणवत्ता भी हल्की बेहतर हुई है।
रपट में कहा गया है कि अधिकतर बैंकों का सकल गैर-निष्पादित कर्ज (एनपीएल) कम हुआ है और नया गैर-निष्पादित कर्ज कम बढ़ा है। कुछ बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता आने वाली तिमाहियों में और बेहतर होने की भी संभावना है।
जून-सितंबर तिमाही में देश के दो प्रमुख बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक फिर से लाभ की स्थिति में आए हैं। जबकि इससे पहली तिमाहियों में वे नुकसान में थे। कर्ज की कम लागत से बैंकों के मुनाफे को समर्थन मिला है।
डीबीएस ने अपनी शोध रपट में कहा, ‘‘हमारे नमूनों में सकल एनपीएल का अनुपात 10 प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है जबकि उनका पूंजीकरण सिर्फ पर्याप्त स्तर पर बना हुआ है।’’
हमारा अनुमान है कि सरकार समय-समय पर इक्विटी के माध्यम से पैसा डालकर बैंकों में पूंजी के स्तर को बनाए रखेगी।
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के संकेत दिख रहे हैं लेकिन बुनियादी आधार अभी भी कमजोर बना हुआ है और इसे ‘स्वस्थ स्तर’ पर आने में लंबा वक्त लगेगा। डीबीएस ने शुक्रवार को अपनी एक रपट में यह बात कही।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी डीबीएस के अनुसार हालिया दो तिमाही में भारतीय बैंकों की आय में सुधार के संकेत दिखे हैं। उनकी परिसंपत्तियों की गुणवत्ता भी हल्की बेहतर हुई है।
रपट में कहा गया है कि अधिकतर बैंकों का सकल गैर-निष्पादित कर्ज (एनपीएल) कम हुआ है और नया गैर-निष्पादित कर्ज कम बढ़ा है। कुछ बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता आने वाली तिमाहियों में और बेहतर होने की भी संभावना है।
जून-सितंबर तिमाही में देश के दो प्रमुख बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक फिर से लाभ की स्थिति में आए हैं। जबकि इससे पहली तिमाहियों में वे नुकसान में थे। कर्ज की कम लागत से बैंकों के मुनाफे को समर्थन मिला है।
डीबीएस ने अपनी शोध रपट में कहा, ‘‘हमारे नमूनों में सकल एनपीएल का अनुपात 10 प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है जबकि उनका पूंजीकरण सिर्फ पर्याप्त स्तर पर बना हुआ है।’’
हमारा अनुमान है कि सरकार समय-समय पर इक्विटी के माध्यम से पैसा डालकर बैंकों में पूंजी के स्तर को बनाए रखेगी।
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