बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिल रहे कम ब्याज से शायद आप खुश नहीं होंगे। आने वाले दिनों में हो सकता है कि बैंक एफडी पर ब्याज दर बढ़ा दें। अगर इस समय बैंकों की सेविंग्स डिपॉजिट रेट की बात करें तो आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक, यह सालाना 3.5-4 प्रतिशत है जबकि फिक्स्ड या टर्म डिपॉजिट रेट की बात करें तो यह 6-6.75 प्रतिशत सालाना है।
पिछले साल नवंबर में देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और अभी कुछ दिन पहले ही पंजाब नेशनल बैंक ने चुनिंदा एफडी पर ब्याज बढ़ाकर इसके संकेत दे चुके हैं। आपको बता दें कि पंजाब नेशनल बैंक ने चुनिंदा एफडी पर ब्याज दरों में 1.25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर दी थी। आने वाले दिनों में बैंक एफडी पर ब्याज बढ़ने की कई वजह बता रहे हैं जानकार।
सबसे पहले तो बैंकों को आने वाले दिनों में ज्यादा कर्ज देने की जरूरत पड़ेगी जिसके लिए पैसा जुटाना जरूरी है। एक तरफ लोग एफडी में कम पैसे लगा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बैंक के पास जो अतिरिक्त सरकारी बॉन्ड हैं उसे वो बेच रहे हैं। बैंकों से कर्ज लेने की रफ्तार बढ़ने की वजह से बैंकों की जमाराशि पर दबाव बढ़ गया है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक साल में बैक ₹2.6 लाख करोड़ के सरकारी बॉन्ड बेच चुके हैं।
रिजर्व बैंक के एक और ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 22 दिसंबर 2017 तक उससे एक साल पहले की अवधि के मुकाबले बैंक से कर्ज लेने की रफ्तार 4.7 प्रतिशत के मुकाबले 10.7 प्रतिशत बढ़कर ₹ 81 लाख करोड़ तक जा पहुंचा है। वहीं इस दौरान बैंकों में जमाराशि की बढ़ोतरी कम रही। 22दिसंबर 2017 तक बैंकों में जमाराशि की बढ़ोतरी की बात करें तो यह 14.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी के मुकाबले महज 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ ₹ 109 लाख करोड़ ही पहुंचा है।
बैंकर्स का मानना है कि आने वाले दिनों में अगर कर्ज की मांग इसी तरह बढ़ती रही तो बैंकों में नकदी का संकट पैदा हो सकता है। इसलिए नकदी बढ़ाने और उसे बनाए रखने के लिए बैंक एफडी पर ब्याज बढ़ा सकते हैं।
आपको बता दें कि पिछले दो सालों में बैंक एफडी पर ब्याज दर में 200 बेसिस प्वाइंट यानी 2 प्रतिशत ,से ज्यादा की कमी कर चुके हैं। एफडी पर कम ब्याज मिलने से मायूस निवेशक बैंक में पैसा निवेश करने के बदले शेयर बाजार और म्युचुअल फंड को ज्यादा आकर्षक मान रहे हैं। बैंक पिछले एक साल के मुकाबले महज ₹ 4.1 लाख करोड़ ही जमाराशि इकट्ठा कर पाए हैं, जबकि इस दौरान ₹ 7.8 लाख करोड़ का कर्ज बांटा है।
एक बात और बता दूं कि बैंकों के पास जितनी जमाराशि होती हैं, उन सभी को कर्ज के रूप में नहीं दे सकते हैं। उनमें से कुछ जमाराशि सीआरआर यानी कैश रिजर्व रेश्यो के तौर पर रिजर्व रखना होता है और कुछ एसएलआर के तौर पर सरकारी बॉन्ड, सोना बगैरह में लगाना होता है। अभी की बात करें तो CRR 4% है और SLR 19.5% है। इसका मतलब हुआ कि बैंकों को ₹ 100 में से ₹4 सीआरआर के रूप में रिजर्व रखना होगा जबकि ₹19.50 एसएलआर के रूप सरकारी बॉन्ड और गोल्ड में निवेश करना होगा। यानी ₹100 में से ₹ 4+₹19.5=₹23.5 को बैंक कर्ज के रूप में नहीं बांट सकते हैं। बैंकों के पास कर्ज के रूप में बांटने के लिए बची रकम है: ₹100-₹23.5= ₹76.5।
बैंकों की जमाराशियों पर कितना दबाव है इसका अंदाज आप क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो यानी सीडीआर यानी डिपॉजिट के अनुपात में क्रेडिट यानी जमाराशि की तुलना में कर्ज की रकम से भी लगा सकते हैं। फिलहाल सीडीआर 74.38 प्रतिशत है जो कि सालभर पहले 69.87 प्रतिशत था।
उधर, कच्चे तेल की बढ़ती कीमत एक बार फिर से महंगाई पर दबाव बढ़ा रही है। रिजर्व बैंक ने भी माना है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत चिंता बन सकती है। इसे देखते हुए भी जानकार मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक शायद ही प्रमुख दरों में कटौती करे, जिसकी उम्मीद लोग कर रहे हैं। हालांकि, बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में बढ़ोतरी का रुख अपना सकते हैं। अगर रिजर्व बैंक ऐसा करता है कि बैंकों को एफडी पर ब्याज बढ़ाने का मौका मिल सकता है।
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