GST में और सुधार की जरूरत: RBI MPC

19. एमपीसी का यह मानना था कि हाल के दिनों में किये गए विभिन्न प्रकार के ढाँचागत सुधारों से आर्थिक संवृद्धि में मध्यम और दीर्घकालिक तेजी आएगी क्योंकि इनसे कारोबारी माहौल में सुधार आएगा, पारदर्शिता बढ़ेगी और और अर्थव्यवस्था अधिकाधिक रूप में औपचारिक बनेगी।बैंक तुलन-पत्र में दबावग्रस्त कॉर्पोरेट जोखिम के समाधान की दिशा में रिज़र्व बैंक लगातार प्रयासरत है जिसका मध्यावधि लाभअर्थव्यवस्था को मिलना प्रारंभ हो जाना चाहिए।
20. एमपीसी ने जोर देकर कहा कि आर्थिक गतिविधियों को नवजीवन देना अति आवश्यक है क्योंकि ऐसा करने वर्तमान क्षमता का उपभोग होगा और नई क्षमता निर्माण की आवश्यकता के मद्देनजर उद्योगों द्वारा बैंक ऋण की मांग बढ़ेगी जिनका वित्तपोषण किया जा सकेगा। सरकारी बैंकों को समुचित रूप से पुन: पूंजी उपलब्ध कराने से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि उत्पादक क्षेत्र को ऋण का प्रवाह निर्बाध हो और वृद्धि की संभावनाएं कुंद न पड़ें। इसके साथ ही साथ, संवृद्धि को सहारा देने और उत्पादन अंतराल को अपेक्षाकृत अधिक तेजी से कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं यथा- गंभीर आधारिक अंतराल को कम करने के लिए संगठित अभियान चलाना, रुकी पड़ी निवेश परियोजनाओं, विशेष रूप से सरकारी क्षेत्र की, को नये सिरे से प्रारंभ करना; कारोबार के लिए सहूलियतें बढ़ाना जिसमें जीएसटी में और अधिक सुधार करना शामिल है; और समय-बद्ध सिंगल विंडो समाशोधन करना और राज्यों द्वारा लगाए जा रहे अत्यधिक स्टांप शुल्कों को तर्कसंगत बनाते हुए वहनीय लागत वाले आवासीय कार्यक्रमों के तीव्रतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
21. डॉ. चेतन घाटे, डॉ. पामी दुआ, डॉ. माइकल देवव्रत पात्र, डॉ. विरल वी. आचार्य और डॉ. ऊर्जित आर. पटेल मौद्रिक नीति संबंधी निर्णयों के पक्ष में थे जबकि डॉ. रवींद्र एच. ढोलकिया ने नीतिगत दरों में कम से कम 25 बेसिस अंकों की गिरावट के पक्ष में वोट किया। एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 18 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित किया जाएगा।
22. एमपीसी की अगली बैठक 5 और 6 दिसंबर 2017 को निर्धारित की गयी है।
(Source: rbi.org.in)

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