डिमॉनिटाइजेशन का संभावित असर इकोनॉमी, निवेश और म्युचुअल फंड इंडस्ट्री पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के नोट के अचानक बंद किए जाने की घोषणा ने देश-दुनिया, इंडस्ट्री-इकोनॉमिस्ट समेत हर किसी को चौंका दिया था। मोदी जी के इस कदम का स्वागत भी हो रहा है तो विरोध भी। इसी बीच आइए जान लेते हैं कि नोटबंदी के इस कदम का इकोनॉमी, निवेश और म्युचुअल फंड इंडस्ट्री पर संभावित 15 असर क्या पड़ेंगे....
>नोटबंदी के संभावित असर: 
1-नकदी अर्थव्यवस्था पर असर-देश में कुल नोट वैल्यू का करीब 86% 500 और 1000 रुपए का नोट प्रचलन में है। दूसरी ओर लोगों के पास कैश कुल पारिवारिक परिसंपत्ति का 3.3% है, जो कि इक्विटी में निवेश से ज्यादा है। रियल इस्टेट, कंस्ट्रक्शन के अलावा फल और सब्जी बाजार जैसे असंगठित क्षेत्रों में कैश का भारी इस्तेमाल हो रहा है। अगर रियल इस्टेट और सोने के कारोबार में कैश का महत्वपूर्ण योगदान है तो रोजाना के जीवनयापन के लिए असंगठित क्षेत्रों में भी कैश की भूमिका कम महत्वपूर्ण नहीं है।  500 और 1000 रुपए को गैर-कानूनी घोषित कर दिए जाने से नकदी की समस्या पैदा होगी, जिससे रियल इस्टेट, जूलरी सेक्टर के अलावा फल और सब्जी विक्रेताओं के धंधे पर असर पड़ेगा। हालांकि जानकारों के मुताबिक, ये असर छोटी अवधि के लिए रहेगा। 
2-GDP रेश्यो में कर संग्रह बढ़ेगा- इकोनॉमी सर्वे 2015-16 के मुताबिक, जीडीपी रेश्यो में टैक्स की हिस्सेदारी 16.6 % है। यह दूसरे इमर्जिंग मार्केट (उभरते बाजार) चीन, ब्राजील, रूस के औसत, जो कि करीब 21% है, से कम है। घरों में जमाखोरी कर रखे गए और गैर-उत्पादक चीजों में निवेश किए गए नोट के बैंकिंग सिस्टम में आ जाने से जानकारों को उम्मीद है कि छोटी अवधि में जीडीपी रेश्यो में टैक्स की हिस्सेदारी करीब 1-2 % बढ़ सकती है। इससे जीडीपी रेश्यो में टैक्स का हिस्सा बढ़कर 18-19% हो जाएगा।  सरकार टैक्स की दरों में कटौती भी कर सकती है।
3-छोटी अवधि जीडीपी कम होने की आशंका-कैश की दिक्कत से उपभोक्ता मांग (कंज्यूमर डिमांड) कम होने से छोटी अवधि में जीडीपी को झटका भी लग सकता है। 
4-डेट यील्ड घटेगा-बैंकों में नकदी बढ़ने से सरकारी और अधिक रेट वाले बांड्स की मांग बढ़ सकती है, जिससे बांड्स यील्ड में कमी आ सकती है। 
5-छोटी अवधि में सीमेंट और स्टील की कमाई पर दबाव पड़ने की संभावना 
6-बैंकों में कैश की सप्लाई में तेज बढ़ातरी-कैश की सप्लाई बढ़ेगी जिससे बैंक डिपॉजिट्स रेट में कटौती कर सकते हैं। 
7-कर्ज की दरें कम होंगी-बैंकिंग सिस्टम में तरलता यानी कैश बढ़ने से रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश बढ़ेगी। बैंक भी कर्ज और सस्ता कर सकते हैं, क्योंकि बैंकों में तरलता बढ़ने से उनकी कॉस्ट ऑफ फंडिंग कम होगी, जिससे लोन सस्ता करना आसान होगा। 
8-GST (Goods&Services Tax-वस्तु और सेवा कर) के लिए खुराक- अगले साल अप्रैल से जीएसटी लागू होने की उम्मीद। डिमॉनिटाइजेशन से फायदा होगा
9-जनधन खातों में पैसे आएंगे
10-सेकंड हैंड ऑटो मार्केट के कारोबार में गिरावट की संभावना 
11-महंगे रिटेल प्रोडक्ट की मांग में कमी संभव 
12-पेटीएम, फ्रीचार्ज जैसे ई-वॉलेट खिलाड़ियों की मांग में जोरदार इजाफा 
13-रियल इस्टेट की कीमत गिरेगी 
14-म्युचुअल फंड में निवेश बढ़ेगा
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