'2018 में कर्ज सस्ता होने की उम्मीद मत करें'

रिजर्व बैंक से लगातार प्रमुख दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही है लेकिन, ब्याज दरों पर होने वाली पिछली दो बैठकों (अक्टूबर और दिसंबर) में प्रमुख दरों में कोई कटौती नहीं की गई। अगले साल यानी 2018 में भी रिजर्व बैंक की तरफ से प्रमुख दरों में कटौती की जरा भी संभावना नहीं है। ये कहना है दिग्गज फाइनेंशियल संस्था नोमुरा का। 

नोमुरा ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने के साथ-साथ वित्तीय घाटा और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना के अलावा ग्रोथ में सुधार की वजह से रिजर्व बैंक शायद ही प्रमुख दरों में कटौती करे। रिजर्व बैंक की अगली बैठक 5,6 फरवरी को है। 

संस्था का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से 2017-18 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने वाला है। हालांकि बजट में सरकार ने वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। 

रिजर्व बैंक ने 5,6 दिसंबर की बैठक के मिनट्स यानी कार्यवृत में आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने की चिंता जताई है। 

इन सब बातों को देखते हुए लग रहा है कि 2018 में कर्ज सस्ता होने की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। 


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