सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने वित्त वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान स्थिर मूल्यों (2011-12) और वर्तमान मूल्यों दोनों पर ही जारी कर दिए हैं। इन अनुमानों से जुड़ी मुख्य बातों का उल्लेख नीचे किया गया है:
आर्थिक गतिविधि की दृष्टि से जीवीए के अनुमान
स्थिर (2011-12) मूल्यों पर अनुमान
वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बढ़कर 33.74 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में यह 31.18 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। यह 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है। वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में बुनियादी स्थिर मूल्यों (2011-12) पर तिमाही जीवीए के बढ़कर 31.63 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में 29.29 लाख करोड़ रुपये था। यह 8.0 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।
जिन क्षेत्रों ने वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में 7.0 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर दर्ज की है उनमें‘विनिर्माण’, ‘विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य उपयोगी सेवाएं’, ‘निर्माण’ एवं ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ शामिल हैं। ‘कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन’, ‘खनन एवं उत्खनन’, ‘व्यापार, होटल,परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाओं’ और ‘वित्तीय, अचल संपत्ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ की वृद्धि दर क्रमश: 5.3, 0.1, 6.7 और 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
वर्तमान मूल्यों पर अनुमान
सकल घरेलू उत्पाद
वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के बढ़कर 44.33लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है, जो वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में 38.97 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। यह 13.8 फीसदी की वृद्धि दर दर्शाती है। वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में बुनियादी वर्तमान मूल्यों पर जीवीए के बढ़कर 41.02 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में 36.34 लाख करोड़ रुपये था। यह12.9 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है। विभिन्न क्षेत्रों (सेक्टर) में वृद्धि दरें इस तरह रहीं : ‘कृषि,वानिकी एवं मत्स्य पालन’ (7.0 प्रतिशत), ‘खनन एवं उत्खनन’(18.0 प्रतिशत), विनिर्माण (17.7 प्रतिशत), ‘विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य उपयोगी सेवाएं’ (13.2 प्रतिशत), ‘निर्माण’ (13.8 प्रतिशत), ‘व्यापार, होटल, परिवहन एवं संचार’ (11.7 प्रतिशत), ‘वित्तीय, अचल संपत्ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ (12.1 प्रतिशत) और ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ (15.4 प्रतिशत)।
(स्रोत-पीआईबी)
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